नई दिल्ली, 3 जून: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज घोषणा की कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में भौतिक, संज्ञानात्मक और कार्यात्मक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करेंगे। इसके साथ ही सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में निरंतर इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के उपयोग के प्रभाव का भी अध्ययन करेंगे, जो भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है।
उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री का शोध अंतरिक्ष में कंकाल संबंधी मांसपेशियों की शिथिलता तथा इन प्रभावों से निपटने के लिए चिकित्सीय रणनीतियों के मूल्यांकन पर भी केंद्रित होगा।
डॉ. सिंह ने कहा कि गगनयात्री शुभांशु शुक्ला टार्डिग्रेड्स जैसे एक्सट्रीमोफाइल्स के पुनरुद्धार, अस्तित्व और प्रजनन पर प्रयोग करेंगे। ये सूक्ष्म जीव, चरम स्थितियों में अपने लचीलेपन के लिए जाने जाते हैं और इन पर शोध कार्य पृथ्वी से परे जीवन की स्थिरता की वैज्ञानिक समझ को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
एक्सट्रीमोफाइल्स ऐसे जीव हैं जो बहुत गर्म, ठंडे, अम्लीय या नमकीन क्षेत्रों जैसे चरम वातावरण में पाए जाने वाली परिस्थितियों के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित होते हैं।
टार्डिग्रेड जिन्हें वॉटर बियर या मॉस पिगलेट भी कहा जाता है, एक सूक्ष्म जीव है जो चरम स्थितियों में भी जीवित रह सकता है। इसमें रीढ़ की हड्डी नहीं होती है. टार्डिग्रेड्स को अपनी कठोरता और जीवित रहने की क्षमता के लिए जाना जाता है.
डॉ. सिंह ने मिशन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "यह राष्ट्रीय गौरव की बात है कि एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री इस अंतर्राष्ट्रीय मिशन में परिभाषित वैज्ञानिक जिम्मेदारियों के साथ एक सक्रिय भागीदार है।"
ग्रुप कैप्टन शुक्ला भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं, उनके साथ प्रशांत नायर, अंगद प्रताप और अजीत कृष्णन भी हैं। ग्रुप कैप्टन पीबी नायर को एक्सिओम-4 मिशन के लिए “मिशन विकल्प” के रूप में नामित किया गया है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान आईएसएस में भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने पर भी चर्चा हुई थी। वर्ष 2014 से लागू नीतियों के कारण भारतीय नागरिकों की श्रीहरिकोटा तक अभूतपूर्व पहुंच संभव हो सकी है और न्यूस्पेस पहल में भारत के नेतृत्व को बढ़ावा मिला है।
भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगनयान पर डॉ. सिंह ने कहा कि इस समय परीक्षण चरण चल रहे हैं, और मिशन को 2027 की शुरुआत में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने ऐसे अंतरिक्ष प्रयोगों को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए बहुत बदलावकारी बताया और इस बात पर जोर दिया कि इनसे देश को अंतरिक्ष क्षेत्र में वास्तव में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि निकट भविष्य में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने का अनुमान है, जो विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 भारत की अंतरिक्ष यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र में विस्तार करने का साहसिक निर्णय लिया, जिससे निजी क्षेत्र की भागीदारी, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त हुआ।
डॉ. सिंह ने अंतरिक्ष और गहरे समुद्र दोनों में मानव अन्वेषण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि विशाल तटीय संसाधनों के बावजूद भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था का अभी भी तक पूर्ण दोहन नहीं हुआ है और गहरे समुद्र मिशन का उद्देश्य इस क्षमता का दोहन करना है।
उन्होंने भारत की परमाणु ऊर्जा रणनीति का उल्लेख करते हुए कहा कि इस क्षेत्र का बजटीय आवंटन बढ़ाया गया है, तथा भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों का विकास चल रहा है, ताकि देश के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को सहारा देते हुए 2070 तक नेट जीरो लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने नागरिक उड्डयन क्षेत्र के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हवाई यात्रा आम नागरिक के लिए सुलभ हो गई है। कई नए हवाई अड्डों का उद्घाटन किया गया है और पायलटों की मांग बढ़ रही है। इस समस्या से निपटने के लिए सीएसआईआर-एनएएल ने दो सीटों वाला ट्रेनर विमान विकसित किया है और निजी क्षेत्र के सहयोग से इलेक्ट्रिक हंसा (ई-हंसा) का उत्पादन बढ़ाने के लिए काम चल रहा है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ये घटनाक्रम भारतीय वैज्ञानिक प्रगति के एक नए युग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें वैश्विक अंतरिक्ष मिशनों में सार्थक भागीदारी और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और नेतृत्व की दिशा में स्पष्ट प्रगति दिखाई देती है।