नई दिल्ली, 29 सितंबर 2022: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) मामले में फैसला सुनाते हुए महिलाओं को बड़ी राहत दी। उन्होंने कहा कि सभी महिलाओं को गर्भपात कराने का अधिकार है। अदालत ने कहा है कि भारत में अविवाहित महिलाओं को भी एमटीपी एक्ट के तहत गर्भपात कराने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का अर्थ ये है कि अब अविवाहित महिलाओं को भी 24 हफ्ते तक गर्भपात का अधिकार मिल गया है। SC ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी रूल्स के नियम 3-B का विस्तार कर दिया है।
बता दें कि सामान्य मामलों में 20 हफ्ते से अधिक और 24 हफ्ते से कम के गर्भ के एबॉर्शन का अधिकार अब तक विवाहित महिलाओं को ही था। भारत में गर्भपात कानून के तहत विवाहित और अविवाहित महिलाओं में भेद नहीं किया गया है। गर्भपात के उद्देश्य से रेप में वैवाहिक रेप भी शामिल है। SC ने विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच गर्भपात के अधिकार को मिटाते हुए अपने फैसले मे कहा है कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट से अविवाहित महिलाओं को लिव-इन रिलेशनशिप से बाहर करना असंवैधानिक है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत प्रजनन की स्वायत्तता गरिमा और गोपनीयता का अधिकार एक अविवाहित महिला को ये हक देता है कि वह विवाहित महिला के समान बच्चे को जन्म दे या नहीं।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सभी महिलाएं सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं।SC का कहना है, किसी महिला की वैवाहिक स्थिति को अनचाहे गर्भ को गिराने के अधिकार से वंचित करने का आधार नहीं हो सकता है। एकल और अविवाहित महिलाओं को गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक चिकित्सा समाप्ति अधिनियम और नियमों के तहत गर्भपात का अधिकार है।