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Current News / पाकिस्तान को राजनाथ सिंह की दो टूक- 'हम LOC पार कर सकते हैं और जरुरत पड़ने पर भविष्य में करेंगे'

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दिनेश भट्ट (Twitter: @erdineshbhatt) July 26, 2023 03:10 PM IST

पाकिस्तान को राजनाथ सिंह की दो टूक-'हम LOC पार कर सकते हैं और जरुरत पड़ने पर भविष्य में करेंगे'

लद्दाख के द्रास में करगिल विजय दिवस के मौके पर आयोजित मुख्य समारोह को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपने सम्मान और गरिमा को बनाए रखने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) को पार करने के लिए तैयार है, और नागरिकों से ऐसी स्थिति में सैनिकों का समर्थन करने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।

 

24वें करगिल विजय दिवस के मौके पर लद्दाख के द्रास में आयोजित मुख्य समारोह में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने देश के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दीं। साथ ही, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने  द्रास में करगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।

 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने भाषण के दौरान कहा कि-"कारगिल युद्ध स्मारक पर जवानों को श्रद्धांजलि देने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा, 'उस समय हमने नियंत्रण रेखा (LoC) पार नहीं किया था, इसका मतलब यह नहीं है कि हम एलओसी पार नहीं कर सकते थे। हम LoC पार कर सकते थे, हम LoC पार कर सकते हैं और भविष्य में भी जरूरत पड़ी तो LoC पार करेंगे।मैं देशवासियों को ये विश्वास दिलाता हूं। हम यह जानते हैं, कि जब तक आप सीमाओं पर हमारी रक्षा कर रहे हैं, भारत की ओर आंख उठाकर देखने की हिम्मत भी किसी के अंदर नहीं हो सकती है। सिर्फ कारगिल ही नहीं, बल्कि आज़ादी से लेकर आज तक कई बार, समय-समय पर आप लोगों के शौर्य ने देश का मस्तक ऊंचा किया है।मैं कारगिल युद्ध में शहीद हुए सभी वीर सैनिकों के परिवारों, और शुभचिंतको को आश्वस्त करना चाहता हूँ, कि हम उनके बलिदान को, उनकी याद को कभी धुंधला नहीं पड़ने देंगे। National War Memorial हमारी इस commitment का प्रतीक हैं।उस समय अगर हमने LoC पार नहीं किया, तो इसका मतलब यह नहीं कि हम LoC पार नहीं कर सकते थे। हम LoC पार कर सकते थे, हम LoC पार कर सकते हैं, और जरूरत पड़ी तो भविष्य में LoC पार करेंगे। मैं इसे फिर से दोहराना चाहूँगा, कि हम LoC पार कर सकते थे, हम LoC पार कर सकते हैं, और जरूरत पड़ी तो भविष्य में LoC पार करेंगे; इसका मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूँ।आज, 'कारगिल विजय दिवस' के पावन अवसर पर, आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। सबसे पहले मैं, भारत माता के उन जाँबाज सपूतों को नमन करता हूँ, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। मैं उन वीर सपूतों को नमन करता हूँ, जिन्होंने राष्ट्र को सर्वप्रथम रखा, और उसके लिए अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटे।आज भारत रूपी जो विशाल भवन हमें दिखाई दे रहा है, वह हमारे वीर सपूतों के बलिदान की नींव पर ही टिका है। भारत नाम का यह विशाल वटवृक्ष, उन्हीं वीर जवानों के खून और पसीने से अभिसिंचित है। अपने हज़ारों सालों के इतिहास में, इस देश ने अनेक ठोकरें खाईं हैं, पर अपने वीर जवानों के दम पर यह बार-बार उठा है।भारत माँ के ललाट की रक्षा के लिए, 1999 में कारगिल की चोटी पर देश के सैनिकों ने वीरता का जो प्रदर्शन किया, जो शौर्य दिखाया, वह इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा। आज हम खुली हवा में साँस इसलिए ले पा रहे हैं, क्योंकि किसी समय minus temperature में भी, हमारे सैनिकों ने ऑक्सीजन की कमी के बावजूद अपनी बंदूकें नीची नहीं की।कारगिल की वह जीत पूरे भारत की जनता की जीत थी। भारतीय सेनाओं ने, 1999 में कारगिल की चोटियों पर जो तिरंगा लहराया था, वह केवल एक झंडा भर नहीं था, बल्कि वह इस देश के करोड़ों लोगों का स्वाभिमान था।कारगिल युद्ध भारत के ऊपर एक थोपा गया युद्ध था। उस समय देश ने पाकिस्तान से बातचीत के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया। स्वयं अटल जी ने पाकिस्तान की यात्रा करके कश्मीर सहित अन्य मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया था। लेकिन पाकिस्तान द्वारा हमारी पीठ में खंजर घोंप दिया गया।भारतीय सेना के जवानों के सामने ऐसे खतरे आते रहते हैं, जहां उनका सामना मौत से होता रहता है। लेकिन वह बिना डरे, बिना रुके सिर्फ इसलिए मौत से भिड़ जाते हैं, क्योंकि उन्हें पता होता है कि उसका अस्तित्व उसके राष्ट्र से है।