गुजरात के गोधरा केस में सजायाफ्ता कैदियों को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दिए गए सजायाफ्ता कैदियों को राहत देते हुए सजा-ए-मौत पाए चार कैदियों को छोड़कर अन्य सभी को जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को चीफ जस्टिस की कोर्ट ने कैदियों की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए साफ कहा कि सजा-ए-मौत पाए चार को छोड़कर बाकी दोषियों को जमानत दी जा सकती है जिन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत की शर्तें पूरी कर बाकी लोगों को जमानत पर रिहा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट से जमानत पाने वाले सभी दोषी अजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। दोषियों के वकील संजय हेगड़े ने ईद को देखते हुए इन सबको जमानत पर रिहा करने की अपील की। गौरतलब है कि ये सभी गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में आग लगाने और पथराव के मामले में सजा काट रहे हैं।
जिन लोगों को जमानत मिली है, उनके नाम हैं- अब्दुल सत्तार गद्दी, यूनुस अब्दुल हक, मो. हनीफ, अब्दुल रउफ, इब्राहिम अब्दुल रज़ाक़, अयूब अब्दुल गनी, सोहेब यूसुफ और सुलेमान अहमद। इन सभी लोगों पर ट्रेन में जल रहे लोगों को बाहर आने से रोकने का दोष साबित हुआ है।
जिन 4 लोगों को रिहा करने से कोर्ट ने आज मना कर दिया है, वह हैं- अनवर मोहम्मद, सौकत अब्दुल्ला, मेहबूब याकूब मीठा और सिद्दीक मोहम्मद मोरा। इन पर हत्या में सीधे शामिल होने का दोष साबित हुआ है। गुजरात सरकार ने इनको मौत की सज़ा देने की मांग की है।