मूकबधिर बालिका हत्याकाण्ड के सनसनीखेज प्रकरण का पर्दाफाश,सगे मामा व माता पिता द्वारा रचा गया पूरा 10 दिन लम्बा षडयंत्र,बालिका को कीटनाशक जहर देकर की गई थी हत्या
दिनांक 09.05.24 को थाना नई मण्डी हिण्डौनसिटी पर सूचना मिली कि एक 10 वर्षीय मूक-बधिर बच्ची डिम्पल मीणा जली हुई हालत में अस्पताल में भर्ती हुई है। थाना नई मण्डी हिण्डौन सिटी पुलिस द्वारा हॉस्पीटल जाकर मूक-बधिर बच्ची के बयान दर्ज करने के प्रयास किये गये। बालिका बयान देने की स्थिति में नहीं थी। बच्ची के माता पिता द्वारा घटनाक्रम के बारे में हिण्डौन अस्पताल में कुछ भी नहीं बताया गया। बालिका को एसएमएस जयपुर रैफर किए जाने पर अगले दिन नई मण्डी पुलिस रिपोर्ट प्राप्त करने एसएमएस जयपुर गई लेकिन परिजनों द्वारा आईन्दा रिपोर्ट देना बताया व बालिका बयान देने की स्थिति में नहीं थी।
दिनांक 11.05.24 को पीड़िता के पिता श्री करनसिंह पुत्र रूपसिंह जाति मीना निवासी दादनपुर थाना टोडाभीम द्वारा थाना नई मण्डी हिण्डौनसिटी पर सोच समझकर एक रिपोर्ट पेश की गयी जिसमें अपनी लडकी को दिनांक 09.05.24 को सुबह 10 बजे करीब दो अज्ञात व्यक्तियों द्वारा जलाकर रेल्वे लाईन की तरफ भागना बताया गया। उक्त रिपोर्ट पर मुकदमा नंबर 231/24 धारा 307,34 ता० हि० में दर्ज किया जाकर अनुसंधान थानाधिकारी थाना नई मण्डी हिण्डौनसिटी श्री रामकिशन यादव पु०नि० द्वारा प्रारंभ किया गया।
दिनांक 14.05.24 को पीड़िता के अनुवादक द्वारा ईलाज के दौरान एसएमएस हॉस्पीटल जयपुर में बयान दर्ज किये गये और बयानों की वीडियोग्राफी की गयी। बयानों में पीड़िता द्वारा एक व्यक्ति द्वारा पेट्रोल से जलाना बताया गया और अपने साथ दुष्कर्म जैसी घटना नहीं होना बताया गया। पीड़िता को बयानों के दौरान कुछ व्यक्तियों के फोटो मोबाइल में तथा कुछ नाम कागज पर लिखकर दिखाये गये तो पीड़िता द्वारा अपनी बहिन
प्रियंका मीणा का नाम लिखित में पहचान किया गया तथा एक व्यक्ति ललित शर्मा का फोटो पहचान किया गया। - दिनांक 20.05.24 को पीड़िता की दौराने ईलाज एसएमएस हॉस्पीटल जयपुर में मौत हो जाने पर मृतका की लाश का मेडीकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया जाकर लाश परिजनों को सुपुर्द की गयी। प्रकरण हाजा में धारा 302 ता०हि० का इजाफा किया गया।
- पीड़िता की मौत के बाद परिजनों द्वारा सोशल मीडिया पर मूकबधिर बालिका से दुष्कर्म कर जलाने की झूठी अफवाहें फैलाई गई। मामले की गंभीरता को देखते हुये श्रीमान महानिरीक्षक पुलिस भरतपुर रैन्ज भरतपुर द्वारा प्रकरण के अनुसंधान हेतू विशेष अनुसंधान टीम (एसआईटी) गठित की जाकर प्रकरण का अनुसंधान वृताधिकारी वृत हिण्डौनसिटी को दिया गया। परिजनों द्वारा शहीद स्मारक जयपुर में धरना देकर अनुसंधान करौली जिले से बाहर करवाए जाने की मांग पर अग्रिम अनुसंधान श्री रामगोपाल अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक त्वरित अनुसंधान इकाई भरतपुर के नेतृत्व में गठित एस०आई०टी० द्वारा किया जा रहा है।