हमने सिर्फ पाकिस्तान को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश दिया, कि जब बात हमारे राष्ट्रीय हितों की आएगी, तो हमारी सेना किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी। हम आज भी अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह committed हैं, सामने चाहे कोई भी हो।कैप्टन मनोज पांडे के उस उद्घोष को भला कौन भूल सकता है, जब उन्होंने कहा था कि "यदि मेरे फर्ज की राह में मौत भी रोड़ा बनी, तो मैं मौत को भी मार दूंगा।" ऐसी वीरता के सामने तो दुनिया की कोई भी शक्ति नहीं टिक सकती, तो भला पाकिस्तान की क्या बिसात थी।भारत की तरफ चली हर एक गोली को हमारे सैनिकों ने अपनी फौलादी छातियों से रोक दिया। कारगिल युद्ध, भारत के सैनिकों की वीरता का प्रतीक है, जिसे सदियों तक दोहराया जाएगा। असम के कैप्टन जिंटू गोगोई, जिन्होंने "बद्री विशाल की जय" के उद्घोष के साथ हमला किया, और कालापत्थर को दुश्मन से आज़ाद कराया।केरल के लेफ्टिनेंट कर्नल आर. विश्वनाथन, जो दुश्मन की भीषण गोलीबारी के बीच 15,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंचने में कामयाब रहे। पंजाब के लेफ्टिनेंट. विजयंत थापर, जिन्होंने युद्ध में जाने से पहले अपने घरवालों को खत लिखा था, कि अगर फिर से मेरा जन्‍म हुआ तो मैं एक बार फिर सैनिक बनना चाहूंगा।राजस्थान के सूबेदार मंगेज सिंह, जिन्होंने घायल हालत में ही बंकर के पीछे पाकिस्तानी सैनिकों पर जमकर कई राउंड फायरिंग की, और 7 दुश्मनों को ढेर किया। ऐसे ही न जाने कितने ही वीरों ने अपने देश के गौरव को बचाए रखने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था।कई ऐसे सैनिक थे जिनकी कुछ दिनों पहले शादी हुई थी, कई ऐसे सैनिक थे जिनका विवाह भी नहीं हुआ था, कई ऐसे सैनिक थे, जो अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले थे। लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत जीवन की उन सारी परिस्थितियों का सामना करते हुए, राष्ट्र के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया, क्योंकि उनके मन में यह भावना थी, कि- तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहें।आज कारगिल में भारत का ध्वज पूरे वैभव के साथ लहरा रहा है। आज भी माएँ अपने बच्चों को जब वीरता की कहानियां सुनाती हैं, तो उनकी कहानियों में कैप्टन मनोज पांडे, कैप्टन विक्रम बत्रा और इन जैसे न जाने कितने वीरों का जिक्र होता है। हमने इन वीरों को थाती बना कर रखा है, और आने वाली न जाने कितनी पीढ़ियां इनके शौर्य से प्रेरणा लेती रहेंगी।हमें यह भी याद रखना चाहिए, कि कैसे युद्ध के दौरान फ्लाइट लेफ़्टिनेंट गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन दुश्मनों के खिलाफ अद्भुत साहस का परिचय दे रही थीं। उनके शौर्य ने यह संदेश दिया, कि जब बात देश की सीमाओं की सुरक्षा की आती है, तो इस देश की बेटियाँ भी किसी से कम नहीं हैं।युद्ध में सिर्फ सेना ही नहीं लड़ती बल्कि कोई भी युद्ध दो राष्ट्रों के बीच होता है; उनकी जनता के बीच होता है। आप देखिए, कि किसी भी युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से सेनाएँ तो भाग लेती ही हैं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से आप देखें, तो उस युद्ध में किसान से लेकर डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक व कई सारे पेशों के लोग शामिल होते हैं।हाल के दिनों में युद्ध जिस तरह से लंबे खिंचते जा रहे हैं, आने वाले समय में जनता को सिर्फ indirect रूप से ही नहीं, बल्कि direct रूप से भी युद्ध में शामिल होने के लिए तैयार रहना चाहिए। मेरा यह मानना है, कि जनता को इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना होगा, कि जब भी राष्ट्र को उनकी आवश्यकता पड़े, वह सेना की सहायता के लिए तत्पर रहें। इसलिए मैं देश की जनता से यह कहना चाहता हूँ, कि जिस प्रकार से हर एक सैनिक भारतीय है, उसी प्रकार से हर एक भारतीय को भी एक सैनिक की भूमिका निभाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।आज, कारगिल विजय दिवस पर मैं एक बात हमारे देशवासियों से जरूर कहना चाहूँगा। वह यह, कि राष्ट्र का मान-सम्मान और इसकी प्रतिष्ठा हमारे लिए किसी भी चीज़ से ऊपर है, और इसके लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं।26 जुलाई 1999 को, युद्ध जीतने के बाद भी हमारी सेनाओं ने अगर LoC पार नहीं किया, तो वह इसलिए, कि हम शांतिप्रिय हैं, भारतीय मूल्यों के प्रति हमारा विश्वास है, और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति हमारा commitment है।उस समय अगर हमने LoC पार नहीं किया, तो इसका मतलब यह नहीं कि हम LoC पार नहीं कर सकते थे। हम LoC पार कर सकते थे, हम LoC पार कर सकते हैं, और जरूरत पड़ी तो भविष्य में LoC पार करेंगे। मैं इसे फिर से दोहराना चाहूँगा, कि हम LoC पार कर सकते थे, हम LoC पार कर सकते हैं, और जरूरत पड़ी तो भविष्य में LoC पार करेंगे; इसका मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूँ।"

 

 

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