जयपुर, 22 मार्च। राजस्व मंत्री श्री रामलाल जाट ने मंगलवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि प्रदेश में जहाँ-जहाँ राजस्व भूमि को वन विभाग की भूमि घोषित किया गया है लेकिन अभी भी राजस्व रिकॉर्ड में इन्द्राज सही नही है, उसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर उचित निर्णय लिया जायेगा।
श्री जाट प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा इस सम्बन्ध में पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने हस्तक्षेप कर कहा कि प्रदेश के सभी नगरपालिका क्षेत्रों में राजस्व जमीन को वन विभाग में घोषित कर दिया, लेकिन वन विभाग को जितनी जमीन घोषित की गई है , उसका राजस्व इन्द्राज सही नहीं हुआ है। इस कारण हर जगह यह समस्या है कि वन विभाग कहता है कि यह हमारी जमीन है और राजस्व विभाग कहता है कि जमीन हमारी है। अध्यक्ष द्वारा इस समस्या का स्थाई समाधान कर उचित व्यवस्था करने की मांग पर राजस्व मंत्री ने आश्वस्त किया कि शीघ्र ही एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर उचित निर्णय लिया जायेगा।
राजस्व मंत्री ने कहा कि चौहटन विधानसभा क्षेत्र की जिस जमीन का उल्लेख किया है उस पर वर्ष 2017 से स्टे होने के बावजूद वहां रास्ता दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर वन विभाग भी न्यायालय में गया हुआ है। उन्हाेंने कहा कि दूसरा मामला भगवान सिंह बनाम राज्य सरकार का है, जिसमें गौचर भूमि में रास्ता दिया गया है जो गलत है। उन्होंने कहा किा यह सही है कि कोर्ट के स्टे के बावजूद इस जमीन में से रास्ता दिया गया है जिसको जिला कलक्टर को जाँच के निर्देश दिये है।
उन्होंने बताया कि तीसरा मामला छागना बनाम राज्य सरकार का है। उन्होंने कहा कि चौहटन तहसील क्षेत्र पूरा ऑनलाईन हो चुका है फिर भी कई जगह जमीन की वास्तव में किस्म अलग दर्ज है और वास्तविकता अलग है। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में भी 30 नवम्बर 2021 को एक समिति गठित की गई है जिसमें तहसीलदार धनाव, नायाब तहसीलदार चौहटन एवं रामसर गिरदावर सहित दो हल्का पटवारी शामिल है।
राजस्व मंत्री ने बताया कि बस स्टैण्ड चौहटन की जमीन जो मौके पर है वह कागजों में अलग बोल रही है और इनमे हेराफेरी का अन्देशा है, इसलिए इसकी सैटेलाइट के माध्यम से जाँच की कार्यवाही की जायेगी। साथ ही जो रास्ता का प्रकरण है उसमें भी उचित कार्यवाही की जायेगी।
उन्होंने बताया कि बाकी प्रकरणों में तहसीलदार के स्थान पर उपखण्ड अधिकारी को ओआईसी बनाया गया है तथा राजस्व बोर्ड से पत्रावली मंगवाकर जल्द ही इन प्रकरणों में पेशी लगवाकर निस्तारण के प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि उक्त जमीन पर 11 बिस्वा में रास्ता देने के अतिरिक्त कोई पक्का निर्माण नहीं है।
इससे पहले विधायक श्री पदमाराम के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में राजस्व मंत्री ने बताया कि ग्राम पंचायत चौहटन के अन्तर्गत एक ही राजस्व ग्राम चौहटन है जो ग्राम पंचायत मुख्यालय के साथ ही तहसील एवं उपखण्ड मुख्यालय भी है। ग्राम पंचायत चौहटन के नाम वर्तमान में खाता संख्या 338 में 18 खसरा नम्बरान की कुल रकबा 920-10 बीघा भूमि आबादी के रूप में दर्ज है। उन्होंने आबादी भूमि का खसरावार विवरण बताते हुए कहा कि ग्राम पंचायत चौहटन के खाता संख्या 338 में 11 खसरा नम्बरान की कुल रकबा 2993-10 बीघा भूमि गैर मुमकिन गौचर के रूप में दर्ज है। साथ ही ग्राम चौहटन में राजस्व रिकॉर्ड अनुसार खाता संख्या 1 में निम्नानुसार राजकीय भूमि दर्ज है।
उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत को आबादी हेतु आंवटित मूल खसरा संख्या 642 के दो खसरा संख्या 1131/642 एवं 1187/642 आबादी भूमि के रूप में दर्ज है तथा इसी मूल खसरा संख्या 642 में से वर्ष 1994 में 940 बीघा भूमि रक्षित वन क्षेत्र के रूप में अधिसूचित की गई थी लेकिन राजस्व नक्शें में वन विभाग को आंवटित भूमि की तरमीम 940 बीघा के स्थान पर 665 बीघा की दर्ज है। वन विभाग के नाम खसरा संख्या 1169/642 रकबा 940 बीघा राजस्व में दर्ज है। उन्होंने बताया कि वन विभाग को आंवटित भूमि के रकबे में एवं राजस्व नक्शें में भिन्नता के कारण सहायक कलक्टर न्यायालय, चौहटन में वाद संख्या 14/2022 अन्तर्गत धारा 131, 136 राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत विचाराधीन है, जिसमें आगामी सुनवाई तिथि 25 मार्च 2022 नियत है। अर्थात मूल खसरा संख्या 642 से आबादी भूमि एवं वन विभाग को आंवटित भूमि के सीमाज्ञान पश्चात स्पष्ट होने पर कि कौनसी भूमि वन विभाग की है तथा कौनसी भूमि आबादी की है तथा शेष राजकीय भूमि का स्पष्ट ज्ञान होने पर तद्नुसार किस भूमि पर अतिक्रमण है या नहीं इसका चिन्हीकरण किया जा सकेगा ।
राजस्व मंत्री ने कहा कि भूमि की पैमाईस हेतु टीम गठित की जाकर सीमाज्ञान के आदेश दिये जा चुके है। उन्होंने इसकी प्रति सदन के पटल पर रखी । उन्होंने बताया कि ग्राम विकास अधिकारी चौहटन ने भी अपने पत्र दिनांक 16 मार्च 2022 से वन विभाग एवं ग्राम पंचायत के मध्य सीमा विवाद होने तथा सीमाज्ञान की कार्यवाही पूर्ण नहीं होने तक आबादी भूमि पर अतिक्रमण चिन्हित किया जाना संभव नहीं बताया है।
राजस्व मंत्री ने बताया कि इसके अलावा सरकारी भूमि का खसरा संख्या 625/11 जिसका वर्तमान संशोधित व विभाजित खसरा संख्या कमशः 1086/625 रकबा 25-09 बीघा एवं खसरा संख्या 1634/625 रकबा 4-00 बीघा जमाबन्दी में दर्ज है, लेकिन ग्राम चौहटन के लट्ठे में तरमीम अनुसार उक्त दोनो खसरों का कुल रकबा 20-00 बीघा है तथा उक्त 20-00 बीघा भूमि मौके पर खाली है, जिस पर किसी प्रकार का अतिक्रमण नही है। उक्त भूमि के संबंध में न्यायालय सहायक कलक्टर एवं उपखण्ड अधिकारी चौहटन में राजस्व वाद संख्या 44/2004 अनवान छगना बनाम तहसीलदार चौहटन वगेरा में दिनांक 28 दिसम्बर 2005 से मूल वाद के निर्णय तक मौके एवं राजस्व रिकॉर्ड की यथास्थिति बनाए रखने के आदेश है। इसके अलावा राजकीय खसरा संख्या 1152/642 रकबा 18-05 बीघा किस्म गैर मुमकिन गोचर जमाबन्दी में दर्ज है, जिसके संबंध में राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर में भगवानसिंह बनाम राजस्थान सरकार में स्थगन है ।
उन्होंने बताया कि खसरे की भूमि पर किसी प्रकार का पक्का निर्माण नही है । वर्तमान में उक्त खसरे पर अस्थाई केबिन व हाथ - ठेले रखे हुए है तथा प्राईवेट बस स्टैण्ड के उपयोग में ली जा रही है। उन्होंने इससे संबन्धित विवरण सदन के पटल पर रखा। इसके अलावा ग्राम चौहटन के अन्य किसी भी सरकारी खसरे पर अतिक्रमण नहीं है ।