आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत, राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव (आरएसएम) का 12वां संस्करण 3 अप्रैल को हैदराबाद में भव्य समापन के साथ सम्पन्न हुआ। 7 दिनों की अवधि में आयोजित किया गया यह उत्सव 26 और 27 मार्च को आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में दो दिवसीय कार्यक्रम के रूप में शुरू हुआ, और इसने 1, 2 और 3 अप्रैल को हैदराबाद में भव्य कार्यक्रम के साथ सम्पन्न होने से पहले 29 और 30 मार्च को वारंगल की यात्रा की।
राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु, तेलंगाना की राज्यपाल श्रीमती तामिलसाई सौंदरराजन, राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन; तमिलनाडु के राज्यपाल, श्री आर.एन. रवि; केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी, केंद्रीय संस्कृति एवं संसदीय मामलों के राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल; केंद्रीय संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।
इस कार्यक्रम में श्रीमती आनंदा शंकर जयंत, पद्मश्री पुरस्कार विजेता सहित प्रमुख शास्त्रीय संगीत कलाकार श्री पी. जया भास्कर; डॉ. एल सुब्रमण्यम तथा लोकप्रिय संगीत कलाकार शंकर-ईशान-लॉय ने भी भाग लिया।
राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव, इस मंत्रालय का प्रमुख महोत्सव है जिसे वर्ष 2015 से सात क्षेत्रीय संस्कृति केंद्रों की सक्रिय भागीदारी के साथ आयोजित किया जा रहा है। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के 12वें संस्करण ने हमारी विरासत के 3 सी - संस्कृति, शिल्प और भोजन को प्रदर्शित करने और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आरएसएम भारत की जीवंत सांस्कृतिक विविधता को सभागार और दीर्घाओं तक सीमित रखने के बजाय इसे जनता तक पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
यह उत्सव "एक भारत श्रेष्ठ भारत" के पोषित लक्ष्य को हासिल करने के लिए अन्य राज्यों में लोक और जनजातीय कला, नृत्य, संगीत, व्यंजन और संस्कृति को प्रस्तुत करने में भी सहायक रहा है। इसके साथ ही यह कलाकारों और कारीगरों की आजीविका में मदद करने के लिए भी एक प्रभावी मंच उपलब्ध करा रहा है। नवंबर, 2015 से अब तक आरएसएम के विभिन्न राज्यों और शहरों जैसे दिल्ली, वाराणसी, बेंगलुरु, तवांग, गुजरात, कर्नाटक, टिहरी, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में ग्यारह संस्करण आयोजित किए जा चुके हैं।
आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के तेलुगु राज्यों में आरएसएम कार्यक्रम का यह पहला अवसर है और इसमें सभी स्थानों पर रिकॉर्ड उपस्थिति देखी गई है। इस कार्यक्रम में लगभग 10 पद्म पुरस्कार विजेताओं ने या तो आरएसएम ब्रॉण्ड एंबेसडर या कलाकार के रूप में मंच की शोभा बढ़ाई या उन्होंने जीवन के सभी वर्गों के प्रतिष्ठित नागरिकों को सम्मानित किया है।
मंच प्रदर्शन
इस महोत्सव में लोक और आदिवासी कला, नृत्य, संगीत, व्यंजन और संस्कृति का प्रदर्शन किया जा रहा है जो कलाकारों और कारीगरों को उनकी आजीविका में मदद करने के लिए एक प्रभावी मंच उपलब्ध कराता है। इसमें लगभग 1000 कला का प्रदर्शन करने वाले कलाकारों, पाक कला विशेषज्ञों और शिल्पकारों ने अपने कौशल का प्रदर्शन किया है और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया है।
आरएसएम का यह 12वां संस्करण भव्य दृष्टि और इस तथ्य के कारण और भी अधिक महत्व रखता है कि इसका आयोजन तब हो रहा था जब हम कोविड-19 महामारी से बाहर निकल रहे थे। इस महामारी ने प्रदर्शन करने वाले कलाकारों, विशेष रूप से लोक कलाकारों की आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। इस आयोजन के माध्यम से मंत्रालय देश भर के कलाकारों को अति आवश्यक सहायता प्रदान करने में सक्षम रहा है। आरएसएम ने भारत सरकार को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों के कलाकारों को शोभा यात्रा आयोजित करने और मंच पर स्थानीय प्रदर्शन करने में स्थानीय सरकारों के साथ भागीदारी करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराया है।
आरएसएम ने लोकप्रिय कलाकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का भी अवसर प्रदान किया है, जिनमें भारत रत्न पुरस्कार विजेता सुश्री लता मंगेशकर को उनकी हालिया सद्गति पर, पद्मश्री पुरस्कार विजेता घंटाशाला वेंकटेश्वर राव और महान तेलुगु संगीत निर्देशक को उनकी 100वीं जयंती पर तथा एस.पी. बालसुब्रमण्यम को 2020 में उनकी सद्गति के अवसर पर तथा सिरीवेनेला सीताराम शास्त्री पद्मश्री पुरस्कार विजेता को 2021 में उनकी सद्गति के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करना शामिल है।
समापन लोककला प्रदर्शन में निम्नलिखित परंपराओं में 540 लोक कलाकार शामिल हुए :
- लद्दाख से शांडोल
- महाराष्ट्र से लावणी
- मध्य प्रदेश से राय
- तेलंगाना से लम्बाडी
- झारखंड से करशा
- जम्मू-कश्मीर से रौफ़
- उत्तर प्रदेश से नोर्टा
- बिहार से जाट-जतिन
- नगालैंड से संगथम नागा
- राजस्थान से घड़सिया नृत्य
- मध्य प्रदेश से बधाई
- उत्तर प्रदेश से मयूर नृत्य
- उत्तराखंड से जागोर
- त्रिपुरा से संगराई मोग
- मिजोरम से चेरो
- मणिपुर से लाई हरोबा
- असम से बरदोईशिखाला
- अरुणाचल प्रदेश से गुंटी
- गुजरात से डांगी
- उत्तर प्रदेश से पेडंडा
- हिमाचल प्रदेश से सिरमोरी नाटी
- मेघालय से का शाद मस्ती
- छत्तीसगढ़ से पंथी
- उड़ीसा से संबलपुरी
- गुजरात से सिद्धि धमाल
- पश्चिम बंगाल से चाउ
शिल्प स्टालों और प्रदर्शनियों
स्थापित की गई विभिन्न शिल्प स्टाल पूरे भारत से विभिन्न शिल्प परंपराओं को प्रदर्शित करने में सक्षम थी। शिल्प स्टालों के अलावा, संस्कृति मंत्रालय और क्षेत्रीय आउटरीच ब्यूरो (आरओबी-एम/ओ सूचना और प्रसारण) हैदराबाद द्वारा स्थापित प्रमुख तेलुगु स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में एक प्रदर्शनी तथा मदेती राजाजी मेमोरियल आर्ट एकेडमी द्वारा स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की एक पेंटिंग प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।