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Current News / उपराष्ट्रपति ने शिक्षाविदों से कहाः हमें सामान्य स्तर से उठकर विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक बनने की आकांक्षा रखनी चाहिए

clean-udaipur उपराष्ट्रपति ने शिक्षाविदों से कहाः हमें सामान्य स्तर से उठकर विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक बनने की आकांक्षा रखनी चाहिए
DINESH BHATT May 07, 2022 10:47 AM IST

उपराष्ट्रपति  श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज इस बात पर बल दिया कि अर्थव्यवस्था और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालयों को बौद्धिक संपदा अधिकारों के तहत कार्यान्वयन योग्य पेटेंट को अधिक महत्व देना चाहिए। उन्होंने बेहतर शोध परिणामों के लिए उद्योगों और संस्थानों के बीच संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता बताई।

आज चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के 69वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें केवल उसी से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, जो हमने हासिल किया है। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय को सामान्य स्तर से उठकर विश्व स्तर के शीर्ष दस विश्वविद्यालयों में रैंक हासिल करने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया।

श्री नायडु ने विश्वविद्यालयों से कहा कि वे अपने संस्थानों में ऐसा वातावरण तैयार करें जिसमें शिक्षकों का निरंतर व्यावसायिक विकास हो सके। उन्होंने संकाय सदस्यों से अभूतपूर्व अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा।

इस बात पर बल देते हुए कि पथ-प्रवर्तक नवाचारों और अत्याधुनिक अनुसंधानों के माध्यम से विश्वविद्यालयों को ज्ञान क्रांति में सबसे आगे होना चाहिए उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों और सरकार के बीच घनिष्ठ संपर्क होना चाहिए ताकि अधिक सशक्त नीतियां तैयार की जा सकें।

उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा सभी के लिए सुलभ और वहनीय बनाने का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी शिक्षा से व्यक्ति के निजी दृष्टिकोणसामाजिक सामंजस्य और समावेशी राष्ट्रीय विकास में सकारात्मक परिवर्तन आएगा। उन्होंने कहा, हमारे सपनों का नया भारत आकांक्षाओं और नई दक्षताओं पर आधारित होगा। यह हमारे द्वारा अपनी कक्षाओं में दिए जाने वाले ज्ञानकौशल और दृष्टिकोण तथा हमारी कार्यशालाओं और प्रयोगशालाओं में हमारे द्वारा प्रोत्साहित किए जाने वाले नवाचारों के आधार पर निर्मित होगा।"

इस बात पर जोर देते हुए कि शिक्षा को हमारे इस ग्रह को देखने के तरीके और अपने साथी मनुष्यों के साथ बातचीत करने के तरीके को परिवर्तित करना चाहिए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारा जीवन गुरु नानक देवजी के पांच गुणों से प्रकाशित होना चाहिए अर्थात् - सत (ईमानदारसच्चा व्यवहार)संतोख (संतोष)दया (करुणा)निम्रता (विनम्रता) और प्यार (प्रेम)। उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि ये सिद्धांत हमें बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।

उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि वे दुनिया को बदलने के लिए अपने ज्ञान का उपयोग करें और एक राष्ट्र के रूप में हमारे सामने आने वाली कई चुनौतियों का समाधान करने के लिए सक्रिय रूप से काम करें। उन्होंने कहा, "उच्च लक्ष्य रखेंखुद को अपने उज्ज्वल भविष्य और अपने राष्ट्र के निर्माण के लिए समर्पित करें। उसके बाद सफलता और संतृप्ति मिलेगी। ”

भारतीय शिक्षा का 'भारतीयकरणकरने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रशंसा करते हुएश्री नायडु ने प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह इच्छा भी व्यक्त की कि लोक भाषाओं को प्रशासनअदालतों और विधायिकाओं की भाषा के रूप में इस्तेमाल किया जाए।

भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सही शिक्षा और प्रोत्साहन से हमारे युवा किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर देश को गौरवान्वित कर सकते हैं। उन्होंने युवाओं से एक नए भारतएक समृद्ध भारतएक खुशहाल और शांतिपूर्ण भारत के निर्माण के लिए काम करने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा, "यह हमारा लक्ष्य होना चाहिए।"

शांति को प्रगति की पूर्व शर्त बताते हुएश्री नायडु ने सभी विश्वविद्यालयों से यह देखने का आह्वान किया कि परिसरों में शांति बनी रहे और छात्र अपना ध्यान अकादमिक उत्कृष्टता हासिल करने पर केंद्रित करें। उन्होंने समाज में एकता और सद्भाव के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इन मूल्यों को हमारे स्कूलों में कम उम्र से ही छात्रों में पैदा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 21वीं सदी में जातिपंथधर्म और लिंग के विभाजन के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। हम सब एक देशभारत के निवासी हैं। ”

देश के उच्च शिक्षा परिदृश्य में खुद के लिए गौरव का स्थान अर्जित करने वाले पंजाब विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुएश्री नायडु ने कहा कि यह एक गौरवशाली अतीतबहुत प्रभावशाली वर्तमान और उज्ज्वल भविष्य वाला विश्वविद्यालय है। उन्होंने खेलों में छात्रों के लगातार अच्छे प्रदर्शन के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की।

उच्च शिक्षा के सभी पहलुओं में पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा की गई प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए  श्री नायडु ने विश्वविद्यालय के कुलपतिसंकाय सदस्यों और सीनेट सदस्यों को विश्वविद्यालय को इतनी अच्छी तरह से चलाने के लिए बधाई दी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले दिनों में पंजाब विश्वविद्यालय सहयोगी अनुसंधानसंकाय और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों के लिए तंत्र बनाकर शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए एक नेता के रूप में उभरेगा।

इस अवसर परउपराष्ट्रपति ने प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकारप्रो. अजय कुमार सूद और स्वदेशी वैक्सीन निर्माण के अग्रदूतोंडॉ. कृष्णा एला और श्रीमती सुचित्रा एला को भी मानद पुरस्कार से सम्मानित किया। इनके अलावा उन्होंने प्रो. जे.एस. राजपूत (शिक्षा), आचार्य कोटेचा (भारतीय चिकित्सा), सुश्री रानी रामपाल (खेल), प्रो. जगबीर सिंह (साहित्य)श्री ओंकार सिंह पाहवा (उद्योग) और श्री खांडू वांगचुक भूटिया (कला) को पंजाब विश्वविद्यालय रत्न पुरस्कारों से सम्मानित किया। उपराष्ट्रपति ने भारत के सभी भागों से आई इन असाधारण प्रतिभाओं को सम्मानित करने के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की और आशा व्यक्त की कि अन्य विश्वविद्यालय भी इस उदाहरण का अनुसरण करेंगे।

अपने संबोधन में श्री नायडु ने छात्रों को नियमित रूप से योग या खेलों में भाग लेने और अपने शरीर की क्षमता बढ़ाने की सलाह दी। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अपनी शारीरिक आवश्यकताओं और जलवायु परिस्थितियों के अनुसार हमारे पूर्वजों द्वारा निर्धारित उचित रूप से पका हुआ पारंपरिक भोजन खाएं। उन्होंने कहा, "यदि आप प्रकृति के साथ मित्रवत हैं और अपनी संस्कृति का पालन करते हैंतो आपका भविष्य उज्ज्वल होगा।"

इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल श्री बनवारीलाल पुरोहितहरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेयपंजाब के मुख्यमंत्री श्री भगवंत मानहरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लालवाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाशपंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार, पंजाब विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार सीए विक्रम नैयर के अलावा मानद उपाधि से सम्मानित  भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार श्री अजय कुमार सूदविश्वविद्यालय के संकाय सदस्यछात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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