उदयपुर , 17 फरवरी 2022 : राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने नागौर में दो दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण शिविर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा ने महाराणा प्रताप और अकबर के बीच की लड़ाई को धार्मिक लड़ाई बताया, जबकि यह सत्ता के लिए संघर्ष थी। भाजपा ने इसे धार्मिक रंग दे दिया। गुरुवार को नागौर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण शिविर में डोटासरा ने कहा कि भाजपा ने अपने शासनकाल में राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़ी संस्थाओं की मंशा के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार किए थे। डोटासरा ने कहा कि महाराणा प्रताप और अकबर के युद्ध को धार्मिक लड़ाई बताकर पाठ्यक्रम में शामिल करवा रखा था, जबकि यह सत्ता संघर्ष के लिए था। भाजपा हर चीज को हिंदू-मुस्लिम के धार्मिक चश्मे से देखती है।
बयान को लेकर जहाँ भाजपा के कई दिग्गज नेताओँ ने ट्वीट कर इसे आड़े हाथों लिया वही मेवाड़ से भाजपा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने पलटवार करते हुए कहा -कटारिया ने कहा कि डोटासरा महाराणा प्रताप व अकबर की लड़ाई सत्ता के लिए संघर्ष बता रहे है जो सरासर गलत है, वे इतिहास पढ़ ले। महाराणा प्रताप ने सत्ता प्राप्त करने के लिए लड़ाई लड़ी यह कहकर डोटासरा क्या कहना चाहते है। प्रताप ने तो स्वाभिमान व स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी है। आपने हमारे बच्चों को पढ़ाया था अकबर महान, इसलिए तुम्हारी पार्टी कांग्रेस गर्त में गई है। इतिहास नहीं पढ़ा तो वापस पढ़ ले। प्रताप का युद्ध सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि स्वाभिमान की लड़ाई थी। राज की अगर इच्छा होती तो जयपुर वाले मानसिंह की लाइन में प्रताप चले जाते। मगर प्रताप नहीं गए।
उन्होंने कहा मेवाड़ नहीं झुके इस बात के लिए उन्होंने इतनी बड़ी सल्तनत से भी मुकाबला किया। बड़े-बड़े कई लोग झुक गए, लेकिन मेवाड़ राजघराना और प्रताप ने उनकी अधीनता को स्वीकार नहीं करके कष्टों को भुगतना स्वीकार किया मगर संघर्ष के आधार पर अपनी लड़ाई जारी रखी।
कटारिया ने पलटवार करते हुए कहा कि-" दुर्भाग्य ये है कि इन लोगों को प्रताप दिखते ही अकबर दिख जाता है। इसलिए इन लोगों ने इतने साल तक यही खेती कमाकर राज किया है। बाकी भारत में आप किसी को भी पूछोगे तो प्रताप और अकबर के बीच अगर तुलना हो तो प्रताप का जीवन राष्ट्र के लिए, स्वाभिमान और मूल्यों की लड़ाई के लिए रहा। राज की अगर इच्छा होती तो जयपुर वाले मानसिंह की लाइन में प्रताप चले जाते। मगर प्रताप नहीं गए। कांग्रेस का चश्मा है कि इन्होंने हमेशा मुस्लिम तुष्टीकरण का ही इन्होंने पालन किया है। इसलिए ये अपनी पार्टी का अस्तित्व खो रहे हैं और खुद का भी अस्तित्व खो देंगे। कांग्रेस की जो दुर्गति आज हुई है उसका बड़ा कारण ये ही है।"