उदयपुर की पिछोला झील में चलने वाली शाही गणगौर बोट सहित किसी सितारा होटल की नाव में नही परोसी जा सकती शराब !
आश्चर्य जनक रूप से जिस बोट के अस्तित्व से ही उदयपुर का RTO इनकार कर चुका है और जो बोट रियासत काल से गणगौर बोट के नाम से प्रसिद्ध है, उस गणगौर बोट में देर रात तक बिना लाइफ जैकेट संगीतमय माहौल में पार्टियों के विज्ञापन सितारा होटल द्वारा सोशल मीडिया के जरिये प्रसारित किये जा रहे है जबकि उस बोट तो क्या किसी भी होटल की बोट पर न तो खान पान की अनुमति है और न ही मधपान की।
जैसा कि सभी जानते है कि पिछोला झील किनारे स्थित सभी बड़ी होटलों के पास अपनी बोट्स है जिनका मुख्य प्रयोजन पर्यटकों को झील मार्ग से होटल तक ले जाना है बावजूद इसके इन बोट्स का उपयोग झील में तैरते रेस्टोरेंट, स्पा और अन्य प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराने में हो रहा है।
पिछोला किनारे स्थित कई बड़ी सितारा होटलों की बोट्स में संगीतमय रंगीन पार्टियों, लंच डिनर, शराब कबाब , शादी पार्टी और स्पा सुविधाएं उपलब्ध है, लेकिन उदयपुर के RTO और आबकारी विभाग ने बोट्स में चलाई जा रही इन सभी गतिविधियों से अनभिज्ञता जाहिर कर ऐसी किसी भी स्वीकृति दिए जाने से इनकार कर दिया है।
उदयपुर के RTO विभाग ने बोट्स के रात्रिकालीन संचालन को भी स्वीकृति नहीं दी है जबकि उदयपुर के नगर निगम ने बताया है कि केवल लेक पैलेस और HRH ग्रुप की बोट्स का रात्रिकालीन संचालन हो सकता है।
सोशल मीडिया और विभिन्न सूत्रों से प्राप्त होने वाले फ़ोटो वीडियो में बोट्स में परोसी जा रही शराब बियर और मधपान की गतिविधियों के बारे में जब उदयपुर के आबकारी विभाग से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने पिछोला झील किनारे की कई बडी होटलों की बोट्स की जाँच कर रिपोर्ट तैयार की, जांच टीम में जिला आबकारी अधिकारी, सहायक आबकारी अधिकारी, आबकारी निरीक्षक खैरवाड़ा जितेंद्र सिंह, आबकारी निरीक्षक शकुंतला जैन वृत उदयपुर पश्चिम मय जाब्ता की मौजूदगी रही
जांच टीम ने उदय विलास, लीला पैलेस, आमेट हवेली, जगत निवास, लेक पिछोला, लेक पैलेस, उदय कोठी, सहित कुछ होटलो की बोट्स में मदिरा भंडारण, विक्रय अथवा परोसे जाने के संबंध में जांच रिपोर्ट तैयार की और किसी भी बोट्स में जांच के दौरान मदिरा भंडारण और परोसने की गतिविधियों का होना नही पाया गया साथ ही चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी किसी भी गतिविधि किये जाने पर कठोर कार्यवाही की जाएगी।
आबकारी विभाग ने अपनी जांच रिपोर्ट में होटलो के नाम तो बताए लेकिन किन बोट्स की जांच की ? उन बोट्स के रजिस्ट्रेशन नम्बर बताने की जगह RTO से सम्बंधित होना बता दिया, साथ ही RTO के अनुसार जिस गणगौर बोट का कोई अस्तित्व ही नही है उसमें आबकारी विभाग को एतराज योग कोई वस्तु नही मिली,,चूँकि आबकारी विभाग के पास अपनी स्वयं की कोई बोट नहीं थी इसलिए उन्होंने बोट वैकल्पिक व्यवस्था कर जांच की।
बोट्स में होने वाली गतिविधियों के सोशल मीडिया औऱ विज्ञापनों में वायरल होने वाले फ़ोटो और वीडियो में कितनी सच्चाई है ये पाठक स्वयं तय कर सकते है।