जयपुर, 20 सितंबर। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि संस्कृत, सनातन संस्कृति की धड़कन है और मानव सभ्यता की नींव है। उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व की उत्कृष्ट भाषा संस्कृत, भारतीय और यूरोपीय भाषाओं के साथ ही विश्व की अनेक भाषाओं की जननी भी है। राजस्थान विधानसभा में नवनिर्वाचित इक्कीस विधायकों ने संस्कृत भाषा में शपथ ली थी। यह हम सभी के लिए गौरव की बात है।
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी शनिवार को यहां मानसरोवर स्थित परिष्कार कॉलेज में संस्कृत भारती द्वारा आयोजित भविष्याय संस्कृतम् विषय पर आयोजित संभाषण शिविर के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
संस्कृत में सांस्कृतिक कार्यक्रम अभिनव प्रयास-’ श्री देवनानी ने कहा कि संस्कृत में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन अभिनव प्रयास है। इससे युवा पीढ़ी का जुड़ाव संस्कृत के प्रति बढ़ रहा है। यह जुड़ाव ही भविष्य के लिए संस्कृत का परिचायक है।
देव भाषा और विज्ञान की भाषा के साथ संस्कृत जनवाणी है-’ श्री देवनानी ने कहा कि संस्कृत भाषा ज्ञान का भंडार हैं। ऋषि मुनियों द्वारा आरंभ की गई यह देव भाषा, विज्ञान की भाषा के साथ जनवाणी है। वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत और गीता जैसे ग्रंथों ने संस्कृत भाषा को घर-घर पहुंचाकर जनवाणी बनाया है। जर्मन के वैज्ञानिक संस्कृत के ग्रंथों का अध्ययन कर अनुसंधान और आविष्कार कर रहे हैं। विज्ञान की दृष्टि से कंप्यूटर के लिए संस्कृत भाषा को उत्कृष्ट माना गया है। तकनीकी में इसकी उपयोग के लिए नासा द्वारा अनुसंधान किया जा रहे हैं।
सनातन संस्कृति का मूल संस्कृत में-’ श्री देवनानी ने कहा कि संस्कृत भाषा का भविष्य उज्ज्वल है। संस्कृति की जीवंतता के लिए संस्कृत जरूरी है। सनातन संस्कृति का मूल संस्कृत भाषा में निहित है।
रोजगार के साधन है संस्कृत में- श्री देवनानी ने कहा कि संस्कृत में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। राज्य के विश्वविद्यालय को संस्कृत के ज्योतिष और कर्मकांड जैसे अनेक विषयों पर पाठ्यक्रम चलाए जाने चाहिए। इससे मानव जीवन में संस्कृत का उपयोग बढ़ सकेगा और युवाओं को रोजगार मिल सकेगा।
समारोह को जयपुर नगर निगम की महापौर डॉक्टर सौम्या गुर्जर, श्री सुरेश सोनी और श्री जय प्रकाश गौतम ने भी संबोधित किया। समझ में संस्कृत से जुड़े विद्वान, शिक्षक और छात्र-छात्राएं मौजूद थे।