जयपुर, 8 फरवरी। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि निवेश को प्रोत्साहन देने की राज्य सरकार की नीतियों का परिणाम है कि आज राजस्थान सौर ऊर्जा के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बन कर उभरा है। रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में देश-विदेश की जानी-मानी कंपनियां और इन्वेस्टर्स प्रदेश में निवेश के लिए आ रहे हैं। हमारा प्रयास है कि राजस्थान सोलर उपकरणों के मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में भी विकसित हो। निवेशक इस दिशा में बढ़-चढ़कर अपनी रूचि दिखाएं। राज्य सरकार उन्हें भरपूर सहयोग देगी।
श्री गहलोत मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेशकों के साथ 3 लाख 5 हजार करोड़ के एमओयू एवं एलओआई हस्ताक्षर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस निवेश से प्रदेश में करीब 90 हजार मेगावाट से अधिक अक्षय ऊर्जा का उत्पादन होगा। इस अवसर पर निवेशकों व राज्य सरकार के बीच हस्ताक्षरित एमओयू एवं एलओआई का आदान-प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस गति से राज्य में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में काम हो रहा है, वह दिन दूर नहीं जब राजस्थान देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में बड़ी भागीदारी निभाएगा। उन्होंने कहा कि अक्षय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बीते तीन साल में कई नीतिगत पहल की है। राजस्थान को रिन्यूएबल एनर्जी का हब बनाने के लिए हमारी सरकार ने नई सौर ऊर्जा नीति-2019 तथा विंड एंड हाइब्रिड एनर्जी पॉलिसी जारी की थी। निवेशकों को अनुकूल माहौल प्रदान करने के लिए रिप्स-2019, वन स्टॉप शॉप प्रणाली, एमएसएमई एक्ट जैसे नीतिगत निर्णय लिए गए। राज्य में ईज ऑफ डूइर्ंग बिजनेस की दिशा में आगे बढ़ते हुए निवेश की राह में बाधाओं को दूर किया है।
श्री गहलोत ने कहा कि राज्य में उत्पादित ऊर्जा के ट्रांसमिशन के लिए मजबूत वितरण तंत्र विकसित किया गया है। भूमि की पर्याप्त उपलब्धता, मजबूत आधाभूत ढांचे और सरकार की अनुकूल नीतियों के चलते राजस्थान सौर ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया के लिए मिसाल बन रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सोलर उपकरण निर्माण को भी प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने इस सेक्टर के निवेशकों का आह्वान किया कि वे आगे बढ़कर राजस्थान में अपनी इकाइयां स्थापित करें। सरकार उन्हें पूर्ण सहयोग प्रदान करेगी।
कार्यक्रम में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के 5 सार्वजनिक उपक्रमों तथा निजी क्षेत्र की कम्पनियों के साथ 3 लाख 5 हजार करोड़ रूपए के 90 गीगावाट से अधिक क्षमता के एमओयू एवं एलओआई हस्ताक्षरित किए गए। इनमें एनटीपीसी की ओर से 40 हजार करोड़ की लागत से 10 गीगावाट, एनएचपीसी की ओर से 20 हजार करोड़ की लागत से 10 गीगावाट, सतलज जल विद्युत निगम की ओर से 50 हजार करोड़ रूपए की लागत से 10 गीगावाट, टीएचडीसी इण्डिया लिमिटेड की ओर से 40 हजार करोड़ रूपए की लागत से 10 गीगावाट, एसईसीआई की ओर से 9 हजार करोड़ की लागत से 2 गीगावाट, रिलायंस समूह की ओर से 1 लाख करोड़ की लागत से 20 गीगावाट, एक्सिस एनर्जी समूह की ओर से 37 हजार करोड़ की लागत से 28 गीगावाट सोलर पार्क, सोलर प्रोजेक्ट एवं 4 गीगावाट सोलर मॉड्यूल मैन्यूफैक्चरिंग एवं सुखवीर एग्रो समूह की ओर से 2 गीगावाट एवं 100 मेगावाट क्षमता (बॉयोमास) के अक्षय ऊर्जा से संबंधित एमओयू एवं एलओआई शामिल हैं।
राजस्व मंत्री श्री रामलाल जाट ने कहा कि राजस्थान शांतिप्रिय एवं निवेश के लिए सर्वाधिक अनुकूल प्रदेश है। राजस्व विभाग निवेशकों के लिए भूमि से संबंधित आवश्यकताओं को पूरी प्रतिबद्धता के साथ पूरा कर रहा है। साथ ही, भूमि अधिग्रहण में किसानों एवं अन्य पक्षों के हितों का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
