राजस्थान से चुनाव लड़ने के सवाल पर अगस्त महीने में पवन खेड़ा ने कहा था कि पार्टी ने उन्हें जो काम दिया हैं, उससे वे सतुंष्ट हूं और वे उस काम कोे बखूबी तरीके से पूरा कर रहे है। फिलहाल ऐसी कोई नियत नहीं है कि राजस्थान या फिर उदयपुर से चुनाव लडा जाए। उन्होंने कहा कि जो कार्यकर्ता 20—25 सालों से मेहनत कर रहे हैं उनका हक बनता है टिकट पर। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि वे उदयपुर के रहने वाले हैं लेकिन उदयपुर में सक्रिय राजनिति में नहीं होने से मेरा कोई हक नहीं बनता हैं।
लगभग इसी तरह का बयान उन्होंने हालिया अक्टूबर महीने की उदयपुर आगमन के दौरान प्रेस कांफ्रेंस में भी दिया है , जिसमें उन्होंने इन्ही बातों को दोहराया भी है। लेकिन इसी बयान के बाद पवन खेड़ा ने जोधपुर हाउस पहुंच कर अशोक गेहलोत से मुलाकात की थी। ठीक अगले दिन अशोक गहलोत सुबह ही 10 जनपथ पहुंच गए और आलाकमान से मुलाकात की। कयास लगाए जा रहे है कि आलाकमान उन्हें मेवाड़ से उदयपुर सीट से लड़वाने का इच्छुक है और पवन खेड़ा का उदयपुर आगमन और गहलोत से मुलाकात भी इसी ओर ईशारा कर रही है।
हालाकि गहलोत ग्रुप का झुकाव उदयपुर से कांग्रेस नेता पंकज शर्मा और दिनेश खोड़निया की तरफ नज़र आया है और दूसरी तरफ पिछले दो महीने से कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ भी उदयपुर सीट से अपनी ताल ठोक रहे है और यूट्यूबर्स और इनफ्लूएंसर्स को इंटरव्यू देते हुए बता रहे है कि उदयपुर सीट से वो कांग्रेस के बड़े दावेदार है। उदयपुर शहर में कांग्रेसी नेताओं में सबसे ज्यादा होर्डिंग्स भी गौरव वल्लभ के ही नजर आ रहे थे। दूसरी तरफ सचिन पायलट ग्रुप के दावेदार भी उदयपुर से ताल ठोक रहे है और फिलहाल नेपथ्य के पीछे है। दिल्ली की आवाजों में इनमे उदयपुर के अरमान जैन का नाम भी प्रमुखता से सुना जा रहा है। कुल मिला कर राजस्थान कांग्रेस के विधानसभा चुनावों के सीट वितरण में तीन पक्ष यथा गहलोत गुट, पायलट गुट और आलाकमान अपना अपना जोर लगा आजमाइश कर रहे है और फिलहाल आलाकमान का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है।
12 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष ने एक आदेश जारी कर पवन खेड़ा को राजस्थान चुनाव के लिए मीडिया ऑब्जर्वर नियुक्त कर सबको एक बार फिर चौका दिया है।आपको बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे गुलाबचंद कटारिया को असम के राज्यपाल बनाए जाने के बाद उदयपुर विधानसभा सीट खाली हो गई। इस वजह से अब कांग्रेस और भाजपा दोनों की नजरें इस सीट पर हैं। पवन खेड़ा भी उदयपुर के रहने वाले हैं। ऐसे में कयास है कि कांग्रेस उन्हें यहां से चुनावी मैदान में उतार कर मेवाड़ से एक बड़ा नेता खड़ा कर सकती है जो मुख्यमंत्री कद का प्रत्याशी हो। यदि पवन खेड़ा को मेवाड़ से लड़ाया जाता है तो निश्चित तौर पर मेवाड़ की अन्य सीटों पर कांग्रेस का पलड़ा भारी हो सकता है और बहुमत की स्थिति में आलाकमान का खास मोहरा राजस्थान से मुख्यमंत्री पद का दावेदार हो सकता है क्योंकि पिछले दो सालों में गहलोत और आलाकमान के बीच कई बार विवाद सामने आ चुके है और आलाकमान का पक्ष हलका ही रहा है।