नई दिल्ली, 24 जून 2022 :सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 64 लोगों को एसआईटी द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। ये याचिका जाकिया जाफरी ने दायर की थी जो कि गुजरात दंगों मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं।
जस्टिस एम. खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीडी रविकार की बेंच ने मामले को बंद करने संबंधी 2012 में सौंपी गई एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करने के विशेष मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि जाफरी की याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है। जकिया जाफरी ने 2002 के गुजरात दंगों में एक बड़ी साजिश का आरोप लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात में 2002 में हुए दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री को दी गई क्लीन चिट सही है। उन्होंने दंगों को शांत करने के लिए पूरी कोशिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की एस आई टी की रिपोर्ट सही थी। पूर्व सीबीआई निदेशक आर के राघवन की अगुवाई वाली एसआईटी ने मोदी और तत्काल प्रशासन को क्लीन चिट दी थी। कोर्ट ने आज एसआईटी की उस रिपोर्ट पर मुहर लगा दी, जिसमें कहा गया था की तत्कालीन मोदी सरकार ने दंगों की साजिश नहीं रची थी. इसमें मोदी या उनके अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
कांग्रेस नेता और सांसद एहसान जाफरी 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे। इससे एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे। इन घटनाओं के बाद ही गुजरात में दंगे भड़क गए थे।
जकिया जाफरी ने एसआईटी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को मामले में दी गई क्लीन चिट को चुनौती दी थी। जाकिया ने हाईकोर्ट के पांच अक्टूबर, 2017 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नौ दिसंबर को याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।