भारत माता की जय, भारत माता की जय, जब भी मैं जापान आता हूं तो मैं हर बार देखता हूं कि आपकी स्नेह वर्षा हर बार बढ़ती ही जाती है। आपमें से कई साथी ऐसे हैं जो अनेक वर्षों से यहां बसे हुए हैं। जापान की भाषा, यहां की वेशभूषा, कल्चर खानपान एक प्रकार से आपके जीवन का भी हिस्सा बन गया है, और हिस्सा बनने का एक कारण ये भी है कि भारतीय समुदाय के संस्कार समावेशक रहे हैं। लेकिन साथ साथ जापान में अपनी परंपरा, अपने मूल्य, अपनी जीवन पर धरती उसके प्रति जो commitment है वो बहुत गहरा है। और इस दोनों का मिलन हुआ है। इसलिए स्वाभाविक रूप से एक अपनेपन के महसूस होना बहुत स्वाभाविक होता है।
साथियों,
आप यहां रहे हैं, काफी लोग आप लोग यहां बस गए हैं। मैं जानता हूं कईयों ने यहां शादी भी कर ली है। लेकिन ये भी सही है कितने सालों से यहां जुड़ने के बाद भी भारत के प्रति आपकी श्रद्धा भारत के संबंध में जब अच्छी खबरें आती हैं। तो आपकी खुशियों को पाव नहीं रहता है। होता है ना? और कभी कोई बुरी खबर आ जाये तो सबसे ज्यादा दुखी भी आप ही होते हैं। ये विशेषता हैं हम लोगों की, कि हम कर्मभूमि से तन मन से जुड़ जाते हैं, खप जाते हैं लेकिन मातृभूमि के जो जड़ों से जुड़ाव है उससे कभी दूरी नहीं बनने देते हैं और यही हमारा सबसे बड़ा सामर्थ्य है।
साथियों,
स्वामी विवेकानंद जी जब अपने ऐतिहासिक संबोधन के लिए Chicago जा रहे थे तो उससे पहले वो जापान आए थे और जापान ने उनके मन मंदिर में, उनके मन मस्तिष्क पर एक गहरा प्रभाव छोड़ा था। जापान के लोगों की देशभक्ति, जापान के लोगों का आत्मविश्वास, यहां का अनुशासन, स्वच्छता के लिए जापान के लोगों की जागरुकता, विवेकानंद जी इसकी खुलकर के प्रशंसा की थी। गुरुदेव रवींद्रनाथी जी टैगोर ये भी कहते थे जापान एक ऐसा देश है जो एक ही साथ प्राचीन भी है और आधुनिक भी है। और टैगोर ने कहा था, “Japan has come out of the immemorial east like a lotus blossoming in easy grace, all the while keeping its firm hold upon the profound depth for which it has sprung”. यानि कहना वो चाहते थे। कि जापान कमल के फूल की तरह जितनी मजबूती से अपनी जड़ों से जुड़ा है। उतनी ही भव्यता से वो हर तरफ सुंदरता को भी बढ़ाता है। हमारे इन माहपुरुषों की ऐसी ही पवित्र भावनाएं जापान के साथ हमारे संबंधों की गहराईयों को स्पष्ट करती है।
साथियों,
इस बार जब मैं जापान आया हूं। तो हमारे diplomatic संबंधों को सत्तर साल होने जा रहे हैं, सात दशक। साथियों आप भी यहां रहते हुए अनुभव करते होंगे। हिन्दुस्तान में भी हर कोई अनुभव करता है कि भारत और जापान natural partners है। भारत के विकास यात्रा में जापान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जापान से हमारा रिश्ता आत्मीयता का है, अध्यात्मिकता का है, जापान से हमारा रिश्ता सहयोग का है, अपनेपन का है। और इसलिए एक प्रकार से ये रिश्ता हमारा सामर्थ्य का है, ये रिश्ता सम्मान का है। और ये रिश्ता विश्व के लिए सांझे संक्ल्प का भी है। जापान से हमारा रिश्ता बुद्ध का है, बोद्ध का है, ज्ञान का है। हमारे महाकाल है तो जापान में daikokuten है। हमारे ब्रह्मा हैं, तो जापान में bonten हैं, हमारी मां सरस्तवी है तो जापान में benzaiten हैं। हमारी महादेवी लक्ष्मी है तो जापान में kichijoten हैं। तो हमारे गणेश हैं तो जापान में kangiten हैं। जापान में अगर जैन की परंपरा है तो हम ध्यान को, meditation को आत्मा से साक्षात कार्य का माध्यम मानते हैं।
