जयपुर, 17 दिसंबर। सर्दी के मौसम में शीतलहर का प्रकोप शुरू हो जाता है। ऐसे में पशुओं को भी शीतलहर से बचाना जरूरी होता है, वरना पशुधन बीमार पड़ सकता है।
पशुपालन, गोपालन एवं डेयरी मंत्री श्री जोराराम कुमावत ने कहा है कि राज्य में ठंड बढ़ने के साथ कुछ जगहों पर शीतलहर की शुरुआत हो चुकी है। कई जिलों में तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया जा रहा है। इतने कम तापमान से न केवल इंसान बल्कि पशु पक्षी भी प्रभावित होते हैं। खासकर दुधारू पशुओं के दुग्ध उत्पादन पर ठंड का बहुत असर पड़ता है। अधिक ठंड के कारण दुधारू पशु अक्सर जल्दी बीमार पड़ते हैं और दूध देना कम कर देते हैं। इसके कारण पशुपालकों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
उन्होंने पशुपालकों से अपील की है कि वे सर्दी के मौसम में अपने पशुओं का विशेष ध्यान रखें। उन्हें ठंड से बचाएं, रात के समय पशुओं को खुले में न बांधें। उन्हें कंबल या जूट के बोरों से ढंककर रखें। दिन के समय संभव हो तो उन्हें धूप में रखें। उन्होंने कहा कि ठंड के समय में पशुओं के आहार का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए। उनके खुराक मे सूखा चारा, मोटा अनाज, सरसों की खल आदि की अधिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पशुओं को सप्ताह में दो बार गुड़ जरूर खिलाना चाहिए। उन्होंने पशुशाला को साफ और सूखा रखने की सलाह भी पशुपालकों को दी। उन्होंने कहा कि पशुओं के आश्रय स्थल एवं पशु शालाओं में समय-समय पर डिसइनफेक्टेंट का छिड़काव करके उन्हें विसंक्रमित भी करना चाहिए।
पशुपालन मंत्री ने कहा कि विभाग द्वारा पशुओं की देख भाल को लेकर समय समय पर निर्देश जारी किए जाते हैं पशुपालक उन निर्देशों का पालन करें। जरूरत पड़ने पर अपने नजदीक के पशु चिकित्सालय या उप केंद्र में संपर्क करें।