मुम्बई,18 जनवरी 2022 : रेणुका शिंदे और सीमा गावित ने 1995-96 में 13 बच्चों का अपहरण कर 13 में से 9 बच्चों का विभत्स तरीके से हत्या कर दी थी। उक्त प्रकरण में दोनों बहनों को सत्र न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन सजा को अमल में लाने में राज्य सरकार का सिस्टम फैल हो गया।
अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने 1996 के बाल हत्याकांड की आरोपी सीमा और रेणुका गावित की फांसी रद्द कर दी है। कोर्ट ने अमानवीय अपराध के लिए कोल्हापुर की रेणुका शिंदे और सीमा गावित की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया है।
इससे पहले फांसी देने में देरी होने पर सवाल करते हुए दोनों बहनों ने फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने की अपील की थी। इसे मानते हुए मुंबई उच्च न्यायालय ने दोनों के लिए उम्र कैद की सजा सुना दी।
साल 2001 में सत्र न्यायालय ने सीमा गावित और रेणुका शिंदे को फांसी की सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने भी सत्र न्यायालय के फैसले को सही ठहराया था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी फांसी पर माफी ना देते हुए सजा दिए जाने के आदेश पर मुहर लगा दी थी लेकिन फांसी की सजा देने के फैसले के बाद इसे अमल में लाने में हो रही देरी की वजह से दोनों बहनो ने कोर्ट में अपील कर दी जहाँ मुंबई उच्च न्यायालय ने फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया।
कोल्हापुर सत्र न्यायालय ने सौतेली बहनों को 13 बच्चों के आश्चर्यजनक अपहरण और उनमें से 9 को बेरहमी से मारने के लिए दोषी ठहराया और 2001 में उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। बाद में 2004 में बॉम्बे हाई कोर्ट और फिर 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा की पुष्टि की।