उद्योग मंत्री श्रीमती शकुंतला रावत ने कहा कि निवेशकों को सरकार अनुकूल वातावरण एवं पूर्ण सहयोग प्रदान कर रही है। जिन एमओयू एवं एलओआई पर आज हस्ताक्षर हुए हैं, उन्हें समयबद्ध रूप से धरातल पर कार्यान्वित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित इन्वेस्ट राजस्थान समिट के माध्यम से ऊर्जा के क्षेत्र में निवेशकों ने करीब 5 लाख करोड़ का निवेश करने की मंशा व्यक्त की है।
ऊर्जा राज्यमंत्री श्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि पश्चिमी राजस्थान के विभिन्न जिलों में सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए 1.60 लाख हैक्टेयर से अधिक अनुकूल भूमि उपलब्ध है, जहां सोलर पार्कों की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि अक्षय ऊर्जा को लेकर राज्य सरकार ने जो नीतियां लागू की हैं, उनसे आने वाले समय में राजस्थान इस क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल करेगा।
मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा ने कहा कि वर्ष 2030 तक देश में 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन के राष्ट्रीय लक्ष्य को पूरा करने में राजस्थान बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए निवेशकों की अहम भूमिका है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा श्री सुबोध अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियां राज्य सरकार की नीतियों से अब हमारी ताकत बन रही हैं। सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता में राजस्थान आज देश का अव्वल राज्य बन गया है। आज ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश में करीब 3 लाख करोड़ रूपए के एमओयू एवं एलओआई हस्ताक्षरित होना शुभ संकेत है।
प्रक्रियाओं के सरलीकरण से निवेश को मिल रही गति
कार्यक्रम में एनएचपीसी के निदेशक श्री वाईके चौबे ने कहा कि एनएचपीसी राजस्थान में 50 मेगावाट के विंड पावर प्रोजेक्ट पर पहले से ही काम कर रहा है। अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में एनएचपीसी 10 हजार मेगावाट क्षमता उत्पादन के लिए 20 हजार करोड़ रूपए का निवेश करेगी।
सुखवीर एग्रो समूह के निदेशक श्री सुखवीर सिंह ने कहा कि राजस्थान में निवेशकों को जो सहयोग मिल रहा है, वह काबिले तारीफ है। भूमि अधिग्रहण, पावर पर्चेज एग्रीमेंट सहित अन्य आवश्यक प्रक्रियाओं को जिस त्वरित गति से पूरा किया गया है, वह राज्य सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति को दर्शाता है।
टिहरी हाइड्रो डवलपमेंट कॉर्पोरेशन के सीएमडी श्री आरके विश्नोई ने कहा कि सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने की राज्य सरकार ने जो पहल की है, वह अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय है।
एक्सेस एनर्जी के सीएमडी श्री रवि कुमार रेड्डी ने कहा कि राजस्थान में मात्र चार माह के अल्प समय में ही भूमि उपलब्ध कराने की प्रक्रियाओं को पूरा कर लिया गया। जमीन अधिग्रहण की इतनी सुगम प्रक्रिया दूसरे राज्यों में नहीं है।
एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड के सीईओ श्री मोहित भार्गव ने कहा कि एनटीपीसी का अक्षय ऊर्जा के जरिए राजस्थान में 4 हजार मेगावाट ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 10 हजार मेगावाट प्रतिवर्ष तक करने का लक्ष्य है।
सतलज जल विद्युत निगम के सीएमडी श्री नंदलाल शर्मा ने कहा रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में राजस्थान में योगदान करने का जो अवसर मिला है, उसे समय पर पूरा करने का निगम आगे बढ़कर प्रयास करेगा।
सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया की एमडी श्रीमती सुमन शर्मा ने भी राज्य सरकार की निवेश अनुकूल नीतियों की सराहना की।
कार्यक्रम से उद्योग, ऊर्जा, राजस्व आदि विभागों के वरिष्ठ अधिकारी तथा विभिन्न जिलों के जिला कलेक्टर भी जुड़े।