निजी हित के आगे UIT उदयपुर नतमस्तक, संबंधों के आगे कानून दरकिनार !
उदयपुर का कोडियात गाँव जो कि ग्रीन बेल्ट का हिस्सा है , में धड़ल्ले से होटल और अन्य व्यावसायिक निर्माण जोरों पर है। ऐसे में कोडियात टनल के पास स्थित होटल ताज अरावली रिसोर्ट एंड स्पा ने ढेरों अनियमिताएं कर ग्रीन बेल्ट की धज्जियां उड़ायी है जिसका हम पहले भी किस्सा उजागर कर चुके है कि उक्त होटल ने अमरजोंक नदी में मलबा डाल नदी में अतिक्रमण कर पिछोला के पानी को रोकने का प्रयास किया है।
अब दो कदम आगे बढ़ते हुए अपने निर्माण खसरा नं 158 / 1,159, 2311/160 और 161 कुल 2.0700 हेक्टर भूमि का पर्यटन रूपांतरण की फाइल UIT उदयपुर में लगाई है। आपको बताते चले कि इन खसरा तक पहुँचने का रास्ता एक नदी खसरा 106 में होकर गुजरता है व इन खसरा पर पुर्व में होटल के कमरे बने है व होटल संचालित की जा रही है।
इससे पहले सचिव, UIT, उदयपुर द्वारा अपने पत्र सँख्या F11 (5) Regin-1/2014 / 233-235 दिनांक 14.07.2017 को कोई रास्ता नहीं होने के कारण उक्त भूमि का रूपांतरण करने से साफ मना कर दिया था।
लेकिन मेसर्स ईशान क्लब एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड (जो कि ताज अरावली एंड रिसोर्ट की प्राइमरी मालिक कंपनी ) द्वारा खसरा नं 158 / 1,159, 2311/160 और 161 कुल लग्जरी टेंट के रूप में पक्के कमरों का निर्माण करवा रखा है जिनमे ईंट और मोर्टार की दीवारें, एयर-कंडीशनिंग, शौचालय आदि पहले से मौके पर हैं ,इसलिए यह नियमन का मामला है नाकि रूपांतरण का मामला ।
माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर के गुलाब कोठारी बनाम राजस्थान राज्य में ग्रीन बेल्ट में अवैध निर्माण के नियमन पर रोक लगाई गई है व यह भूमि ग्राम बुझड़ा की है जो ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में आता है।
इससे पूर्व ईशान क्लब ने 2014 में कन्वर्शन के लिए UIT में फ़ाइल लगाई और रास्ते नहीं होने की वजह से फ़ाइल रिजेक्ट भी हो गयी थी।
इसके बाद ईशान क्लब ने 2015 में पुनः कन्वर्शन के लिए UIT में फ़ाइल लगाई और रास्ते नहीं होने की वजह से पुनः फ़ाइल रिजेक्ट हो गयी।
रास्ते के लिए बुझड़ा सरपंच द्वारा तहसीलदार कोर्ट में केस लगाया जो हार गए। इस केस की अपील कमिश्नर कोर्ट में हुई और 2015 में नदी में 0.0900 है का रास्ता मिला।
इस रास्ते होने के बाद ईशान क्लब ने 2017 में कन्वर्शन के लिए UIT में फ़ाइल लगाई। तत्कालीन UIT सचिव राम निवास ने तहसीलदार गिर्वा से कमिश्नर कोर्ट के आदेश के अनुसार रास्ते की रिपोर्ट मांगी। तहसीलदार गिर्वा ने रास्ते को नदी का हिस्सा माना। इस रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन UIT सचिव रामनिवास ने रास्ते की चौड़ाई कम होने की वजह से फ़ाइल रिजेक्ट कर दिया।
इस बार नया दाव लगाते हुए फरवरी 2019 में ईशान क्लब द्वारा 2015 के आदेश पर पुनः कन्वर्शन की फ़ाइल लगाई गई। इस बार UIT के अधिकारियों ने नियम के विरुद्ध जाकर इसका 90 A कर दिया।
जबकि उप जिला कलेक्टर गिरवा ने अमरजोक नदी के खसरों का इंद्राज का प्रकरण जो कि वर्ष 2011 में लगा था , वर्ष 2015 में नदी में अतिक्रमण मानकर खारिज कर दिया। उक्त प्रकरण की अपील संभागीय आयुक्त उदयपुर के कोर्ट में 17/ 6/ 2015 में की गई, जहाँ माननीय संभागीय आयुक्त द्वारा मात्र 3 महीने में इसे सही ठहरा कर 22 सितंबर 2015 में नदी को पाटकर रास्ता बनाने का आदेश पारित कर दिया। यह रास्ता का क्षेत्र 0.0900 है। यानी कि तकरीबन 10 फीट चौड़ा रास्ता बनाने का आदेश हुआ। इस रास्ते को जन उपयोगी बताया गया जबकि इस रास्ते से कोई गांव नहीं जुड़ता बल्कि सिर्फ एक होटल विशेष के पास जाकर समाप्त हो जाता है। अति तो तब हो गई जब स्थानीय प्रशाषन द्वारा उक्त रास्ते के सौंदर्यीकरण के लिए एनएलसीपी का करोड़ों रुपए का बजट भी अनुदान भी एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा कराया गया।
इस रास्ते को दर्शाते हुए जब होटल ने अपनी भूमि को संपरिवर्तन करवाना चाहा तो तहसीलदार गिर्वा ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट बता दिया कि उक्त रास्ता पुख्ता नही होकर नदी के नदी का ही भाग है। इस वजह से इस रास्ते का कोई अलग खसरा नंबर भी दर्ज नही है।
सूत्र बता रहे कि इस बार पुनः पर्यटन रूपांतरण के लिए फ़ाइल UIT उदयपुर ऑफिस में लगायी गयी है जहाँ नियमों की इस मामले में कितनी पालना की जाएगी, ये देखना दिलचस्प होगा।
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