जयपुर, 10 फरवरी। वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री हेमाराम चौधरी ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि वैटलेंड पर अगर किसी भी तरह का अतिक्रमण हो रहा है तो अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही सुुनिश्चित करने हेतु संबंधित जिला कलक्टर को निर्देशित किया जाएगा।
श्री चौधरी प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस सम्बन्ध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार राज्य में वेटलेण्ड ऑथोरिटी का गठन किया गया है। इस ऑथोरिटी में अब तक गैर सरकारी प्रतिनिधियों को नॉमिनेट नहीं किया गया है, यह नॉमिनेशन मुख्यमंत्री स्तर पर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में प्रस्ताव भेज दिए गए है, शीध्र ही उनका नॉमिनेशन हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि जिला कलक्टरों से प्राप्त सूचना के आधार पर राज्य में 46 हजार 741 वैटलेंड है तथा ढ़ाई हैक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल वाले कुल 12 हजार 625 वैटलेण्ड्स है। उन्होंने बताया कि वैटलेण्ड्स का विकास एवं कार्ययोजना संबधित स्वामित्व वाले विभाग द्वारा किया जाता है। वन एवं पर्यावरण विभाग केवल उन वैटलैण्ड्स की देखरेख का कार्य करता है।
इससे पहले विधायक श्री भरत सिहं के मूल प्रश्न के जवाब में श्री चौधरी ने बताया कि राज्य आद्र्रभूमि प्राधिकरण का गठन आद्र्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 की धारा 5 के तहत् किया गया है। उक्त नियमों के अधीन राज्य आद्र्रभूमि प्राधिकरण द्वारा विनियमन हेतु चिन्हित आद्र्रभूमियों की संस्तुति करना, डिजीटल सूची तैयार करना, अनुज्ञात किये जाने वाले कार्यकलापों और प्रभाव क्षेत्र की सूची विकसित करना, संरक्षण और युक्तियुक्त उपयोग के लिए कार्य नीतियां परिभाषित करना, सतत् प्रंबधन हेतु आवश्यक निर्देश जारी करना सम्बन्धी कार्य किया जाना शामिल है।
उन्होंने बताया कि आद्र्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत उप नियम 5 के प्रावधान अतंर्गत राज्य आद्र्रभूमि प्राधिकरण का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि उपनियम 5 के अनुसार राजकीय सदस्यों के अतिरिक्त गैर सरकारी सदस्य के रूप में आद्र्रभूमि पारिस्थितिकी, जल विज्ञान, मत्स्य की, भू दृश्य योजना और सामाजिक आर्थिक क्षेत्र का एक-एक विशेषज्ञ राज्य सरकार द्वारा मनोनीत किया जाना है।
श्री चौधरी ने बताया कि वैटलेण्डस का चयन कर विकास करने की विभाग की कोई योजना नहीं हैं। जिला कलक्टरों द्वारा आद्र्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत इसरो द्वारा प्रकाशित नेशनल एटलस वैटलेण्डस में संधारित डेटा अनुसार प्रदेश के हर जिले में वैटलेण्ड्स को चिन्हित किया जाना है एवं प्रबंध योजना तैयार की जानी है। आद्र्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के प्रावधानों के अनुसार वैटलेण्ड्स का विकास संबधित स्वामित्व वाले विभाग द्वारा आद्र्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत किया जाना है।
उन्होंने बताया कि वैटलेण्ड ऑथोरिटी के अध्यक्ष एवं सदस्यों द्वारा कई वैटलेण्ड्स जैसे कि सांभर झील, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर), चन्दलाई (जयपुर), बरखेडा (जयपुर), आनासागर (अजमेर), नक्की झील (माउन्ट आबू), फतेहसागर एवं पिछौला झील (उदयपुर), कायलाना (जोधपुर), इत्यादि का निरीक्षण किया गया है। इन वैटलेण्ड्स के संबध में जिला कलक्टरों एवं संबंधित स्वामित्व वाले विभागों से चर्चा कर उचित दिशा निर्देश दिये गये है।