5 साल पहले झुंझुनूं में एक नारा आया था "मोदी तुमसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं"। अब राजस्थान चुनाव से पहले एक धीमा सा नारा कांग्रेस की राजनीति में भी गूंजने लगा है। खास बात यह है कि खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी एक इंटरव्यू में यह स्वीकार लिया कि "गहलोत तुमसे बैर नहीं, कांग्रेसी विधायको की खैर नहीं" का फीडबैक उनके पास भी आया है। गहलोत ने कहा - "इसमे दो राय नहीं, ऐसा फीडबैक मेरे पास भी आया है। कई बार अच्छा काम करने के बावजूद भी परसेप्शन बन जाता है।कई जगह से जानकारी मिली है। टिकट वितरण में बैलेंस होगा।"
2023 में CM पद की उम्मीदवारी पर गहलोत बोले- "यह जनता की फीडबैक और विधायकों की राय पर फैसला होगा। तीन बार मुख्यमंत्री बन गया, अति संतुष्ट हूं। मैं बोलता इसीलिए हूं ऐसा ताकि न केवल पायलट जबकि सबकी उम्मीद बंधे। मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहता हूं लेकिन यह पद मुझे नहीं छोड़ रहा।"
मैं चाहता हूं युवा पीढ़ी आगे आए, बड़ी लाइन खींचकर आगे आए। बनी हुई लाइन को नहीं कटना चाहिए।
दरअसल कई सर्वे रिपोर्ट भी कई मौजूदा विधायको-मंत्रियों के खिलाफ आयी है। कई विधायक-मंत्री तो अपने क्षेत्रो में इतने बदनाम हो चुके है कि अब जनता खुलेआम उनका विरोध करने लगी है। कांग्रेस इस चुनाव में सरकार रिपीट करने का दावा कर रही है। लेकिन यह चुनाव कोई दिल्ली जैसा है नहीं कि जनता उम्मीदवार के चेहरे पर ध्यान न देकर मोदी के नाम पर वोट दे दे। यह चुनाव तो उम्मीदवार के आधार पर ही होता है। बड़ा सवाल यह कि जिन विधायको या मंत्रियों की "खैर" नहीं, क्या उनकी टिकट काटने का साहस कांग्रेस कर पायेगी। यह बोल्ड स्टेप तो मुख्यमंत्री को ही उठाना पड़ेगा।