उदयपुर में झीलों में जलीय जीवों पर संकट कम करने और प्रदूषण को रोकने के लिए झील प्रेमियों ने राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था । इस पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए आदेश दिया था कि उदयपुर की झीलों में 6 माह के अंदर सभी नावे बैट्री और सोलर से संचालित की जाए। पीछोला झील का पानी शहरवासियों के पीने के काम आता है, वहीं झील प्रेमी झीलों को प्रदूषण मुक्त चाहते है, जिससे जलीय जीवों की मौत ना हो।
माननीय उच्च न्यायालय,जोधपुर में उदयपुर निवासी जी पी सोनी द्वारा दायर विविध सिविल स्टे (CMS - civil miscellaneous stay) प्रार्थना पत्र संख्या (8179/2021) में तीन कामों पर स्टे माँगा गया था
- चाँदपोल से ब्रह्म पोल की प्रस्तावित पुलनुमा सड़क जो पीछोला के डूब क्षेत्र में प्रस्तावित थी, पर रोक लगाई ज़ाय।
- डीजल-पेट्रोल नावों के संचालन पर रोक
- मछली पकड़ने के ठेकों पर रोक
इनमें से दो पर आदेश हो गए, तीसरा विचाराधीन है।
8179/2021 प्रकरण में 30 मार्च 2022 को जारी आदेश जिसमें उदयपुर की झीलों में 6 माह के भीतर सौर ऊर्जा बैटरी आधारित इंजन से रिप्लेस करने के आदेश जारी किए गए थे । उक्त आदेश के अनुपालना में 6 माह के भीतर दिनांक 30 सितंबर 2022 तक करने के लिखित सहमति नाव संचालकों द्वारा प्रदान की गई थी।
उदयपुर की झीलों में नाव संचालन और सीमांकन को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कहा था कि आगामी 6 महीनों में उदयपुर की झीलों में चलने वाली पेट्रोल और डीजल की नावों को बैटरी और सोलर आधारित व्यवस्था में बदलना होगा। वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और विनोद कुमार भारबनी की बेंच में यह निर्णय स्वप्रेरणा के प्रकरण और झील प्रेमी ज्ञान प्रकाश सोनी द्वारा पेश एक प्रार्थना पत्र में उठाई गई आपत्तियों के आधार पर दिया था।
इस पर तीन दिन पहले UIT ने आदेश जारी कर कहा कि दिनांक 1 अक्टूबर 2022 से फतहसागर झील में माननीय उच्च न्यायालय जोधपुर के आदेशों के अनुपालना में सिर्फ बैटरी सोलर आधारित इंजन से नौका संचालन करने के आदेश दिए गए है। अन्य जीवाश्म ईंधन से नौका संचालन करते हो पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। UIT ने आदेशों के पालन हेतु अपना एक गार्ड भी मौके पर लगा दिया और फतहसागर पर नाव संचालन पर रोक लगा दी ।
लेकिन नगर निगम उदयपुर ने हाई कोर्ट के आदेशों की परवाह न करते हुए अभी तक पीछोला में पेट्रोल/डीजल चलित नाव को रोकने हेतु कोई तात्कालिक आदेश नहीं जारी किए है। इसके साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि स्थानिय अधिकारी अगली पेशी में हाई कोर्ट से 3 महीने अतिरिक्त माँगने का आग्रह करेंगें।
लेकिन इस कहानी में बड़ा पेच है।
हाई कोर्ट ने विविध सिविल स्टे (CMS - civil miscellaneous stay) प्रार्थना पत्र संख्या (8179/2021)और झील संरक्षण समिति द्वारा दायर सिविल रिट संख्या 1374/2019 ( वाद में स्वरूप सागर पर बनने वाली चौपाटी पर रोक, पहाड़ कटाई के मापदंडों में परिवर्तन व उभेश्वर से पहले सेना के निर्माणों में कमियों के मुद्दे हैं। यह प्रकरण 2019 का है और इसमें स्वरूप सागर चौपाटी पर स्टे मिल चुका है, बाक़ी मुद्दे विचाराधीन हैं) को क्लब करते हुए 20 जुलाई 2022 को आदेश जारी किए थे। आदेश में कहा गया कि पीछोला झील को 24 मई 2022 को संरक्षित झील के तौर पर नोटिफाइड किया जा चुका है। चूंकि पीछोला झील संरक्षित झील है ,इसलिए पीछोला झील में किसी भी तरह की गतिविधियों की अनुमति के लिए इससे संबंधित आवश्यक नियम और कानून के दायरे में दी जाएगी। साथ ही स्थानीय शासन के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया है कि उदयपुर की सभी संरक्षित झीलों में जीवाश्म आधारित नावों को रोकने के लिए 6 माह का समय सभी स्थानीय निकायों को सूचित कर दिया गया है और इसके लिए निर्धारित समय 30 सितंबर 2022 को समाप्त हो रहा है।
इसका सीधा मतलब ये हुआ कि स्थानीय प्रशासन जब पहले ही माननीय हाई कोर्ट में ये स्वीकार कर चुका है कि उसने जीवाश्म आधारित नावों के संचालन को रोकने हेतु 6 माह की समय सीमा के बारे में संबधित अथॉरिटी को बता दिया है तो अब किस आधार पर उसे 3 महीने का अतिरिक्त समय मिल पाएगा, ये यक्ष प्रश्न है।