राज्यपाल श्री हरीभाऊ बागडे ने कहा कि भारत ऋषि प्रधान देश के साथ ही कृषि प्रधान देश है। उन्होंने कहा कि कृषि का जीवन में सर्वाधिक महत्व है। किसानों द्वारा खेतों में कृषि उपज नही की जाए तो कोई भी जिंदा नहीं रह सकता है। उन्होंने भारतीय कृषि संस्कृति की चर्चा करते हुए कहा कि आज देश में 146 करोड़ लोगों के लिए अनाज का उत्पादन होता है। अनाज उत्पादन में देश आत्मनिर्भर हो गया है। विश्वविद्यालय किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए कृषि की नवीन प्रौद्योगिकी और शोध के जरिए उनके सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करें।
राज्यपाल श्री बागडे शनिवार को उदयपुर में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को समय-समय पर नष्ट करने के लिए विदेशी आक्रांताओं द्वारा निरंतर प्रयास किए जाते रहे है। परंतु हमारी संस्कृति जीवंत और जीवट है। इसे मिटाया नहीं जा सकता। उन्होंने अतीत के बहुत सारे संदर्भों की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय शिक्षा पद्धति में कुल गुरु की परंपरा आरंभ से रही है। इस परंपरा की अंग्रेजों ने भी बहुत अधिक सराहना की और कहा भी की जितने स्कूल भारत में है उतने ब्रिटेन में भी नहीं है।
श्री बागडे ने संस्कृति और विज्ञान में भारत के समृद्ध अतीत की चर्चा करते हुए कहा कि गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बारे में कॉपरनिकस ने 1530 में बताया जबकि हमारे ऋग्वेद और यजुर्वेद में आरंभ से ही गुरुत्वाकर्षण के बारे में बहुत सारा ज्ञान दिया हुआ है। यह वेद ग्रंथ 6500 साल पहले से लिखे हुए हैं ।
राज्यपाल श्री बागडे ने कहा कि किसी भी देश को खत्म करने के लिए बम की जरूरत नहीं पड़ती। किसी देश को नष्ट करना है तो उसकी शिक्षा व्यवस्था को बिगाड़ दिया जाना ही पर्याप्त है। अंग्रेजों ने भारत के साथ यही किया। आजादी के बाद पहली बार देश में नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा और कृषि के महत्व को फिर से स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने प्राकृतिक खेती के विकास के जरिए देश को विकास की राह पर ले जाए जाने पर जोर दिया।
श्री बागडे ने रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान की चर्चा करते हुए कहा कि इससे धरती की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है। बहुत सारे रोग होते हैं। उन्होंने प्राकृतिक खेती की ओर लौटने का आह्वान करते हुए कृषि में युवाओं को रुचि लेने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पानी की बचत ही उसका निर्माण है। उन्होंने आम जन को पानी के अपव्यय रोके जाने पर जोर देते हुए कहा कि जल संरक्षण जरूरी है।
आरंभ में महाराणा प्रताप प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। राज्यपाल ने इस दौरान विद्यार्थियों को पदक और उपाधियां प्रदान की। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रकाशन का भी लोकार्पण किया।