जयपुर बम ब्लास्ट मामले के चार आरोपितों की फांसी की सजा उच्च न्यायालय द्वारा पलट कर बरी करने का मामला गरमाता जा रहा है। विपक्ष के साथ ही हिंदू और सामाजिक संगठन इस मामले में अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साध रहे हैं। इस बीच सरकार ने उच्च न्यायालय में सही तरह से पैरवी नहीं करने पर अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेंद्र यादव को हटा दिया है।
साथ ही मुख्यमंत्री गहलोत ने पुलिस और विधि विभाग के अधिकारियों को बरी हुए आरोपितों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर करने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने मुख्य सचिव उषा शर्मा, गृह सचिव आनंद कुमार, पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा व विधि सचिव ज्ञान प्रकाश गुप्ता सहित वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक लेकर न्यायालय में कमजोर पैरवी पर नाराजगी जताई है।
मामलें में भाजपा नेता वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर कहा-
मई, 2008 में गुलाबी नगर को रक्त रंजित कर 80 लोगों की जान लेने और कई लोगों को अपाहिज बनाने वाले जयपुर बम ब्लास्ट मामले में कांग्रेस सरकार ने ढंग से पैरवी नहीं की। जिसका परिणाम हाईकोर्ट के इस फैसले के रूप में सामने आया है।
घटना के बाद आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। इसके बावजूद सरकार ने इसे हल्के में लिया, वरना निचली अदालत का फैसला बरकरार रहता। इस केस में तो सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ताओं ने कई दिनों तक पैरवी ही नहीं की। कहीं कांग्रेस सरकार के इशारे पर तो ऐसा नहीं हुआ ?
आज उन परिवारों पर क्या बीती होगी जिनके अपने उन धमाकों में जान गंवा बैठे। किसी का सुहाग उजड़ा तो किसी का भाई जुदा हुआ। किसी का पिता, किसी की मां व बच्चे इस हादसे में चल बसे। क्या उनकी चीखें इस सरकार के कानों तक नही पहुंच रही। कहीं सरकार ने तुष्टिकरण के चलते तो ऐसा नहीं किया ?
इस प्रकरण में राज्य की कांग्रेस सरकार दोषी है। सरकार की मंशा के अनुरूप जयपुर में हुए बम धमाकों के आरोपी भले ही अभी बरी हो गए हों, लेकिन जनता समय आने पर कांग्रेस की कुंठित मानसिकता का जवाब जरूर देगी।