हैकर्स ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट @narendramodi से रविवार 12 दिसंबर 2021 की सुबह 2.11 बजे सेंध लगाते हुए एक स्पैम ट्वीट किया । ट्वीट में कहा गया, 'भारत ने आधिकारिक रूप से बिटकॉइन को कानूनी स्वीकार्यता दे दी है। सरकार ने आधिकारिक रूप से 500 BTC खरीदे हैं और देश के सभी नागरिकों में बांट रही है। जल्दी करें india...... भविष्य आज आया है!'
बमुश्किल से दो मिनट में यह ट्वीट डिलीट किया गया। सुबह 2.14 बजे दूसरा ट्वीट आया जो हुबहू पहले वाले की नकल था। ये ट्वीट भी जल्द डिलीट कर दिया गया। इसके बाद पीएमओ ने ट्वीट कर जानकारी दी कि थोड़ी देर के लिए मोदी का अकाउंट हैक हुआ था। पीएमओ की ओर से ताकीद की गई कि इस दौरान किए गए किसी भी ट्वीट को 'इग्नोर' किया जाए।
हैक ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर बढ़ी हलचल
प्रधानमंत्री मोदी के अकाउंट से किए गए इस हैक ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने फौरन स्क्रीनशॉट्स शेयर करने शुरू किए। लोग हैरान रह गए कि प्रधानमंत्री का ट्विटर अकाउंट तक हैक हो सकता है ? यूजर्स ने इसे सुरक्षा का गंभीर खतरा बताते हुए इसे 'बिटकॉइन माफिया' का काम करार दिया। कई लोगों यह भी आशंका जताई कि इस घटना के बाद क्रिप्टोकरेंसी पर बैन भी लगाया जा सकता है।
बिटकॉइन को नहीं है मान्यता भारत में
आपको बताते चले कि भारत में अभी तक बिटकॉइन या अन्य किसी क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं दी गई है। इस विषय में आखिरी फैसला पीएम मोदी को ही करना है। क्रिप्टो पर देश के अलग-अलग नियामक और एक्सपर्ट की अलग-अलग राय है। भारत के बैंकिंग नियामक रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो करेंसी को लेकर गंभीर चिंताएं जताई है।क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होना है। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने एक प्रस्तावित बिल के लिए ड्राफ्ट तैयार किया है।
केंद्र जुटा जानकारी हासिल करने में
सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार अब ये जानने में जुट गई है कि इस हैकिंग के पीछे कौन था? इसके लिए सरकार ने इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम यानी CERT-IN की टीम को काम में लगाया गया है। हैकिंग की तह तक जाने के लिए टीम लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है।
CERT-IN केंद्र सरकार की एजेंसी है जो मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी के अधीन काम करती है। इसका काम भारत सरकार की हैकिंग और फिशिंग जैसे साइबर खतरों से निपटना है। ये एजेंसी भारतीय इंटरनेट डोमेन की सुरक्षा संबंधी काम भी देखती है।