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Current News / प्रधानमंत्री ने इंदौर में ठोस अपशिष्ट आधारित गोबर-धन संयंत्र का उद्घाटन किया

clean-udaipur प्रधानमंत्री ने इंदौर में ठोस अपशिष्ट आधारित गोबर-धन संयंत्र का उद्घाटन किया
DINESH BHATT February 20, 2022 10:13 AM IST

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज इंदौर में वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से “गोबर-धन (बायो-सीएनजी) संयंत्र” का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई सी. पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरीडॉ. वीरेंद्र कुमार और श्री कौशल किशोर उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत रानी अहिल्याबाई को श्रद्धांजलि देने और इंदौर शहर से उनके जुड़ाव को याद करने के साथ की। उन्होंने कहा कि इंदौर का उल्लेख देवी अहिल्याबाई होल्कर और उनकी सेवा भावना की याद दिलाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि समय के साथ इंदौर ज्यादा अच्छे के लिए बदला, लेकिन देवी अहिल्याबाई की प्रेरणा कभी नहीं खोई और आज इंदौर भी स्वच्छता और नागरिक कर्तव्य की याद दिलाता है। श्री मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम में देवी अहिल्याबाई की सुंदर प्रतिमा का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने गोबर धन के महत्व पर जोर दिया और बताया कि गीला शहरी घरेलू कचरा और मवेशियों तथा खेत से निकलने वाला कचरा गोबर धन है। उन्होंने कहा कि कचरे से गोबर धन,गोबर धन से स्वच्छ ईंधन और स्वच्छ ईंधन से ऊर्जा, ये श्रृंखला जीवनदान का निर्माण करती है। प्रधानमंत्री ने बताया कि आने वाले दो वर्षों में 75 बड़े नगर निकायों में गोबर धन बायो सीएनजी संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा,"यह अभियान भारतीय शहरों को स्वच्छ बनाने, प्रदूषण रहित बनाने और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में लंबा सफर तय करेगा।" प्रधानमंत्री ने कहा कि सिर्फ शहरों में ही नहीं, गांवों में भी गोबर धन के संयंत्र लग रहे हैंजिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो रही है। उन्होंने कहा कि इससे भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के साथ-साथ आवारा और असहाय मवेशियों की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले सात वर्षों के दौरान सरकार ने समस्याओं के त्वरित अस्थायी समाधान के बजाय स्थायी समाधान देने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में सरकार हजारों एकड़ भूमि पर फैले लाखों टन कचरे को हटाने के लिए काम कर रही है जिससे वायु और जल प्रदूषण हो रहा है और इनसे कई बीमारियां हो रही हैं। स्वच्छ भारत अभियान ने महिलाओं की गरिमा और शहरों तथा गांवों के सौंदर्यीकरण को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा कि अब गीले कचरे के निस्तारण पर ध्यान दिया जा रहा है। सरकार अगले 2-3 साल में कचरे के इन पहाड़ों को हरित-क्षेत्र में बदलने की कोशिश कर रही है। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि 2014 के बाद से देश की कचरा निपटान क्षमता में 4 गुना वृद्धि हुई है। एकल उपयोग प्लास्टिक से छुटकारा पाने के लिए 1600 से अधिक निकायों को सामग्री रिकवरी की सुविधा मिल रही है।

प्रधानमंत्री ने स्वच्छता और पर्यटन के बीच की कड़ी को भी रेखांकित किया और कहा कि जहां स्वच्छता होती है वहां पर्यटन होता है और वहां एक नई अर्थव्यवस्था चल पड़ती है। उन्होंने इस संबंध में उदाहरण के तौर पर स्वच्छ शहर के रूप में इंदौर की सफलता में रुचि का हवाला दिया। उन्होंने कहा, "सरकार का यह प्रयास है कि अधिक से अधिक भारतीय शहरों को जल समृद्ध (वाटर प्लस) बनाया जाए। स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में इस पर जोर दिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण में वृद्धि का उल्लेख किया जो पिछले 7-8 वर्षों में 1 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 8 प्रतिशत हो गया है। इस अवधि के दौरान इथेनॉल की आपूर्ति 40 करोड़ लीटर से बढ़कर 300 करोड़ लीटर हो गईजिससे चीनी मिलों और किसानों को मदद मिली।

प्रधानमंत्री ने बजट में लिए गए एक अहम फैसले के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि यह निर्णय लिया गया है कि कोयला आधारित बिजली संयंत्र भी पराली का उपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे किसानों की परेशानी कम करने में मदद मिलेगी और किसानों को कृषि-कचरे से अतिरिक्त आय भी होगी।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अथक रूप से स्वच्छता कार्य करने के लिए देश के लाखों सफाई कर्मियों के प्रति आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान सेवा की भावना के लिए विशेष रूप से उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे उन्होंने कुंभ के दौरान प्रयागराज में सफाई कर्मियों के पैर धोकर उनके प्रति उन्होंने अपना सम्मान दिखाया था।

 

 

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने हाल ही में "कचरा मुक्त शहर" बनाने के समग्र दृष्टिकोण के साथ स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 का शुभारंभ किया। मिशन को "अपशिष्ट से धन"और "वृत्तीय अर्थव्यवस्था" के व्यापक सिद्धांतों के तहत संसाधन वसूली को अधिकतम करने के लिए लागू किया जा रहा है - दोनों का उदाहरण इंदौर बायो-सीएनजी संयंत्र में है।

आज उद्घाटन किए गए इस संयंत्र की क्षमता प्रतिदिन 550 टन गीले जैविक कचरे को अलग करने की है। इससे प्रति दिन लगभग 17,000 किलोग्राम सीएनजी और 100 टन प्रति दिन जैविक खाद का उत्पादन होने की उम्मीद है। प्लांट जीरो लैंडफिल मॉडल पर आधारित है, जिससे कोई कचरा रिजेक्ट नहीं होगा। इसके अतिरिक्त, इस परियोजना से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, उर्वरक के रूप में जैविक खाद के साथ हरित ऊर्जा जैसे कई पर्यावरणीय लाभ मिलने की उम्मीद है।

इस परियोजना को लागू करने के लिए एक विशेष प्रयोजन वाहनके रूप में इंदौर नगर निगम (आईएमसी) और इंडो एनवायरो इंटीग्रेटेड सॉल्यूशंस लिमिटेड (आईईआईएसएल) द्वारा एक सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल के तहत आईईआईएसएल द्वारा 150 करोड़ रुपये के 100 प्रतिशत पूंजी निवेश के साथ इंदौर क्लीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को स्थापित किया गया है। इंदौर नगर निगम इस संयंत्र द्वारा उत्पादित सीएनजी का न्यूनतम 50% खरीदेगा और अपनी तरह की पहली पहल मेंसीएनजी पर 400 सिटी बसें चलाएगा। बाकी उत्पादित सीएनजी खुले बाजार में बेची जाएगी। जैविक खाद कृषि और बागवानी उद्देश्यों के लिए रासायनिक उर्वरकों को बदलने में मदद करेगी।

 

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