उदयपुर में तेजी से बढ़ रहे वाहनो की संख्या बन रही चिंताजनक
विश्व के दूसरे सबसे पसंदीदा शहर उदयपुर में रहना और विलासितापूर्ण जीवन जीना बहुतसो की ख्वाहिश होती है। शहर में बाहर से आने वाले लोगो के साथ ही कंक्रीट के जंगलों में बेशुमार वृद्वि हो रही है और साथ ही तेजी से बढ़ते वाहन भी रिकॉर्ड तोड़ते नजर आ रहे है।
बढ़ते ट्रैफिक का जीवन की गुणवत्ता और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
शहरों में लगातार यातायात की भीड़भाड़ का शहर वासियों के जीवन की गुणवत्ता और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वाहनों की भीड़ भाड़ में तनाव का स्तर बढ़ता है, इसके अतिरिक्त, यातायात की भीड़भाड़ वायु प्रदूषण, सड़क दुर्घटनाओं और ईंधन की खपत को बढ़ाती है, जिससे पर्यावरण और आर्थिक परिदृश्य और भी खराब हो जाता है।
अर्बन मोबिलिटी के क्षेत्र में काम करने वाली स्वायत्त संस्था और लोकेशन टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट टॉम टॉम के सर्वे के अनुसार विश्व मे सबसे ज्यादा भीड़ भाड़ वाले शहरों की सूचि में सबसे पहला नाम लंदन (UK ) का आता है जहाँ वाहनों की ट्रैफिक में औसत रफ्तार 14 किलोमीटर प्रति घंटा होती है और 10 किलोमीटर सफर तय करने में 37 मिनट 20 सेकंड का समय लगता है। अगर भारत की बात की जाए तो भारत का सबसे भीड़ भाड़ वाला शहर बेंगलोर है जो एशिया में दूसरे और विश्व मे छटे स्थान पर है। बेंगलुरू में वाहनो की औसत गति ट्रैफिक में 18 किलोमीटर प्रति घंटा होती है वही 10 किलोमीटर का सफर तय करने में 28 मिनट 10 सेकंड का औसत समय लगता है।
दिल्ली को पीछे करते हुए बेंगलुरु सबसे अधिक प्राइवेट कारों वाला शहर बन गया है। दिल्ली स्टैटिस्टिक हैंडबुक 2023 (Delhi Statistical Handbook 2023) के अनुसार, 31 मार्च, 2023 तक, बेंगलुरु में कुल 23.1 लाख प्राइवेट कार थी। ये संख्या दिल्ली के मुकाबले सबसे अधिक है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में कुल कारों की संख्या 79.5 लाख है, जिसमें से प्राइवेट कार की संख्या महज 20.7 लाख है।
अब बात करते है झीलों की नगरी पर्यटन शहर उदयपुर की
उदयपुर के RTO विभाग के ऑनलाइन पोर्टल 4.0 के अनुसार उदयपुर जिले में वर्ष 2007 से लेकर दिनांक 31 मार्च 2024 तक कुल पंजीकृत वाहन 8 ,27,195 है जिनमे 6,57,559 दुपहिया वाहन पंजीकृत किये गए है, वही फोर व्हीलर की बात करे तो कार / जीप / SUP की पंजीकृत संख्या 1,40,590 है, ट्रकों की संख्या 45 हजार 241 है। समस्त प्रकार के छोटे बड़े भारी वाहनों की संख्या RTO द्वारा 29,046 बताई गई है।
वर्तमान में लोगो मे ट्रेंडिंग करने वाले इलेक्ट्रिक दुपहिया वाहन अब 8,603 हो चुके है। उपरोक्त सभी आंकड़े RTO द्वारा दिनाँक 16 जुलाई 2024 को प्रदत्त है।वैसे तो शहर में RTO विभाग द्वारा प्रत्येक कार के रजिस्ट्रेशन के समय स्टाम्प पेपर पर स्वयं के स्वामित्व के परिसर में पार्किंग होने का शपथ पत्र लेता है लेकिन ये शपथ पत्र महज खानापूर्ति होकर झूठा ही साबित होता है, सड़को पर की जाने वाली अव्यवस्थित पार्किंग इसका प्रमाण है।
उदयपुर में किसी भी क्षेत्र में पर्याप्त वाहन पार्किंग नही है जिस कारण पार्किंग की समस्या विकट होती जा रही है। बढ़ती ट्रैफिक डेन्सिटी के कारण वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है। उदयपुर का एयर क़्वालिटी इंडेक्स 13 जून 24 के दिन 103 रहा, जबकि 50 से नीचे के AQI को अच्छा माना जाता है।
उदयपुर शहर की सड़के और पब्लिक ट्रांसपोर्ट
वाल सिटी यानी कि शहर कोट के अंदर घनी बस्तियों में संकड़ी गालियां, कम चौड़ी सड़के और घाटिया है जहाँ कोई चार पहिया वाहन घुस जाए तो लंबा जाम लगना तय होता है। उदयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के द्वारा बनाई गई जानलेवा CC सड़को की गुणवत्ता भी किसी से छिपी हुई नही है।
शहर के बाहरी क्षेत्रो में भी ट्रैफिक का दबाव देखा जा सकता है। हिरणमगरी मुख्य सड़क को स्मार्ट बनाने के लिये किये गए प्रयोग ने मुख्य मार्ग का सत्यानाश ही कर दिया, सड़क के मध्य अनुपयोगी पार्क किसी काम का नही और सड़क के दोनों ओर बनाई गई सर्विस रोड ठेले वालो और अतिक्रमियों के लिये वरदान बन चुकी है, इस सड़क को संकड़ा कर दिया जाना राहगीरों के लिये, वाहन चालको के लिये अभिशाप के समान है।
उदयपुर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट में आते है, छोटे ऑटो, विक्रम ऑटो व सिटी बस जो प्रायः अपनी क्षमता से अधिक, अव्यवस्थित और बेतरतीब चलते है, सवारियों को देख तेज गति से अचानक कही भी मुड़ जाने का करतब दिखाने वाले ये वाहन चालक कई बार राहगीरों को दुर्घटना ग्रस्त कर अस्पताल के दरवाजे पर पहुँचा देते है। सिटी बसों और ऑटो चालकों के।मध्य चलने वाला अंतहीन कंपीटिशन रोजाना दृष्टिगोचर होता है। सड़कों पर होने वाला अतिक्रमण भी इस अव्यवस्था में आग में घी डालता ही दिखाई देता है। पर्याप्त और व्यवस्थित पब्लिक ट्रांसपोर्ट, अतिक्रमण मुक्त पर्याप्त चौड़ी सड़कें ट्रैफिक व्यवस्था को काफी हद तक बेहतर बना सकती है।