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Current News / प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण शिखर सम्मेलन (ग्लेक्स) 2025 को संबोधित किया

clean-udaipur प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण शिखर सम्मेलन (ग्लेक्स) 2025 को संबोधित किया
Dinesh Bhatt May 07, 2025 07:23 PM IST

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण शिखर सम्मेलन (ग्लेक्स) 2025 को संबोधित किया। दुनिया भर से आए विशिष्‍ट प्रतिनिधियों, वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों का स्वागत करते हुए उन्होंने भारत की उल्लेखनीय अंतरिक्ष प्रगति पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष केवल एक गंतव्य नहीं है, बल्कि जिज्ञासा, साहस और सामूहिक प्रगति की घोषणा है। उन्होंने कहा कि 1963 में एक छोटे रॉकेट को लॉन्च करने से लेकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बनने तक भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियां इसी भावना को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि भारत के रॉकेट सिर्फ पेलोड नहीं ले जाते बल्कि 1.4 अरब भारतीयों के सपनों को भी साथ ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की अंतरिक्ष प्रगति महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि है और इस बात का प्रमाण है कि मानवीय भावना गुरुत्वाकर्षण को चुनौती दे सकती है। उन्होंने 2014 में अपने पहले प्रयास में मंगल पर पहुंचने की भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि को याद किया। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज में मदद की, चंद्रयान-2 ने चंद्र सतह की हाई-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें दीं और चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लेकर हमारी समझ को गहराई दी। श्री मोदी ने कहा कि भारत ने रिकॉर्ड समय में क्रायोजेनिक इंजन विकसित किए, एक ही मिशन में 100  उपग्रहों को प्रक्षेपित किया और भारतीय प्रक्षेपण यानों का उपयोग करके 34 देशों के लिए 400 से अधिक उपग्रहों को सफलतापूर्वक स्थापित किया। इस वर्ष अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को डॉक करने की भारत की नवीनतम उपलब्धि का उल्लेख करते हुए इसे अंतरिक्ष अन्वेषण में एक बड़ा कदम बताया।

 

श्री मोदी ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बारे में नहीं है, बल्कि एक साथ अधिक से अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचने के बारे में है। उन्होंने मानवता के लाभ के लिए अंतरिक्ष की खोज के सामूहिक लक्ष्य पर जोर दिया। उन्होंने दक्षिण एशियाई देशों के लिए एक उपग्रह के सफल प्रक्षेपण को याद करते हुए कहा कि यह क्षेत्रीय सहयोग के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने घोषणा की कि भारत की अध्यक्षता के दौरान शुरू किया गया जी20 सैटेलाइट मिशन, ग्लोबल साउथ में एक महत्वपूर्ण योगदान होगा। उन्होंने कहा कि भारत नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है और लगातार वैज्ञानिक अन्वेषण की सीमाओं को आगे बढ़ा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान मिशन, 'गगनयान' अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में देश की बढ़ती आकांक्षाओं को दर्शाता है। श्री मोदी ने कहा कि आगामी हफ्तों में, एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री इसरो और नासा के एक संयुक्त मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा करेगा। उन्होंने भारत के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए कहा कि 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन अभूतपूर्व अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सुविधा प्रदान करेगा। उन्होंने घोषणा की कि 2040 तक एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर अपने पदचिह्न छोड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि मंगल और शुक्र भारत की भविष्य की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं में प्रमुख लक्ष्य बने रहेंगे।

 

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि भारत के लिए अंतरिक्ष का मतलब सिर्फ खोज करना नहीं बल्कि सशक्तिकरण भी है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी शासन और आजीविका में सुधार लाती है और पीढ़ियों को प्रेरित करती है। उन्होंने मछुआरों को सतर्क करने के लिए अपनाई गई चेतावनी की व्यवस्था, गतिशक्ति प्लेटफॉर्म, रेलवे सुरक्षा और मौसम की भविष्यवाणी में उपग्रहों के योगदान का हवाला देते हुए प्रत्येक भारतीय के कल्याण को सुनिश्चित करने में इन उपग्रहों की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को स्टार्टअप, उद्यमियों और युवा प्रतिभाओं के लिए खोलकर नवाचार को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि भारत में अब 250 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप हैं जो उपग्रह प्रौद्योगिकी, प्रणोदन प्रणाली, इमेजिंग और अन्य अग्रणी क्षेत्रों में प्रगति में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि भारत के कई अंतरिक्ष मिशनों का नेतृत्व महिला वैज्ञानिक कर रही हैं।

 

श्री मोदी ने कहा कि भारत का अंतरिक्ष दृष्टिकोण 'वसुधैव कुटुम्बकम' के प्राचीन दर्शन में निहित है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा केवल अपने विकास के बारे में नहीं है, बल्कि वैश्विक ज्ञान को समृद्ध करने, साझा चुनौतियों का समाधान करने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने के बारे में है। उन्होंने सहयोग के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए कहा कि राष्ट्र एक साथ सपने देखने, एक साथ निर्माण करने और एक साथ सितारों तक पहुंचने के लिए खड़ा है। प्रधानमंत्री ने एक बेहतर भविष्य के लिए सामूहिक आकांक्षा के अनुरूप अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नया अध्याय शुरू करने के आह्वान के साथ अपने भाषण का समापन किया।

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