नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने विवादित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सीलबंद क्षेत्र की पानी टंकी की सफाई के लिए वाराणसी जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश देने की, कुछ हिंदू महिलाओं की एक याचिका मंगलवार को स्वीकार कर ली।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिका स्वीकार की।
पीठ ने मुस्लिम पक्ष की इस दलील को संज्ञान में लिया कि, उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। मुस्लिम पक्ष के वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने पीठ के समक्ष कहा कि, उनके मुवक्किल को पानी टंकी की सफाई को लेकर कोई आपत्ति नहीं है, प्रशासन को सफाई करने दें।
इसके बाद पीठ ने निर्देश दिया कि कुछ हिन्दू महिलाओं ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी कि, 2022 के बाद से पानी की टंकी की सफाई नहीं हुई है। यह भी आरोप है कि, सफाई नहीं होने से मछलियाँ मर गयी हैं और दुर्गन्ध फैल रही है।पानी की टंकी की सफाई इस अदालत के पिछले आदेशों को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन वाराणसी की देखरेख में की जानी चाहिए। इस मामले में दाखिल याचिका में अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने महिलाओं की ओर से अदालत से गुहार लगाते हुए कहा कि, 16 मई 2022 को सर्वे होने के बाद पानी की टंकी की सफाई नहीं हुई है।
याचिका में कहा गया, "पानी की टंकी में मछलियाँ मर गई हैं। इसी वजह से टंकी से दुर्गंध आ रही है।"
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि, याचिकाकर्ता अंजुमन इंतेज़ामिया मछलियों की उस स्थिति के लिए ज़िम्मेदार है, जिसके कारण उनकी मृत्यु हुई है।
याचिका में कहा गया, "यदि वाराणसी जिला मजिस्ट्रेट के अनुरोध के अनुसार मछलियों को स्थानांतरित कर दिया गया होता तो वर्तमान दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति उत्पन्न नहीं होती। चूंकि, वहां मौजूद शिवलिंगम हिंदुओं के लिए पवित्र है अतः उसे गंदगी और मृत जानवरों से दूर रखा जाना चाहिए।"