राजस्थान : सीएस मोनीटरिंग ग्रुप से सूचना हुई लीक,मुख्य सचिव के मोनिटरिंग ग्रुप से कई आईएएस किये गए रिमूव !
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुधांशु को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पसंदीदा अफसर माना जाता है। इसी लिहाज से राजस्थान की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में उन्हें डेप्यूटेशन पर दिल्ली बुलाया गया, जहां उन्होंने भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव के पद पर काम किया। हालांकि बाद में राजस्थान में भाजपा नीत सरकार के गठन के बाद पूर्व मुख्य सचिव उषा शर्मा के रिटायरमेंट के बाद उन्हें मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है।
मुख्य सचिव पंत लगातार विभिन्न विभागों के औचक निरीक्षण कर रहे है और वीडियो ग्राफी भी करवा रहे है। मुख्य सचिव पंत राजस्थान के सरकारी विभागों कार्यप्रणाली में परिवर्तन करने के लिए निर्णय लेने से नहीं चूक रहे है। इसी बीच एक दिलचस्प खबर ब्यूरोक्रेसी के गलियारों में चल रही है। दरअसल व्हाट्सएप्प पर सीएस मोनीटरिंग ग्रुप से सूचना लीक होने के बाद मुख्य सचिव ने ग्रुप से उन अधिकारियों को खुद हटने के निर्देश दिए जो नियमित मॉनीटरिंग चेन में संवाद नहीं कर रहे थे। लेकिन आग्रह के बाद भी किसी अधिकारी ने ग्रुप नहीं छोड़ा तो एक दिन बाद सीएस कार्यालय ने अपने व्हाट्सएप्प ग्रुप से एक साथ कई अधिकारियों को रिमूव कर दिया। इसमें कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। ऐसे में एक दिन बाद ही मुख्य सचिव कार्यालय के एक अधिकारी ने ऐसे अधिकारियों को हटाना (रिमूव) शुरू किया। यह संख्या देखते ही देखते बड़ी हो गई।
ग्रुप से हटाने वाले अधिकारियों में सुबोध अग्रवाल, कुंजीलाल मीणा, गौरव गोयल, रुक्मिणी रियार, अनुपमा जोरवाल, ह्रदेश कुमार, हिमांशु गुप्ता, जितेन्द्र सोनी, खजान सिंह, अनुप्रेरणा कुंतल, अर्चना सिंह, कुमार पाल गौतम, अपर्णा गुप्ता, बचनेश अग्रवाल, आशीष मोदी, मुक्तानंद अग्रवाल, नथमल डिडेल, प्रदीप गवंडे व अन्य अधिकारी थे। आपको बताते चले कि ग्रुप में कई रिटायर्ड अधिकारी भी थे,उन्हें भी रिमूव किया गया है।
क्या है पूरा मामला
15 मार्च को एक बैठक में मुख्य सचिव सुधांश पंत ने राजस्व वसूली के आंकड़ों पर चिंता जताते हुए कई दिशा-निर्देश दिए थे। ये निर्देश विभाग के अधिकारियों के साथ जिला कलक्टर व सम्भागीय आयुक्तों के लिए थे। लेकिन निर्देशों के बाद भी फील्ड में काम दिखाई नहीं दे रहा था। मामलें पर संज्ञान लेते हुए बीते सप्ताह उन्होंने ग्रुप में कुछ मैसेज लिखे और इसकी जानकारी तत्काल मीडिया में लीक हो गई। सूचना लीक हुई तो ग्रुप में मुख्य सचिव की ओर से मैसेज आया कि सचिवालय के बाहर पदस्थापित और जिला स्तर की मॉनीटरिंग व्यवस्था के अतिरिक्त जो अधिकारी ग्रुप में हैं, वे स्वयं ग्रुप से हट जाएं।
हालांकि इसके बाद भी किसी अधिकारी ने ग्रुप नहीं छोड़ा। एक दिन बाद ही मुख्य सचिव कार्यालय के एक अधिकारी ने ऐसे अधिकारियों को हटाना (रिमूव) शुरू किया। यह संख्या देखते ही देखते बड़ी हो गई।