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Current News / हम अब यात्रा या आयात के माध्यम से उन देशों को सशक्त बनाने का जोखिम नहीं उठा सकते जो हमारे हितों के प्रतिकूल हैं और संकट के समय हमारे विरूद्ध खड़े हैं: उपराष्ट्रपति

clean-udaipur हम अब यात्रा या आयात के माध्यम से उन देशों को सशक्त बनाने का जोखिम नहीं उठा सकते जो हमारे हितों के प्रतिकूल हैं और संकट के समय हमारे विरूद्ध खड़े हैं: उपराष्ट्रपति
Dinesh Bhatt May 17, 2025 06:54 PM IST

भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा, "क्या हम उन देशों को सशक्त बनाने का जोखिम उठा सकते हैं जो हमारे हितों के प्रतिकूल हैंसमय आ गया है जब हममें से प्रत्येक को आर्थिक राष्ट्रवाद के बारे में गहराई से सोचना चाहिए," उन्होंने कहा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि, "हम अब अपनी भागीदारी के कारण उन देशों की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार करने के लिए यात्रा या आयात के माध्यम से जोखिम नहीं उठा सकते हैं जो देश संकट के समय हमारे देश के विरूद्ध खड़े होते हैं।"

आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए , श्री धनखड़ ने कहा, "प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र की सुरक्षा में सहायता करने का अधिकार है। व्यापारव्यवसायवाणिज्य और उद्योग विशेष रूप से सुरक्षा के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमें हमेशा एक बात ध्यान में रखनी चाहिएऔर वह है: राष्ट्र सर्वप्रथम। हर चीज को गहरी प्रतिबद्धताअटूट प्रतिबद्धताराष्ट्रवाद के प्रति समर्पण के आधार पर माना जाना चाहिए और यह मानसिकता हमें अपने बच्चों को पहले दिन से ही सिखानी चाहिए।"

उन्होंने चल रहे ऑपरेशन सिंदूर की भी सराहना की और भारत के सशस्त्र बलों को श्रद्धांजलि दी। "मैं इस अवसर पर- क्योंकि मैं विशेष रूप से देश के युवाओं को संबोधित कर रहा हूँ- चल रहे ऑपरेशन सिंदूर की उल्लेखनीय सफलता के लिए सभी सशस्त्र बलों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व का अभिवादन करता हूँ।"

इस ऑपरेशन को पहलगाम में हुए बर्बर हमले का करारा जवाब बताते हुए उन्होंने कहा, "यह एक उल्लेखनीय प्रतिशोध था। यह पहलगाम में हुई बर्बरता के लिए शांति और शांति के हमारे लोकाचार के अनुरूप था। यह 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद हमारे नागरिकों पर सबसे घातक हमला था। इस देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत के हृदय स्थल बिहार से पूरे विश्व को एक संदेश दिया। वे खोखले शब्द नहीं थे। विश्व को अब एहसास हो गया है: जो कहा जाता है वह वास्तविकता है। अब कोई सबूत नहीं मांग रहा है। विश्व ने इसे देखा है और स्वीकार किया है। हमने यह पूर्व में भी देखा है- कैसे वह देश आतंकवाद में गहराई से लिप्त है। "जब सशस्त्र सैनाएं काल बनती है और राजनीतिक शक्ति उनके साथ होती है तो भारत कितनी अच्छी तरह से सिंदूर के साथ न्याय करता है।"

श्री धनखड़ ने कहा कि भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों में एक नया मानक स्थापित हुआ है। "युद्ध के तरीकों और आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई में एक नया मानक स्थापित हुआ है। भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान की सीमा के अंदर बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद को निशाना बनाया। अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार - जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालयलश्कर-ए-तैयबा का अड्डामुरीदके को निशाना बनाया गया। कोई सबूत नहीं मांग रहा है। विश्व ने इसे देखा है और स्वीकार किया है।"

उन्होंने आगे कहा, "यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी सीमा पार की गई स्ट्राइक है। यह स्ट्राइक सावधानीपूर्वक और सटीक तरीके से की गई थी ताकि आतंकवादियों को छोड़कर किसी को कोई नुकसान न पहुंचे।"

श्री धनखड़ ने मई, 2011 को अमेरिका द्वारा की गई कार्रवाई को याद करते हुए कहा, "यह मई, 2011 को हुआ थाजब एक वैश्विक आतंकवादी ने 2001 में अमेरिका के अंदर 11 सितंबर के हमले की योजना बनाईउसकी निगरानी की और उसे अंजाम दिया। अमेरिका ने भी उसके साथ ऐसा ही किया। भारत ने ऐसा किया है और वैश्विक समुदाय की जानकारी में ऐसा किया है।"

भारत की सभ्यतागत विशिष्टता पर विचार करते हुएश्री धनखड़ ने कहा, "एक राष्ट्र के रूप में हम अद्वितीय हैं। विश्व का कोई भी राष्ट्र 5,000 साल पुरानी सभ्यतागत परंपराओं पर गर्व नहीं कर सकता। हमें पूर्व और पश्चिम के बीच की खाई को पाटने की जरूरत हैउसे खत्म करने की नहीं।"

श्री धनखड़ ने कहा, "हम राष्ट्र विरोधी बयानों को कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं या अनदेखा कर सकते हैंविदेशी विश्वविद्यालयों का हमारे देश में आना ऐसी चीज है जिसमें सावधानी रखने की आवश्यकता है। इसके लिए गहन चिंतन की आवश्यकता है। यह ऐसी चीज है जिसके बारे में हमें बेहद सावधान रहना होगा।"

शिक्षा और शोध के मामले में उपराष्ट्रपति ने व्यावसायीकरण के विरूद्ध सावधान किया। "यह देश शिक्षा के व्यावसायीकरण और वस्तुकरण को बर्दाश्त नहीं कर सकता। यह निर्विवाद हैयह मौजूद है। हमारी सभ्यता के अनुसार शिक्षा और स्वास्थ्य धनार्जन के लिए नहीं हैं। ये समाज को वापस देने के लिए हैं। हमें समाज के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा।"

उद्योग जगत के नेताओं से आह्वान करते हुए उन्होंने शोध के महत्व पर जोर दिया। "कॉर्पोरेट जगत को शैक्षणिक संस्थानों को वितीय सहायता उपलब्ध करायी जानी चाहिए। सीएसआर कोष को प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि शोध में निवेश आवश्यक है।"

उन्होंने याद दिलाते हुए कहा"वे दिन चले गए जब हम दूसरों द्वारा प्रौद्योगिकी विकसित करने की प्रतीक्षा करते थे। अगर हम ऐसा करते हैंतो हम शुरू से ही निर्भर हो जाते हैं, हमें इससे बचना चाहिए।"

इस अवसर पर जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष श्री शरद जयपुरियाजयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष की धर्मपत्नी श्रीमती अंजलि जयपुरियाजयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के उपाध्यक्ष श्री श्रीवत्स जयपुरिया तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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