अनुसंधान के दौरान संकलित की गयी साक्ष्य
घटनास्थल से जले अधजले कपडों के टुकडों तथा पीड़िता की माँ द्वारा पेश जले अधजले कपडों के टुकडों को जब्त किया गया। घटनास्थल पर मोबाइल फॉरेंसिक यूनिट भरतपुर को बुलाया जाकर आवश्यक साक्ष्य संकलन किया गया। घटनाकम के संबंध में मुस्तगीस करनसिंह मीना तथा उसके नजदीकी गवाहान, रिश्तेदारों व आसपडौसियान से तफ्तीश की गई। पीड़िता की चोट प्रतिवेदन जीएच हिण्डौनसिटी से, दुष्कर्म संबंधी मेडीकल रिपोर्ट व पोस्टमार्टम रिपोर्ट एसएमएस हॉस्पीटल से प्राप्त की गयी तथा मेडीकल मुआयना व पोस्टमार्टम के दौरान लिये गये सैम्पल को जॉच हेतु विधि विज्ञान प्रयोगशाला जयपुर/भरतपुर भिजवाया गया। घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज प्राप्त की जाकर गहनता से घटना के दिन घटनास्थल के आसपास आते-जाते नजर आ रहे लोगों की पहचान सुनिश्चित कर घटना के बारे में तफतीश की गयी। घटनाक्रम के बारे में आसूचना एकत्रित कर गोपनीय तौर से मालूमात की गयी। जॉच हेतु भेजे गये सभी सैम्पल की एफएसएल जॉच रिपोर्ट प्राप्त की जाकर अवलोकन किया गया। एफएसएल जॉच रिपोर्ट प्राप्त होने पर मेडीकल बोर्ड से अंतिम राय प्राप्त की गयी। पीड़िता द्वारा बयानों के दौरान जिस व्यक्ति के फोटो को पहचान किया गया था उक्त ललित शर्मा को तलब कर घटनाक्रम के संबंध में तफ्तीश की गयी।
अनुसंधान से पायी गयी स्थिति
एफएसएल रिपोर्ट के अनुसार कपडों, स्किन व हैयर सैम्पल पर पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन और हाइड्रोक्लोरिक एसिड के ट्रेस पाए गए
• दुष्कर्म सम्बंधी नमूनों में एफ०एस०एल० द्वारा दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई मृत्यु का कारण कीटनाशक जहर के सेवन से
मृतका के साथ दुष्कर्म नहीं होने के आधार
1. दिनांक 09.05.24 को घटना के बाद पीड़िता का राजकीय हॉस्पीटल हिण्डौनसिटी के मेडीकल बोर्ड द्वारा
प्राथमिक निरीक्षण करने वाले डॉक्टर्स की बाद में दी गयी राय में पीड़िता के साथ दुष्कर्म की पुष्टि नहीं
की गई है।
2. दिनांक 14.05.24 को पीड़िता द्वारा दिए गए बयानों में अपने साथ किसी प्रकार का गलत काम नहीं होना बताया गया है।
3. दिनांक 15.05.24 को पीड़िता का उसके मामा राजेश मीना की प्रार्थना पर मेडीकल बोर्ड एसएमएस हॉस्पीटल जयपुर द्वारा किये गये दुष्कर्म संबंधी मेडीकल मुआयना के दौरान लिये गये सैम्पल तथा पोस्टमार्टम के दौरान लिये गये सैम्पल की एफएसएल डीएनए जॉच रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुयी हैं।
4. प्रथम सूचना रिपोर्ट में भी दुष्कर्म होने की बात का अंकन नहीं किया गया है।
संदिग्ध ललित शर्मा के संलिप्त नहीं होने का आधार
