नई दिल्ली,01 नवंबर 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बलात्कार के मामलों में "टू-फिंगर टेस्ट" करने पर रोक लगा दी । कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने वालों को दोषी माना जाएगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अफसोस जताते हुए कहा कि ‘टू फिंगर टेस्ट’ आज भी किया जा रहा है।
जस्टिस चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली एक पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस अदालत ने बार-बार बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में टू-फिंगर टेस्ट के इस्तेमाल की निंदा की है। इस टेस्टिंग का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। क्योंकि साइंस इस तरह के टेस्ट को पूरी तरह से नकारती है। साइंस का मानना है कि महिलाओं की वर्जिनिटी में हाइमन के इनटैक्ट होना सिर्फ एक मिथ है।पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘दुर्भाग्य की बात है कि यह प्रणाली अब भी व्याप्त है. महिलाओं का गुप्तांग संबंधी परीक्षण उनकी गरिमा पर कुठाराघात है। यह नहीं कहा जा सकता कि यौन संबंधों के लिहाज से सक्रिय महिला के साथ दुष्कर्म नहीं किया जा सकता।’’ एक रेप मामले में सजा बरकरार रखते हुए न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीश हिमा कोहली की बेंच ने ये फैसला सुनाया।
क्या होता है टू फिंगर टेस्ट (Two Finger Test)
इस टेस्ट में डॉक्टर महिला के प्राइवेट पार्ट में उंगली डालकर यह बताने का दावा करता है कि वह महिला सेक्सुअली एक्टिव है या नहीं।इसका मतलब ये हुए कि वह महिला नियमित तौर पर यौन संबंध बनाती है अथवा नहीं? ताकि ये पता लगाया जा सके कि महिला के साथ शारीरिक संबंध बने थे या नहीं? अगर प्राइवेट पार्ट में आसानी से दोनों उंगलियां चली जाती हैं तो महिला को सेक्चुली एक्टिव माना जाता है और इसे ही महिला के वर्जिन या वर्जिन न होने का भी सबूत मान लिया जाता है। ये हाथों से जांच की एक पुरानी प्रक्रिया है।