लोकसभा चुनाव : राजस्थान में हुई कम वोटिंग ,किसका वोटर नहीं निकला, पहेली में उलझे रणनीतिकार, किसका बोल रहा मोरिया?
राजस्थान की 12 सीट पर उम्मीद से और पिछली बार से कम मतदान हुआ है। कई जगह कांग्रेसियों में जोश नहीं था, तो कई जगह भाजपा के गढ़ में भी टेबल खाली पड़ी थी। ट्रेंड कहता है - बढ़ते वोट भाजपा के होते है, घटते वोट कांग्रेस को फायदा दिलाते है।
वोटरों की कम भीड़ के कारण सुबह से ही मतदान में निरसता लग रही थी,तो क्या लोग राजनीति से ऊपर उठ गए है और मान लिया है कि सरकारें आएंगी और जाएंगी, मगर उनकी स्थिति नहीं सुधरेगी। तो क्या मौजूदा वोटर्स का न मौजूदा सत्ता से मोह है न ही विपक्ष से ठोस उम्मीद। क्या 400 पार के नारे के अतिरेक का नेगेटिव असर हुआ है, लोगो ने मान लिया और वोट नही किया।
2019 में भाजपा ने 25 में से 4 सीट 2 लाख के कम अंतराल से जीती थी। इनमे से 2 सीट एक लाख से कम अंतराल की थी। ऐसे में इस बार वोट का घटता प्रतिशत यह संकेत देता है कि अधिकांश सीट पर भाजपा की जीत का अंतर कम होगा और इनमे भी कुछ में कांग्रेस उलटफेर कर सकती है।
दो शब्दों में - चौंकाएगा राजस्थान
कांग्रेस की तैयारी तो पहले से कमजोर थी, लेकिन BJP में क्या हुआ ? मंडल, पन्ना प्रमुख सब कहां गए ? ये ही तो घरों से वोट निकालने वाले थे। कई इलाकों की तो हालत इतनी खराब थी कि लोग घर पर होते हुए भी वोट डालने नही गए। मंडल तो दूर बूथ अध्यक्ष आदि सक्रिय दिखाई नहीं दे रहे थे।
कुछ बुद्धिजीवी कयास लगा रहे है कि 57.26% मतदान से बीजेपी जीत ही नहीं सकती है। 60% से ऊपर मतदान में ही बीजेपी की जीत के राज छिपे होते हैं। हालांकि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि वोटिंग पैटर्न और प्रतिशत के आधार पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। हालंकि अभी तक अधिकृत पुष्ट आंकड़े नहीं आए है।
वोटिंग का प्रतिशत कम होने का एक कारण शादियों और सावों का सीजन होना भी माना जा रहा है। ज्यादातर जनता शादियों में व्यस्त थी,वहीं दूसरी और कुछ लोग तेज गर्मी को भी वोटिंग प्रतिशत कम होने का कारण मान रहे हैं । ये भी कयास लगाए जा रहे है कि 400 पार सीटों का नारा उल्टा पड़ता दिखाई दिया क्योंकि बीजेपी के टर्निंग वोटर आश्वस्त दिखाई दिए और वोट डालने नहीं गए।