उदयपुर,18 अक्टूबर 2022 : उदयपुर की पेयजल झीलों में 1 अक्टूबर से हाई कोर्ट के आदेशानुसार वर्तमान में संचालित नावों को सोलर बैटरी ऊर्जा से परिवर्तित कर झील में संचालन के आदेशों के साथ अभी तक खिलवाड़ जारी है। जहाँ एक और उदयपुर प्रशासन ने कोर्ट के आदेशों को लेकर 6 महीने तक कोई जमीनी तैयारी नहीं की अलबत्ता लापरवाही को छिपाने के भरसक प्रयास करते हुए माननीय कोर्ट को विरोधाभासी जवाब जरूर दिए है।
उदयपुर नगर निगम ने शपथ पत्र के माध्यम से माननीय कोर्ट को बताया कि प्रादेशिक परिवहन अधिकारी (RTO) के निर्देशन में चार सदस्यीय अधिकारियों की समिति 13 जनवरी 2022 को गठित की गई और इस समिति ने रिपोर्ट प्रस्तुत कर कहा है कि बैटरी/सोलर नावें इसकी बनावट और बैटरी के वजन के कारण झीलों में चलने के लिए फिट नहीं है और पर्यटकों के लिए सुरक्षित नहीं है।
उधर पीछोला झील में वर्तमान में एक दैनिक अखबार की खबर के मुताबिक लगभग 10 नावें बैटरी से संचालित हो रही है। इसका मतलब ये है कि इन नावों का फिटनेस सर्टिफिकेट RTO द्वारा या तो जारी किया गया है अथवा ये नावें बिना मानकों को पूरा किये पीछोला झील में दौड़ रही है। यदि सोलर /बैटरी चलित नावें असुरक्षित है तो किस आधार पर इनका संचालन करने दिया जा रहा है?
इसके साथ ही दूसरी ओर माननीय हाई कोर्ट द्वारा झीलों के लिए गठित समिति ने 23 सितंबर 2022 की मीटिंग में बातचीत में तय किया गया कि एक तकनीकी टीम का गठन कर बैटरी/सोलर नावों का अध्ययन करने के लिए अन्य राज्यों में भेजा जाएगा। यहाँ ये बात भी गौरतलब है है कि एक तरफ उदयपुर प्रशासन ये पहले ही लिखित में कोर्ट को कह रहा कि बैटरी/सोलर नावें फिट नहीं है तो अगले बिंदु में ये कैसे बता रहा कि उनके द्वारा गठित टीम सोलर/बैटरी की नावों का अध्ययन करने अन्य राज्यों में जाएगी।
इसके साथ ही देश के कई राज्यों में सोलर/बैटरी चलित नावें पहले से ही चल रही है। यहाँ तक कि उदयपुर के पड़ोसी जिले डूंगरपुर की गैप सागर झील में सोलर/बैटरी नाव का संचालन पहले से हो रहा है। कुछ अधिकारी तर्क दे रहे कि छोटी नावें ही बैटरी/सोलर के लिए मुफीद है लेकिन दक्षिण के केरल में कई सोलर नावें एक साथ एक बार में 100 यात्रियों का परिवहन कर रही है। ऐसे में कोर्ट को सोलर/बैटरी नावों को असुरक्षित बताना हास्यास्पद लगता है।