राजस्थान के चर्चित मिराज ग्रुप के सीएमडी मदनलाल पालीवाल पर 2 हजार करोड़ की जीएसटी चोरी का आरोप,मिली जमानत ,देश छोड़ने की अनुमति नहीं !
मिराज ग्रुप और जीएसटी चोरी के हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराध के मामले में करीब 2000 करोड़ रुपये की जीएसटी की कथित चोरी का आरोप है। यह मामला राजस्थान के उदयपुर से जुड़ा हुआ है, जहां मिराज ग्रुप के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) मदनलाल पालीवाल और अन्य संलिप्त व्यक्तियों के खिलाफ जांच चल रही है। 25 मार्च 2025 तक की ताजा जानकारी के अनुसार, इस मामले में कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आए हैं।
हालिया हुई थी जमानत !
मिराज ग्रुप के सीएमडी मदनलाल पालीवाल और प्रकाश चंद्र पुरोहित को आर्थिक अपराध मामलों की अदालत ने सशर्त जमानत दे दी है।
इससे पहले, अदालत ने इनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में इन वारंट्स को जमानती वारंट में बदल दिया था। सूत्रों के अनुसार जमानत 25 मार्च 2025 को स्वीकृत हुई, जिसकी पुष्टि शेष है।
क्या है मामला
यह मामला 2000 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी से संबंधित है, जिसमें मिराज ग्रुप पर फर्जी बिलिंग, इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के दुरुपयोग, और टैक्स चोरी के गंभीर आरोप लगे हैं।
मिराज ग्रुप, जो तंबाकू उत्पादों, रियल एस्टेट, और अन्य व्यवसायों में सक्रिय है, पर पहले भी कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगते रहे हैं।
जमानत का मिलना इस मामले में एक अहम मोड़ है। यह दर्शाता है कि अदालत ने जांच के मौजूदा चरण में आरोपियों को हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं समझी, लेकिन "सशर्त जमानत" का मतलब है कि कुछ शर्तें (जैसे गारंटी राशि, जांच में सहयोग, या देश छोड़कर न जाने की शपथ) लगाई गई होंगी।
क्या हाईकोर्ट द्वारा गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदलना यह संकेत देता है कि कानूनी प्रक्रिया में तकनीकी पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है और आरोपियों को अपने बचाव का मौका दिया जा रहा है ?
यह मामला राजस्थान में चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां मिराज ग्रुप का व्यापक प्रभाव है। जमानत के फैसले से कुछ लोग इसे प्रभावशाली लोगों के पक्ष में लिया गया निर्णय मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा ।
सोशल मीडिया पर इस खबर को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं, जो इस मामले की संवेदनशीलता को दर्शाती हैं।