वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर के तहखाने में 31 साल बाद फिर से नियमित पूजा अर्चना शुरू हो गई है। कोर्ट ने इस आदेश का पालन करने के लिए 7 दिनों का वक्त दिया था, लेकिन जिला प्रशासन ने आदेश आने के कुछ ही घंटों के अंदर आदेश की तामीली करा दी । मुस्लिम पक्ष को जिला अदालत का आदेश और जिला प्रशासन की चुस्ती रास नहीं आई और वह एक बार फिर अफजल गुरु मामले की टैक्टिक अपनाते हुए रात में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इसके बाद सुनवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पूरी रात ड्रामा चला। हालांकि इस सबके बावजूद मुस्लिम पक्ष को कोई राहत नहीं मिल पाई और कोर्ट ने उसे हाईकोर्ट जाने की सलाह देकर सुनवाई से इनकार कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक ज्ञानवापी मामला जिस तरीके से अदालत में आगे बढ़ रहा है, उसके अंजाम की आशंका कहीं न कहीं मुस्लिम पक्ष के मन में भी है। यही वजह है कि मुस्लिम पक्ष ने बीते दिन सुबह सुप्रीम कोर्ट खुलने तक का इतंज़ार भी नहीं किया। तकरीबन सुबह करीब 3 बजे का वक़्त था, जब मस्जिद कमेटी के वकीलों की टीम दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के घर पहुंच गई। वकीलों ने रजिस्ट्रार से जिला जज के उस आदेश पर रोक की मांग की, जिसमें व्यासजी के तहखाने में पूजा अर्चना की इजाजत दी गई थी।
चीफ जस्टिस ने दी हाईकोर्ट जाने की सलाह
वकीलों ने रजिस्ट्रार से आग्रह किया कि जब तक वो कोई दूसरा कानूनी राहत का विकल्प आजमाते है तब तक सुप्रीम जल्द सुनवाई कर इस आदेश पर रोक लगा दें. करीब एक घन्टे तक वकील रजिस्ट्रार को समझाते रहे. उनकी लगातार मांग के बाद सुबह 4 बजे रजिस्ट्रार ने मुस्लिम पक्ष की मांग को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया। सुबह उठने पर चीफ जस्टिस ने मुस्लिम पक्ष की अर्जी देखी और तथ्य देखने के बाद तय किया कि अभी सीधे सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई करना ठीक नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष अगर कोई कानूनी राहत चाहता है तो इलाहाबाद हाई कोर्ट जा सकता है।
ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास तहखाना में पूजा पर रोक लगाने की मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई से इनकार के बाद कमेटी ने हाईकोर्ट (एचसी) का रुख किया है। मुस्लिम पक्ष के वकील जहीर असगर ने बताया कि तहखाने में पूजा की अनुमति देने वाले वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इससे पहले तहखाना में पूजा की इजाजत देने वाले आदेश के खिलाफ कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया था। साथ ही कमेटी को हाईकोर्ट जाने का सुझाव भी दिया था।
ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी तहखाने में पूजापाठ के वाराणसी कोर्ट के आदेश के खिलाफ मस्जिद पक्ष ने आज तड़के तीन बजे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सीजेआई ने फाइल देखने के बाद मस्जिद पक्ष को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था। सीजेआई ने मुस्लिम पक्ष के वकीलों से कहा कि आपको कोई भी राहत चाहिए तो आप हाईकोर्ट जा सकते हैं।
30 साल बाद पूजा-पाठ की दी थी इजाजत
बता दें कि जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के तहखाने में 30 साल बाद पूजा-पाठ की इजाजत दी थी। आदेश पर अमल करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने कड़ी सुरक्षा में तहखाने में देर रात से ही पूजा-अर्चना शुरू करा दी। गुरुवार तड़के मंगला आरती भी हुई।
जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बुधवार को अपने आदेश में कहा कि व्यासजी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा राग-भोग व्यास परिवार और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के पुजारी से कराएं। जिला जज ने अपने ऑर्डर में लिखा है कि रिसीवर जिला मजिस्ट्रेट को यह निर्देश दिया जाता है कि वह चौक थाना क्षेत्र के सेटलमेंट प्लाट नंबर-9130 में स्थित भवन के दक्षिण के तरफ स्थित तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा राग-भोग पुजारी से कराएं।
इसके साथ ही अदालत ने कहा कि इस संबंध में रिसीवर सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ का उचित प्रबंध कराएं। अदालत ने मुकदमे की सुनवाई की अगली तिथि 8 फरवरी दी है। इस बीच वादी और प्रतिवादी पक्ष अपनी आपत्तियां प्रस्तुत कर सकते हैं।
ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी का तहखाना जिलाधिकारी को सुपुर्द किए जाने और वहां दिसंबर 1993 के पहले के जैसे ही पूजा-पाठ करने की अनुमति के संबंध में 25 सितंबर 2023 को जिला अदालत में शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास ने वाद दाखिल किया था।