मई 1997 में भारतीय वायु सेना के एक विमान ने इस्लामाबाद के ऊपर उड़ कर पूरे पाकिस्तान को दहशत में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इस घटना में पाकिस्तानी वायु सेना को घुसपैठिए भारतीय विमान को रोकने के लिए अपने यूएस (अमेरिका) निर्मित एफ-16 लड़ाकू विमानों को खदेड़ने के लिए मजबूर भी किया, लेकिन सब कुछ व्यर्थ ही रह गया क्योंकि जिस ऊँचाई पर भारतीय वायु सेना के टोही विमान ने उड़ान भरी थी, उस ऊँचाई पर उड़ने वाला विमान पाकिस्तान के पास नहीं था और न ही पाकिस्तानी वायु सेना के पायलटों को इतनी ऊँचाई पर विमान उड़ाने का अनुभव था।
ये कारनामा करने वाला भारतीय वायु सेना का विमान मिग-25 का एक टोही संस्करण था, जो उस समय तक का भारत में सबसे उत्कृष्ट और सबसे तेज लड़ाकू श्रेणी का विमान था और Su-30MKI की तरह, इसे भी रूस में डिज़ाइन किया गया था। मिग-25 का टोही संस्करण विमान, जिसे मिग-25आर कहा जाता है, ध्वनि की गति से तीन गुना अधिक तेज गति से उड़ सकता है।
27 मई 1997 के दिन एकाएक पाकिस्तान की राजधानी हिल उठी। तेज धूप वाले दिन में विमान की तेज गति के कारण पैदा होने वाले सोनिक बूम के बम विस्फोट जैसी आवाजों ने इमारतों के शीशें हिला दिए थे । इस्लामाबाद के ऊपर भारतीय टोही मिग -25 ने सोनिक बूम की घटना को अंजाम दिया था । तुरंत पाक वायु सेना ने घटना के पीछे भारतीय वायु सेना के मिग -25 द्वारा सोनिक बूम होने का पता लगाया लेकिन पाकिस्तानी कुछ नहीं कर सकते थे क्योंकि भारतीय विमान 70,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ कर आया था।पाकिस्तानी वायुसेना का तत्कालिन अमेरिका आयातित एफ-16 भी इस ऊंचाई के करीब आने की क्षमता नहीं रखता था। फिर भी पाकिस्तानी वायुसेना ने भारतीय वायु सेना के विमान को मार गिराने के लिए अपने बेहतरीन F-16 विमानों को रवाना किया लेकिन वे विमान भारतीय वायुसेना के विमान को देख तक नहीं पाए।
जब पाकिस्तान ने आधिकारिक रूप से इस घटना की शिकायत दर्ज करवाते हुए कहा कि घुसपैठियें विमान द्वारा पाकिस्तानी राजधानी इस्लामाबाद के महत्वपूर्ण परिसरों के फ़ोटो लिए गए थे। इस पर भारत ने कहा कि इस घटना के पीछे किसी भारतीय विमान का कोई हाथ नहीं है। हालांकि कुछ एक्सपर्ट कहते है कि पाकिस्तानी वायु सेना को सिर्फ ये दिखाने के लिए भारतीय विमान गए थे कि भारत के खिलाफ किसी भी गलत हिमाकत से पहले भारतीय विमान दुश्मन की राजधानी में घुस कर सुरक्षित वापस लौट सकते है।