ठगों ने माताजी के द्वार को भी नहीं छोड़ा है। माताजी को अर्पित करने के लिए जो सिंगार सामग्री के ‘कॉम्बो पैक’ बाहर की अस्थायी स्टालों पर बिक रहे हैं, उनमें धोखाधड़ी का खेल चल रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि इन ‘कॉम्बो पैक’ में उपलब्ध सामग्री की गुणवत्ता पर तो बात तब की जाएगी जब उनमें सामग्री उपलब्ध हो। जी हां, इन कॉम्बो पैक में शामिल अलग-अलग छोटे-छोटे पैकेट्स में ‘सामग्री’ नहीं होने की शिकायत सामने आई है।
अमूमन हम सिंगार पैकेट खरीद कर बिना खोले सीधे ही माताजी के चरणों में अर्पित कर देते हैं। ज्यादातर पुजारी भी इस ओर ध्यान नहीं देते, पैकेट के पैकेट चढ़ाए जाते हैं। पहले कभी यह बातें भी आती थीं कि कहीं ये पैकेट फिर से घूम-फिर कर बाजार में न आ जाते हों, लेकिन अब तो इससे भी एक कदम आगे बढ़कर शिकायत सामने आई है कि पैकेट में शामिल छोटे पैकेट ही खाली मिल रहे हैं।
ऐसा ही कुछ वाकिये उदयपुर में भी सामने आए हैं। एक श्रद्धालु ने बताया कि एक शक्तिपीठ पर उन्होंने 21 रुपये वाला सिंगार का कॉम्बो पैकेट खरीदा। जब वे मंदिर में चढ़ाने गए तब पुजारी से आग्रह किया कि वे इसमें से सिंदूर चढ़ाने के बाद प्रसाद के रूप में थोड़ा सा पुनः प्रदान कर देंगे तो घर पर सभी टीका लगा लेंगे। पुजारी ने पैकेट फाड़कर जब सिंदूर की गोल डिब्बी खोली तो पुजारी और श्रद्धालु दोनों ही हैरान रह गए कि डिब्बी तो पूरी खाली थी, सिंदूर का एक छटांक भी उसमें नहीं था। इसी तरह, जब सिंदूर लिखे छोटे से पुड़के को खोला गया तो उसमें हरे रंग की गुलाल निकली। इसके बाद मेहंदी का पुड़का खोला तो उसमें भी ‘हवा’ ही निकली। काजल की पुड़की में काजल नहीं था, इत्र की शीशी में इत्र नहीं था।
इसके बाद पुजारी ने स्वयं ही श्रद्धालु से कहा कि आप फिर से उस स्टॉल वाले के पास जाई और कम से कम इतना उलाहना तो दीजिये कि माताजी के नाम पर तो ठगी न करे। श्रद्धालु ने बताया कि जब वह स्टॉल वाले के पास पहुंचा तो स्टॉल वाले ने कहा कि ऐसे कई पैकेट हैं और वह भी इसे बाजार से खरीद कर लाता है। कुछ लोग हैं जो इस तरह की पैकिंग तैयार करके उन्हें उपलब्ध कराते हैं। अब पैकिंग खोलकर तो वह भी नहीं देख पाते, लेकिन इस बात की शिकायत वे उससे जरूर करेंगे और जिस कम्पनी के नाम से यह पैकेट चल रहा है, उसे नहीं लेंगे।
यह सिर्फ एक शक्तिपीठ के बात नहीं है। इस शिकायत के बाद जब अन्य शक्तिपीठों से जानकारी जुटाई गई तो वहां स्टॉल लगाने वालों ने कहा कि कभी-कभी किसी पैकेट में कम वजन महसूस होने पर उन्हें भी शंका होती है कि कुछ न कुछ गड़बड़ है। एक ने तो यह कहा कि ऐसी शिकायत लोकल लेवल पर पैकिंग करने वालों की आ रही है, कुछ पुराने ब्रांड ऐसे हैं जो बरसों से चल रहे हैं और उनकी कीमत भी लोकल पैकेट वालों से ज्यादा है, ऐसे में उनमें शिकायत नहीं आती। इस मामले में वे भी सावधानी बरतते हैं, लेकिन जिनका इस मामले में अनुभव नहीं है वे स्टॉलधारक धोखा खा जाते हैं और यदि श्रद्धालु पैकेट को बिना खोले माताजी के चरणों में चढ़ा दे तो इसका पता भी नहीं चलता।
मामले में धार्मिक संगठन बजरंग सेना मेवाड़ के संस्थापक कमलेन्द्र सिंह पंवार का कहना है कि पिछले दिनों कुछ शिकायतें ऐसी उन्हें प्राप्त हुई हैं। समस्या यह भी है कि इन लोकल पैकिंग वालों का कोई पता, पैक करने की तारीख या अन्य किसी भी तरह की अधिकृत जानकारी नहीं होती। ऐसे में यह भी पता नहीं चल पा रहा कि इन तक पहुंचा कैसे जाए। हालांकि, उन्होंने अपने संगठन से जुड़ कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए हैं कि इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए वे जहां भी शक्तिपीठों पर जा रहे हैं वहां के स्टॉलधारकों से ऐसी धोखाधड़ी से सावचेत करें और ऐसा नहीं करने पर संबंधित मंदिर प्रबंधन को ऐसे स्टॉल धारकों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करें।
कुल मिलाकर मामला आस्था से जुड़ा है। सामान में मिलावट हो तो खाद्य सुरक्षा विभाग नजर रखता है, वजन गड़बड़ी हो तो बाट-माप विभाग तक शिकायत दी जा सकती है, लेकिन यह तो कॉम्बो पैक है और आस्था से जुड़ा है, ऐसे में सरकारी महकमे भी इस तरह की पैकिंग की तरफ जांच के बारे में नहीं सोचते और सोचें भी तब जब उन तक कोई शिकायत पहुंचे और शिकायत तो तब पहुंचे जब किसी पैकेट पर पैकिंग करने वालों का अता-पता हो।
ऐसे में श्रद्धालुओं की जागरूकता ही उन्हें इस धोखाधड़ी से बचा सकती है। इस तरह की किसी भी धोखाधड़ी की आशंका से बचने के लिए सबसे अच्छा उपाय यही हो सकता है कि माताजी को भोग धराने के लिए मिठाई से लेकर चुनरी, मेहंदी, सिंदूर, इत्र, चूड़ी, बिंदी आदि सामग्री अपने घर के आसपास की दुकानों से खरीदकर घर पर ही पैक करें। जहां से नियमित खरीदारी हम करते हैं, कम से कम वहां से धोखाधड़ी की आशंका नहीं रहेगी।