05 अक्टूबर 2022 : मोहन भागवत ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्थापना दिवस के अवसर पर नागपुर में देश की बढ़ती जनसंख्या को लेकर अहम बात कही है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या बोझ है, लेकिन ये साधन भी बन सकता है। मोहन भागवत ने देश की जनसंख्या को लेकर एक ऐसी योजना बनाने का सुझाव रखा, जिसका प्रभाव 50 साल बाद तक देखने को मिले।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मोहन भागवत ने कहा है कि भारत को गंभीर मंथन कर एक व्यापक जनसंख्या पॉलिसी लाने की जरूरत है। उन्होंने नागपुर में आयोजित संघ के विजयादशमी उत्सव कार्यक्रम में कहा कि जनसंख्या में प्रमाण का भी संतुलन चाहिए। उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन का गंभीर परिणाम हम भुगते हैं। ये पचास साल पहले हुआ था लेकिन आज के समय में भी ऐसा हो रहा है। पूर्वी तिमोर नाम का एक नया देश बना, दक्षिण सुड़ान नाम का एक देश बना,कोसोवो बना।
जनसंख्या में अंतर आने से नए देश बन गए, देश टूट गए। जन्म दर इसका देश भाग है, लेकिन जोर-जबरदस्ती, छल-कपट और लालच से मतांतरण इसका बड़ा फैक्टर है।जहां सीमा पार से घुसपैठ होती है वहां घुसपैठ से भी जनसंख्या पैटर्न में बदलाव आता है। इस संतुलन का ध्यान रखना देशहित की दृष्टि से अनिवार्य बात है।
एक व्यापक जनसंख्या नीति की पैरवी करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि जनसंख्या की एक समग्र नीति बने और वे सब पर समान नीति से लागू हो, और एक बार जनसंख्या नीति बनने के बाद किसी को छूट न मिले, और समाज इसके स्वीकार करे इसलिए मन बनाकर ऐसी जनसंख्या नीति लाया जाए ऐसी आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि अपने देश की जनसंख्या विशाल है, इसमें कोई दो राय नहीं है। जनसंख्या का विचार आजकल दोनों प्रकार से होता है। इस जनसंख्या के लिए उतनी मात्रा में साधन आवश्यक होंगे, वह बढ़ती चली जाए तो भारी बोझ, कदाचित असह्य बोझबनेगी। इसलिए उसे नियंत्रित रखने का ही पहलू विचारणीय मानकर योजना बनाई जाती है। भारत को भी ऐसी ही योजना पर काम करना होगा।