21वीं सदी में भी भारत और जापान के इन सांस्कृतिक संबंधों को हम पूरी प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं, और मैं तो काशी का सांसद हूं और बड़े गर्व से कहना चाहुंगा कि जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिया पी जब काशी आए थे। तब उन्होंने एक बहुत बढ़िया सौगात काशी को दी। काशी में जापान के सहयोग से बना रुद्राक्ष और जो मेरी कभी कर्मभूमि रही वो अहमदाबाद में जैन गार्डन, और kaizen academy ये ऐसी बातें हैं जो हमें कितनी निकट लाती हैं। यहां आप सभी जापान में रहते हुए इस ऐतिहासिक बंधन को और मजबूत बना रहे हैं और सश्क्त कर रहे हैं।
साथियों,
आज की दुनिया को भगवान बुद्ध के विचारों पर, उनके बताये रास्ते पर चलने की शायद पहले से ज्यादा जरूरत है। यही रास्ता है जो आज दुनिया की हर चुनौती चाहे वो हिंसा हो, अराजकता हो, आतंकवाद हो climate change हो, इन सबसे मानवता को बचाने का यही मार्ग है। भारत सौभाग्यशाली है कि उसे भगवान बुद्ध का प्रत्यक्ष आर्शीवाद मिला। उनके विचारों को आत्मसात करते हुए भारत निरंतर मानवता की सेवा कर रहा है। चुनौतियां चाहे किसी भी प्रकार की हों, कितनी बड़ी क्यों न हो भारत उनका समाधान ढुंढता ही है। कोरोना से दुनिया के सामने जो सौ साल का सबसे बड़ा संकट पैदा हुआ। वो हमारे सामने है और ये जब शुरू हुआ था। तक किसी को नहीं पता था कि आगे क्या होगा। शुरू में तो ऐसे ही लग रहा था वहां आया है, यहां क्या है। किसी को पता नहीं था इसको कैसे हेंडल किया जाए? और वैक्सीन भी नहीं थी और न इस बात का कोई आईडिया था कि वैक्सीन कब तक आएगी। यहां तक की इस बात पर भी doubt थाथा कि वैक्सीन आएगी या नहीं आएगी। चारों तरफ अनिश्चित्ताओं का माहौल था। उन परिस्थितियों में भी भारत ने दुनिया के देशों में दवांए भेजीं। जब वैक्सीन available हुईं तो भारत ने मेड इन इंडिया वैक्सीन अपने करोड़ों नागरिकों को भी और दुनिया के सौ से अधिक देशों को भी भेजी।
साथियों,
अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए भारत अभूतपूर्व निवेश कर रहा है। दुर-सुदूर क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचे इसके लिए देश में लाखों नए wellness centers बनाएं जा रहे हैं। आपको ये जानकर के भी खुशी होगी, शायद आज आपने भी सुना होगा World Health Organization (WHO) ने भारत की आशा वर्कर्स, आशा बहनों को Director General’s Global health leader award से सम्मानित किया है। भारत की लाखों आशा बहनें maternal care से लेकर vaccination तक, पोषण से लेकर स्वच्छता तक देश के स्वास्थ्य अभियान को गति दे रही है गांव के अंदर। मैं आज जापान की धरती से हमारी सारी आशा वर्कर बहनों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। उनको सेल्यूट करता हूं ।
साथियों,
भारत आज किस तरह वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने में मदद कर रहा है। इसका एक और उदाहरण environment का भी है। आज climate change विश्व के सामने मौजूद एक महत्वपूर्ण संकट बन गया है। हमने भारत में इस चुनौती की देखा भी और उस चुनौती से समाधान के लिए रास्ते भी खोजने की दिशा में हम आगे बढ़े। भारत ने 2070 तक Net Zero के लिए commit किया है। हमने International solar alliance जैसे global initiative का भी नेतृत्व किया है। Climate change के कारण दुनिया पर natural disaster का खतरा भी बढ़ गया है। इन disaster के खतरों को उनके प्रदुषण के दुष्प्रभावों को जापान के लोगों से ज्यादा और कौन समझ सकता है। प्राकृतिक आपदाओं से जापान ने लड़ने की क्षमता भी बना दी है। जिस तरह जापान के लोगों ने इन चुनौतियों का सामना किया है। हर समस्या से कुछ न कुछ सीखा है। उसका समाधान खोजा है और व्यवस्थाएं भी विकसित की हैं। व्यक्तियों का भी उस प्रकार से संस्कार किया है। ये अपने आप में सरहानीय है। इस दिशा में भी भारत ने CDRI (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure) में लीड ली है।