1. पीड़िता को जिन व्यक्तियों के फोटाग्राफ अनुवादक द्वारा बयान लेते समय दिखाकर पहचान करवाए जाने थे उन फोटोग्राफ्स में से एक फोटो बालिका को बयानों से 04 दिवस पूर्व से ही परिजनों द्वारा दिखाया जा रहा था। बालिका के पिता हरकेश उर्फ करणसिंह व माता द्वारा 10 मई को आपस में वार्ता कर घटनास्थल के खेत मालिक के बेटे ललित शर्मा की फेसबुक के वर्ष 2015 के फोटो डाउनलोड किया गया। इस दौरान 11-14 मई तक बच्ची को ललित का 9 वर्ष पुराना फोटो दिखा दिखाकर पहचान कराई गई जिसमें सफल होते ही पीड़िता के मामा राजेश द्वारा खुद ही अनुवादक से कई बार सम्पर्क कर पुलिस अधिकारियों को बुलाया गया और फोटोग्राफ दिखाने की संदेहास्पद प्रक्रिया को अपनाकर ललित शर्मा की फोटो को पहचानवाया गया।
2. ललित शर्मा की मुस्तगीस पक्ष के साथ किसी प्रकार की पूर्व की रंजिश नहीं होना पाई गई और ना ही उक्त घटनाक्रम को अंजाम देने के संबंध में कोई उद्देश्य पाया गया। ललित शर्मा द्वारा तफ्तीश के दौरान घटना के दिन जिन तथ्यों को बताया गया उक्त तथ्यों का तकनीकी साक्ष्य एवं तफतीश से कॉस वैरीफाई करने पर सही होना पाया गया।
3. सीडीआर विश्लेषण के आधार पर ललित शर्मा की घटना के रोज घटनास्थल के आसपास उपस्थिति नहीं होना पायी गयी और अपना रोजमर्रा कामकाज में वार्ता करना और लोगों से मिलना पाया गया। घटना दिनांक को ललित की घटनास्थल के टावर पर कनेक्ट होना भी नहीं पाया गया।
घटनाक्रम के लिए रचे गए षडयंत्र का खुलासा
दौराने अनुसंधान प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि पीड़िता की उसकी माँ से लडाई होने के उपरान्त
गुस्सा होकर भाग कर स्वयं को ज्वलनशील पैट्रोल से जलाने की कोशिश के फलस्वरूप पीड़िता को बर्न इंजरी
हुई। माँ द्वारा इस तथ्य को छुपाकर मौके से संदिग्ध पैट्रोल वाली बोतल को लाकर अपने घर में छिपाया गया और
पुलिस को घटना के बाद इस सम्बंध में कोई भी जानकारी नहीं दी गई। दो दिन उपरान्त सोच समझकर दो अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। पीड़िता के मामा द्वारा पीड़िता को ललित की 9 वर्ष
पुरानी फोटो पहचान करवाकर इस केस में ललित को आरोपी बनाने की कोशिश की गई। बच्ची के बयान में ललित की संदेहास्पद पहचान के बाद बच्ची की स्थिति में उपचार से सुधार होने व पुलिस द्वारा प्रारम्भिक तफ्तीश में ललित के शामिल ना होने बाबत परिजनों द्वारा उक्त बयान को मृत्युकालित कथन में तब्दील करने का षडयंत्ररचा गया। मैडीकल बोर्ड के फाईनल ओपिनियन के अनुसार पीड़िता के मृत्यु के लगभग 24 घण्टे के बीचOrganophosphorous Insecticide कीटनाशक का सेवन पीड़िता को कराया गया। इस जहर के सेवन के उपरान्त पीड़िता की सांस फूलने पर दिनांक 19 मई को डॉक्टर्स द्वारा ऑक्सीजन सपोर्ट लगाने की औपचारिक सहमति मांगी गई लेकिन उद्देश्यानुसार मामा राजेश द्वारा माता पिता से विचार विमर्श कर लिखित में सहमति से इनकार किया गया। जिसके चंद घण्टों उपरान्त ही 19-20 मई की मध्य रात्रि को पीड़िता की मृत्यु हो गई।
आरोपियों को 14 जून को अनुसंधान अधिकारी द्वारा बयानों के लिए बुलाए जाने पर अपने प्लान के अनुसार घर में छिपाई हुई महत्वपूर्ण साक्ष्यों को हटाने और नष्ट करने का भी प्रयास किया गया, जिसका पुलिस टीम द्वारा प्रत्यक्ष साक्ष्य संकलन किया गया और इसके उपरान्त आरोपियों की उक्त तथ्यों के आधार पर पूछताछ कर गिरफ्तारी की गई।