2002 गोधरा कांड मामले में गुजरात सरकार के कड़े विरोध के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद के एक दोषी को जमानत दी है। दोषी ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि वह 17 साल से अधिक समय से जेल में बन्द है। आरोपी फारुक ने साबरमती एक्सप्रेस के में फंसे लोगों को बाहर निकलने से रोका था, जब ट्रेन में आग लगी हुई थी। हादसे में बच्चों सहित 59 लोग जिंदा जल गए थे।
सजा के खिलाफ अपील 2018 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी। CJI का कहना था कि वह 17 साल की सजा काट चुका है और उसकी भूमिका ट्रेन में पथराव करने की थी। जमानत का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "यह सबसे जघन्य अपराध में से एक था। लोगों को बोगी में बंद करके जिंदा जलाया गया था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह महज पत्थरबाजी का केस नहीं है, पत्थरबाजी के चलते जलती हुई बोगी से पीड़ित बाहर नहीं निकल पाए थे। पत्थरबाजों की मंशा यह थी कि जलती बोगी से कोई भी यात्री बाहर न निकल सके और बाहर से भी कोई शख्स उन्हें बचाने के लिए न जा पाए।