साथियों,
भारत आज Green Future, Green Job Career Roadmap के लिए भी बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत में electric mobility को व्यापक प्रोत्साहन दिया जा रहा है। Green Hydrogen को Hydrocarbon का विकल्प बनाने के लिए विशेष मिशन शुरू किया गया है। Bio-fuel से जुड़ी रिसर्च और इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर बहुत बड़े स्कैल पर काम चल रहा है। भारत ने इस दशक के अंत तक अपनी Total Installed Power Capacity का 50 प्रतिशत non fossil fuel से पूरा करने का संकल्प लिया है।
साथियों,
समस्याओं के समाधान को लेकर भारतीयों का जो ये आत्मविश्वास है। ये आत्मविश्वास आज हर क्षेत्र में, हर दिशा में, हर कदम पर दिखाई देता है। ग्लोबल चैन सप्लाई को जिस प्रकार बीते दो सालों में नुकसान पहुंचा है। पूरी सप्लाई चैन सवालिया निशान में घिरी हुई है। आज सारी दुनिया के लिए ये अपने आप में एक बहुत बड़ संकट बना हुआ है। भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए हम आत्मनिर्भरता के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं, और आत्मनिर्भरता का ये हमारा संकल्प सिर्फ भारत के लिए है ऐसा नहीं है। ये एक Stable, Trusted ग्लोबल सप्लाई चैन के लिए भी बहुत बड़ा investment है। आज पूरी दुनिया को यह एहसास हो रहा है कि जिस स्पीड और स्कैल पर भारत काम कर सकता है, वो अभूतपूर्व है। दुनिया को आज ये भी दिख रहा है कि जिस स्कैल पर भारत अपनी Infrastructure institutional capacity building पर जो जोर दे रहा है, यह भी अभूतपूर्व है। मुझे खुशी है कि हमारी इस capacity के निमार्ण में जापान एक अहम भागीदार है। मुंबई अहमदाबाद हाईस्पीड Rail हो, दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर हो, Dedicated Freight कॉरिडोर हो, ये भारत जापान के सहयोग के बहुत बड़े उदाहरण हैं।
साथियों,
भारत में हो रहे बदलावों में एक और खास बात है। हमने भारत में एक स्ट्राँग और resilient, responsible democracy की पहचान बनाई है। उसको बीते आठ सालों में हमने लोगों के जीवन मे सकारात्मक बदलाव का माध्यम बनाया है। भारत की democratic process से आज समाज के वो लोग भी जुड़ रहे हैं। जो कभी गौरव के साथ ये अनुभव नहीं कर रहे थे कि वो भी इसका हिस्सा हैं। हर बार, हर इलेक्शन में record turnout और उसमें भी यहां जो हमारी माताएं-बहनें हैं उनको जरा खुशी होगी। आप अगर भारत के चुनावों को डिटेल में देखते होंगे तो आपको ध्यान आता होगा कि पुरुषों से ज्यादा महिलाएं वोट कर रही हैं। ये इस बात का प्रमाण है। कि भारत में डेमोक्रेसी सामान्य से सामान्य नागरिकों के हकों के प्रति कितनी सजग है, कितनी समर्पित है और हर नागरिक को कितना सामर्थ्यवान बनाती है।
साथियों,
मूल सुविधाओं के साथ-साथ हम भारत के aspiration को भी नई बुलंदी दे रहे हैं, नया आयाम दे रहे हैं। भारत में inclusiveness का, leakage proof governance का यानि एक ऐसी डिलीवरी व्यवस्था, टैक्नालॉजी का भरपूर उपयोग करते हुए एक ऐसे mechanism का विस्तार किया जा रहा है ताकि जो जिस चीज का हकदार है वो बिना मुसीबतें, बिना किसी सिफारिश,बिना कोई करप्शन किए अपने हक को प्राप्त कर सकता है और उसमें हम पूरी ताकत से जुटे हुए हैं। और टैक्नॉलाजी के इस उपयोग ने Direct Benefit Transfer की इस परंपरा ने कोरोना के इस विकल कालखंड में गत दो वर्ष में भारत की और खासकर के भारत के दुर-सुदूर गांव में रहने वाले, जंगलो में रहने वाले हमारे नागरिकों के हकों की बहुत बड़ी रक्षा की है, उनकी मदद की है।
साथियों,
भारत का बैंकिंग सिस्टम इन मुश्किल हालात में भी निरंतर चलता रहा है और उसका एक कारण भारत में जो