राजस्थान के स्थानीय निकायों में पिछले सालों में आम रिवाज बन चुका था। समूचे राजस्थान में सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार होने की खबरें आम थी और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के नाखून तोड़ दिए गए थे । लेकिन अब भाजपा नीत भजन लाल शर्मा एक्शन मोड पर आ गई है। भजन लाल की सरकार को लगातार राज्य के स्थानीय निकायों जैसे नगर निगम,नगर विकास प्रन्यास और नगर परिषदों से लेकर स्थानीय प्राधिकरणों की शिकायतें लगातार मिल रही है। इसी क्रम में सबसे ज्यादा शिकायतें जयपुर विकास प्राधिकरण,उदयपुर विकास प्राधिकरण, कोटा नगर निगम ,उदयपुर नगर निगम के साथ अन्य स्थानीय निकायों में जमीन से जुड़े प्रकरणों को लेकर भी खूब शिकायतें मिल रही थी।लेकिन सबसे ज्यादा शिकायतों वाले जेडीए में राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत मंगलवार सुबह नौ बजे जेडीए में औचक निरीक्षण कर सबकों चोंका दिया । निरीक्षण के दौरान पेंडेंसी देखकर अधिकारी हैरत में पड़ गए।
निरीक्षण में पता चला कि जेडीए सचिव आईएएस नलिनी कठोतिया जमीनों से जुड़ी हर फाइल पर 'डिस्कस' की नोटिंग लिखकर छोड़ रही थी, जिसे मुख्य सचिव ने गंभीरता से लिया है।आईएएस नलिनी कठोतिया जिन फाइलों पर डिस्कस लिखकर छोड़ रही थी उनमें 90ए जैसे मामले शामिल हैं। उनके चेंबर सहित पीए के चेंबर में भी 50 से ज्यादा फाइलें पेंडिंग पड़ी थी।
सीएस सुधांश पंत के निरीक्षण के बाद बुधवार को जेडीए ने तीन उपायुक्त सहित 11 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस दिए है। साथ ही सेवानिवृत्त करीब 200 अधिकारी व कर्मचारियों की सेवाएं भी समाप्त कर दीं। आपको बताते चले कि सीएस पंत के निरीक्षण के बाद मंगलवार शाम को जेडीए सचिव और IAS नलिनी कठोतिया, अतिरिक्त आयुक्त (RAS) आनंदी लाल वैष्णव और उपायुक्त (RAS) प्रवीण कुमार-द्वितीय को कार्मिक विभाग ने एपीओ कर दिया था।
मुख्य सचिव के निरीक्षण के बाद नींद से जागे JDA के अफसर
उधर, जेडीए अधिकारी हरकत में आ गए। उन फाइलों के निस्तारण में जुट गए, जिनकी फोटो खींचकर सीएस पंत ले गए। माना जा रहा है कि इन फाइलों में लैंड फॉर लैंड के अलावा कॉलोनियों के नियमन शिविरों और सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के मामले हैं। इनके निस्तारण की जिम्मेदारी अतिरिक्त आयुक्त हरफूल यादव को दी गई है। वे सुबह से शाम तक कार्यालय में रहे।
जेडीए में अधिकारियों और दलालों के बीच गहरा गठजोड़
जेडीए में अधिकारियों और दलालों के बीच गहरा गठजोड़ है। यदि फाइल पर 'वजन' नहीं रखा गया तो फाइल गुम हो जाती है और जैसे ही बाबू खुश हुए तो फाइल वापस आ जाती है। सूत्रों की मानें तो फाइल पर डिस्कस जानबूझकर लिखा जाता था और उसे फिर रोककर रखा जाता था। इस दौरान दलाल सक्रिय हो जाते और उसकी हां मिलते ही फाइल डिस्कस से आगे बढ़ती और ओके लिखकर वापस जोन में आती। इसके बाद काम हो जाता।