उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर बड़ा बयान देते हुए कहा-ज्ञानवापी को अगर मस्जिद कहेंगे, तो विवाद होगा। सीएम योगी ने पूछा, त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है? हमने तो नहीं रखे। इतना ही नहीं उन्होंने कहा, इस मामले में मुस्लिम पक्ष को आगे आना चाहिए और उन्हें कहना चाहिए कि ऐतिहासिक गलती हुई है, उस गलती के लिए हम चाहते हैं समाधान हो।
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी ANI के पॉडकास्ट में अपनी बात रख रहे थे। इस दौरान ज्ञानवापी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में सीएम योगी ने कहा, ''ज्ञानवापी को अगर मस्जिद कहेंगे, तो विवाद होगा। भगवान ने जिसको दृष्टि दी है, वह देखे न। त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है? हमने तो नहीं रखे। वहां ज्योतिर्लिंग हैं, देवप्रतिमाएं हैं। दीवारें चिल्ला चिल्ला कर क्या कह रही हैं?'' उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से प्रस्ताव आना चाहिए, कि साहब ऐतिहासिक गलती हुई है, उस गलती के लिए हम चाहते हैं समाधान हो।''
क्या है ज्ञानवापी प्रकरण
1991 में, काशी विश्वनाथ मंदिर के भक्तों द्वारा एक मुकदमा दायर किया गया था, जिसके पास ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर भगवान विश्वेश्वर मंदिर को नष्ट करने के बाद किया गया था।
अंजुमन इस्लामिया मस्जिद कमेटी ने किया था विरोध
इस मामले में एक याचिका अंजुमन इस्लामिया मस्जिद कमेटी (एआईएमसी) द्वारा दायर की गई थी, जो मस्जिद का प्रबंधन करती है। समिति ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का हवाला देते हुए मामले की स्थिरता पर सवाल उठाया है। अधिनियम के अनुसार, 15 अगस्त 1947 को मौजूद पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र में परिवर्तन निषिद्ध है।
ज्ञानवापी प्रकरण में 1991 में दायर की गई पहली याचिका
1991 पूजा स्थल अधिनियम की तरह, इस मामले की जड़ें भी वर्ष 1991 में हैं। मामले में पहली याचिका स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर ने 1991 में वाराणसी अदालत में दायर की थी। याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने के अधिकार की मांग की गई थी।