राजस्थान: अशोक गहलोत नीत कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में अंतिम 6 महीनों में योजनाओं और आवंटन में वैधानिक प्रक्रियाओं के पालन में खामियों की शिकायतें लगातार मिल रही है। राज बदलने के साथ ही पिछली सरकार की ओर से आखिरी 06 महीने में लिए गए फैसलों की समीक्षा करने का रिवाज इस बार भी कायम रहने वाला है।
आपको बताते चले कि भाजपा सरकार के सत्ता संभालने के साथ ही संबंधित विभागों के उन फैसलों की जांच शुरू कर दी है, जो अशोक गहलोत सरकार के आखिरी छह माह में लिए गए थे। सूत्रों के अनुसार 800 से अधिक फैसले ऐसे है, जो आखिरी छह माह में लिए गए हैं।
मंत्रिमंडल बनने के बाद समीक्षा के लिए वरिष्ठ मंत्रियों की एक कमेटी गठित होने की संभावना है, जो विभिन्न विभागों से जुड़े फैसलों को रिव्यू करेगी। इसमें ज्यादातर मामले, नगरीय विकास विभाग, खान एवं पेट्रोलियम, चिकित्सा, राजस्व से से जुड़े बताये जा रहे है।
इन फैसलों पर रहेगा फोकस
- 300 से अधिक भू-आवटन के निर्णय, जिनमें सस्ती दरों पर संस्थाओं को विभिन्न शहरों में जमीन दी ।
- 19 जिलों के गठन को मंजूरी, जिसकी उपयोगिता की समीक्षा।
- महिलाओं को मोबाइल वितरण ।
- 10528 संविदा कर्मियों को नियमित करना।
- राजस्व विभाग से जमीन के आवंटन।
- चिकित्सा विभाग के फैसलों की उपयोगिता ।
- विकास परियोजनाओं से जुडे टेंडरों की उपयोगिता की समीक्षा।
- विभिन्न कंपनियों को कस्टमाइज्ड पैकेट |
-विभिन्न समाजों के 40 से अधिक बोर्ड का गठन।
-आरएलडी स्किल यूनिवर्सिटी का नाम बदलना ।
- नए शिक्षण संस्थाओं का गठन।
- हिंदी मीडियम स्कूलों को खत्म कर इंग्लिश मीडियम में - बदलना।
- ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को राजकीय उपक्रम बनाना ।
-अन्नपूर्णा फूड पैकेट वितरण ।