नागालैंड फायरिंग मामलें में सुरक्षाबलों पर लगाये गए आरोप सत्य नहीं है और न ही ये ख़ुफ़िया एजेंसी की नाकामी थी। बताया जा रहा है कि इंसरजेसी टास्क फोर्स की तरफ से विश्वसनीय इनपुट दिए गए थे कि विद्रोही गुट NSCN के लोग इलाके में है । बता दें कि नागालैंड के मोन जिले में एक के बाद एक गोलीबारी की तीन घटनाओं में सुरक्षाबलों की गोलियों से कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 11 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने रविवार को बताया कि गोलीबारी की पहली घटना संभवत: गलत पहचान का मामला थी। इसके बाद हुए दंगों में एक सैनिक की भी मौत हो गई।
सूत्रों के मुताबिक, दो एजेंसियों द्वारा खुफिया सूचना थी कि विद्रोहियों का मूवमेंट इलाकें में है। लेकिन आखिरी वक्त पर किसी ने विद्रोहियों को सूचना दी थी और वे उस आंदोलन में स्थानीय लोगों की घुसपैठ कराने में सफल रहे। सूत्रों के मुताबिक टास्क फोर्स को ये पता नहीं था कि इसमें आम नागरिक जुड़ गए हैं। दावा ये भी किया जा रहा है कि हो सकता है कि ग्रामीणों ने विद्रोहियों को हमले से बचाने की कोशिश की और वे मारे गए। सूत्रों का ये भी कहना है कि ये लोग समय-समय पर नागा का समर्थन करते रहते हैं।
वही, सेना ने घटना की ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ का आदेश देते हुए बताया कि इस दौरान एक सैन्यकर्मी की मौत हो गई और कई अन्य सैनिक घायल हो गए। यह घटना और उसके बाद जो हुआ, वह ‘अत्यंत खेदजनक’ है और लोगों की मौत होने की इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की उच्चतम स्तर पर जांच की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश सरकार ने आईजीपी नगालैंड की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।
एनएससीएन (NSCN) समूह के आतंकवादियों की गतिविधि के बारे में पुष्टि की गई खुफिया जानकारी भारतीय सेना के सूत्रों के पास थी और सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर थे।
ऐसे में एक नागरिक वाहन को चेक पोस्ट पर रोका गया। लेकिन ये वाहन रुकने की बजाय आगे भाग गया। इसे दोबारा एक अन्य चेक पोस्ट पर रोका गया और लेकिन फिर भी वाहन नहीं रुका और ज्यादा स्पीड से वाहन भागने लगा।
इसी बीच सुरक्षा बलों ने गाड़ी के टायरों पर फायरिंग की। इसके बाद वाहन रुक गया और कुछ लोग हथियार लेकर गाड़ी से बाहर निकले। सुरक्षा बलों ने हथियार देख कर उन पर गोलीबारी की क्योंकि उन्हें संभावित खतरा माना जा रहा था। लगभग साढ़े पाँच बजे थे और उत्तर पूर्व में इस समय अंधेरा होना शुरू हो जाता है।
लेकिन बाद में पता चला कि वे निजी हथियारों से लैस शिकारी थे। जल्द ही, भीड़ जमा हो गई और सुरक्षा बलों को पीटने की कोशिश की गई। सुरक्षा बलों ने गुस्सा कम करने का प्रयास कर भीड़ को शांत करने का प्रयास किया। अचानक भीड़ में से एक शख्स ने धारदार दाह हथियार लेकर आगे बढ़ा और एक सिपाही का गला रेत दिया। जिससे सिपाही की जान चली गई।
जवानों ने आत्मरक्षा में फायरिंग शुरू कर दी। इसमें शामिल सभी सैनिक घायल हैं, जिनमें से अधिकांश की हालत गंभीर है।
यह बात जानना जरूरी है कि भारतीय सेना अपने स्वयं के जीवन की कीमत पर भी उच्चतम स्तर का संयम बरतती है। नागरिकों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण थी लेकिन जब भीड़ सैनिकों पर हमला करती है और फिर उनसे जवाबी कार्रवाई न हो ,ऐसी उम्मीद करना बेमानी है।