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Current News / द हिंदू समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार “भूमिहीन शिविर में, आवंटियों से अधिक निराश आवेदको की संख्या' का केन्द्र सरकार ने किया खंडन

clean-udaipur द हिंदू समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार “भूमिहीन शिविर में, आवंटियों से अधिक निराश आवेदको की संख्या' का केन्द्र सरकार ने किया खंडन
दिनेश भट्ट November 05, 2022 01:19 PM IST

नई  दिल्ली, 05 नवंबर 2022 :  2 नवंबर 2022 को 'द हिंदू' अखबार में प्रकाशित एक खबर की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है, जिसका शीर्षक है 'भूमिहीन शिविर में, आवंटियों से अधिक निराश आवेदकों की संख्या'। उपरोक्त खबर तथ्यात्मक रूप से गलत है।

इस खबर में में दो लाभार्थियों के नाम का उल्लेख है, जो (सुश्री) कमला हलदर और (सुश्री) मीता राय हैं, जिन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने भुगतान कर दिया है और दस्तावेज जमा करने की प्रक्रिया को भी पूरा कर लिया है, लेकिन 2 नवंबर 2022 को कब्जा पत्र और चाबियां सौंपे गए लाभार्थियों की सूची में उनका नाम शामिल नहीं हैं।

यह स्पष्ट किया जाता है कि सुश्री कमला हलदर ने यह पुष्टि करने के लिए अपना बैंक विवरण प्रस्तुत नहीं किया कि उक्त राशि उनके स्वयं के बैंक खाते या उनके परिवार के सदस्य के खाते के माध्यम से जमा की गई है। नियम के अनुसार, आवंटी को अपने स्वयं के खाते या अपने परिवार के सदस्य के खाते से अपेक्षित राशि जमा करनी होती है और सभी मामलों में इस पहलू के सत्यापन का पालन किया जाता है। चूंकि, कई अनुरोधों के बावजूद सुश्री हलदर द्वारा उपरोक्त दस्तावेज जमा नहीं किया गया था, इसलिए उनका नाम उन लाभार्थी की सूची में शामिल नहीं किया गया था, जिन्हें 2 नवंबर 2022 को चाबियां और कब्जा पत्र सौंपे गए। इसके अलावा 21 अक्टूबर 2022 को सुश्री मीता राय ने अपेक्षित राशि जमा की थी। जब तक इसे लेखा विभाग से सत्यापित किया गया, तब तक लाभार्थियों की सूची तैयार की जा चुकी थी और 2 नवंबर 2022 के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मंजूरी के लिए सूची को सुरक्षा एजेंसियों को भेज दी गई थी।

असत्यापित तथ्यों के आधार पर लिखी गई यह खबर, परियोजना के बारे में नकारात्मक तस्वीर दर्शाती है, जिसमें यह बताया गया है कि आवंटियों से अधिक संख्या उन लोगों की है, जिन्होंने पात्रता सूची में जगह बनायी थी, लेकिन बुधवार के कार्यक्रम में जिन लाभार्थियों को कब्जा पत्र सौंपे जाने वाले थे उनकी सूची में उन लोगों के नाम नहीं मिले, जो सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बावजूद, एक बीएचके फ्लैट के लिए पात्र नहीं माने गए.. जबकि तथ्य यह है कि उन 1862 में से केवल 1010 परिवारों ने भुगतान के दावे के साथ-साथ दस्तावेजों की जांच के संबंध में प्रक्रिया पूरी की थी। संवीक्षा से पता चलता है कि 252 मामलों में कई कमियां पाई गईं जैसे सर्वेक्षण के दौरान प्राप्त पते और दस्तावेज में दिए गए पते में अंतर, 126 मामले भुगतान नहीं करने या कम भुगतान (मांग की गई राशि से कम राशि जमा) के हैं, 57 मामले ऐसे हैं जिसमें पति और पत्नी दोनों को सर्वेक्षण के दौरान जीवित पाया गया लेकिन पति या पत्नी में से एक की मृत्यु/लापता होने की सूचना मिली। एकल पति/पत्नी/आवंटी के नाम पर फ्लैट को बदलने के लिए दाखिल खारिज की कानूनी आवश्यकता का पालन किया जा रहा है। डीडीए के अधिकारी इन आवंटियों के साथ लगातार संपर्क में हैं ताकि कब्जा सौंपने के लिए औपचारिकताएं/अतिरिक्त दस्तावेज पूरे करने में उनकी सहायता की जा सके। दस्तावेज/भुगतान में उक्त कमियों के कारण इन आवंटियों का नाम सूची में शामिल नहीं किया जा सका।

संवाददाता ने उपरोक्त पहलुओं पर डीडीए के अधिकृत अधिकारियों की टिप्पणी लेने की जहमत नहीं उठाई, अजीब तरह से एक इंजीनियर के बयान का उल्लेख किया गया, जो प्रेस को कोई बयान जारी करने के लिए अधिकृत नहीं था। इसलिए, असत्यापित तथ्यों के आधार पर समाचार का एकतरफा निष्कर्ष निकालना बेहद गलत है और यह पत्रकारिता की नैतिकता का उल्लंघन है।

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