जयपुर, 21 जुलाई। सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां श्रीमती मंजू राजपाल ने कहा कि राज्य सरकार ने भूमि विकास बैंकों के अवधिपार ऋणों हेतु लाई गई एकमुश्त समझौता योजना की अवधि 30 सितम्बर तक बढ़ाकर ऋणी सदस्यों एवं भूमि विकास बैंकों को एक और बेहतर अवसर प्रदान किया है। उन्होंने अब तक योजना का लाभ लेने से वंचित रहे पात्र ऋणी सदस्यों को निर्धारित समयावधि में लाभान्वित करने के निर्देश दिए।
श्रीमती राजपाल सोमवार को नेहरू सहकार भवन में वीसी के माध्यम से सहकारी भूमि विकास बैंकों की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि बकाया ऋणों की वसूली में राज्य के कई प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों द्वारा अच्छा प्रदर्शन किया जा रहा है, लेकिन कुछ बैंकों की प्रगति अभी भी संतोषजनक नहीं है। अब शेष रहे समय में अधिक मनोयोग से प्रयास करते हुए अधिक से अधिक वसूली के प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि जिन पीएलडीबी की वसूली की प्रगति संतोषजनक नहीं है उनके विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी, जबकि, उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले पीएलडीबी को पुरस्कृत किया जाएगा। श्रीमती राजपाल ने कहा कि केन्द्रीय सहकारी बैंक एवं भूमि विकास बैंक आपसी समन्वय से एक-दूसरे का सहयोग करते हुए दीर्घकालीन सहकारी साख ढ़ांचे के पुनरूद्धार के लिए वसूली प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास करें। योजना की बेहतर रूप से क्रियान्विति होगी तो बैंकों को भी मुख्यधारा में आने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि एकमुश्त समझौता योजना में निस्तारित प्रकरणों से मध्यम वर्ग के किसानों को मुख्यधारा में लाने के लिए राज्य सरकार की 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान योजना में पुन: दीर्घकालीन ऋण दिया जाए।
प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि योजना के अंतर्गत वसूली के प्रतिशत को अधिकारियों की परफॉर्मेंस से जोड़ा जाए, जिससे वे वसूली के लिए पुरजोर प्रयास करें। उन्होंने कहा कि अधिकारी सहकारिता के हित में सोचते हुए अधिक से अधिक वसूली के प्रयास करें। वसूली का कम प्रतिशत बैंकों के लिए चिन्ता का विषय होना चाहिए। उन्होंने अधिक राशि के प्रकरणों पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित करने तथा निरन्तर प्रयासों के बावजूद भी ऋण राशि जमा नहीं करवा रहे सदस्यों के नाम समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाने के निर्देश दिए। श्रीमती राजपाल ने कहा कि 10 लाख से अधिक राशि के बकाया के प्रकरणों में अतिरिक्त रजिस्ट्रार (खण्ड) व्यक्तिगत रूप से प्रयास करें और पाक्षिक रूप से इसकी समीक्षा करें। अकृषि ऋणों की वसूली हेतु नीलामी पर रोक नहीं है, इसलिए अधिनियमानुसार कार्यवाही के तहत वसूली सुनिश्चित की जाए।
श्रीमती राजपाल ने कहा कि जिन प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों को अतिरिक्त स्टाफ की आवश्यकता है, वहां मुख्यालय या अतिरिक्त रजिस्ट्रार (खण्ड) स्तर से कार्मिक उपलब्ध करवाए जाएं। इस संबंध में प्रबंध निदेशक, एसएलडीबी प्रस्ताव भिजवाएं। जिन जिलों में अधिक राशि की वसूली होना शेष है, वहां मुख्यालय स्तर से अतिरिक्त प्रयास कर सहयोग प्रदान किया जाए। विशेष रूप से बड़ी राशि के बकाया प्रकरणों में 100 प्रतिशत वसूली का लक्ष्य रखा जाए। उन्होंने कहा कि वसूली के लिए अधिकारी निरन्तर रूप से प्रयास कर रहे हैं। कम अवधि में 25 प्रतिशत से अधिक पात्र ऋणी सदस्यों को योजना में कवर किया जा चुका है, लेकिन अब और अधिक प्रयास करते हुए बेहतर परिणाम अर्जित करने होंगे।
प्रमुख शासन सचिव ने बैठक में भूमि विकास बैंकों के स्तर पर राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2001 की धारा 103 के लम्बित प्रकरणों, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के अंतर्गत लम्बित प्रकरणों एवं रहन दर्ज से वंचित प्रकरणों के शत प्रतिशत निस्तारण के निर्देश दिए। साथ ही, 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान योजना एवं अकृषि मामलों में अवधिपार ऋणों को गंभीरता से लेते हुए इनकी शत प्रतिशत वसूली के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन प्राथमिक बैंकों की प्रगति कमजोर रहेगी, उनके विरूद्ध सख्त अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
बैठक में एसएलडीबी के प्रबंध निदेशक श्री जितेन्द्र प्रसाद, अपेक्स बैंक के प्रबंध निदेशक श्री संजय पाठक एवं अतिरिक्त रजिस्ट्रार (मॉनिटरिंग) श्रीमती ज्योति गुप्ता सहित एसएलडीबी एवं अपेक्स बैंक के अधिकारी मौजूद रहे। जबकि, सभी अतिरिक्त रजिस्ट्रार (खण्ड), जिला उप रजिस्ट्रार, केन्द्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक एवं प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों के सचिव वीसी के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।