उदयपुर, 23 मार्च। शौर्य और बलिदान की धरा झीलों के शहर उदयपुर में गुरुवार को बारहमास के लगभग सभी उत्सव-त्यौहारों का रिकॉर्ड तोड़ दिया जिनमें जनमैदिनी उमड़ पड़ती है। भारतीय नववर्ष विक्रम संवत 2080 के स्वागत में भारतीय नववर्ष समाजोत्सव समिति और नगर निगम के तत्वावधान में निकली विशाल शोभायात्रा का स्वरूप इतना विशाल हो गया कि विशाल शब्द भी उसके आगे छोटा पड़ गया। पहला छोर तो लगभग डेढ़ बजे ही महाराणा भूपाल स्टेडियम पहुंच गया था, लेकिन आखिरी छोर का तो शाम तक ठिकाना नहीं था कि वह कब आएगा। शहर के मध्य स्थित देहलीगेट चौराहे पर एक बजे से कलश यात्रा गुजरने के साथ शोभायात्रा देखने उमड़े लोग शाम पांच बजे तक खड़े ही रहे। हर कोई यही कहता नजर आया कि इस शोभायात्रा कोई ओर है न छोर है।
भारतीय नववर्ष के इस आयोजन के लिए उत्साह का अतिरेक इतना था कि कलश यात्राओं में शामिल होने के लिए महिलाएं सुबह 10 बजे से ही जगदीश मंदिर, फतह स्कूल और भूपालपुरा मैदान पहुंचने लग गईं। महिलाओं को यह भी आशंका थी कि कहीं उनके हाथ से कलश चूक न जाए। डांडिया करने वाली युवतियां भी फतह स्कूल में 11 बजे से पहुंचना शुरू हो गईं।
शोभायात्रा व कलश यात्राओं में उमड़ती जनमैदिनी को देखते हुए फतह स्कूल से कलश यात्रा और डांडिया यात्रा को मुख्य शोभायात्रा से पहले रवाना किया गया। धवल परिधान पहने और सिर पर केसरिया साफा बांधे युवतियां जब डांडिया खनकाती शोभायात्रा मार्ग पर निकली तो मार्ग में हर किसी के कदम थम गए और ऐसे थमे कि शाम तक थमे ही रहे। डांडियों की खनक के बाद केसरिया परिधान पहने मातृशक्ति सिर पर कलश लिए आईं। फतह स्कूल से शुरू होकर यह कलश व डांडिया यात्रा सूरजपोल, बापू बाजार होते हुए देहलीगेट पहुंची जहां मौजूद शहरवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया। देहलीगेट से होते हुए जैसे ही यह यात्रा आगे बढ़ी और उसके पीछे-पीछे भूपालपुरा मैदान से शुरू हुई यात्रा देहलीगेट पहुंच गई। देहलीगेट चौराहे पर तिल धरने की जगह नहीं बची। इस बीच, यह कलश यात्रा आगे बढ़ी तो इसके बाद नगर निगम प्रांगण से शुरू हुई मुख्य शोभायात्रा भी देहलीगेट पहुंच गई। इसके बाद तो देखने वालों को हिलने का मौका तक नहीं मिला। स्केटर्स, बुलेट सवार, के बाद युवक-युवतियों की टोलियां देशभक्ति के नारे लगाते हुए आना शुरू हो गई। इस बीच, पौने तीन बजे जगदीश मंदिर से निकली कलश यात्रा भी देहलीगेट पहुंच गई और मुख्य शोभायात्रा का हिस्सा बनने के साथ ही एक बाद फिर देहलीगेट पर मातृशक्ति का शक्ति स्वरूप नजर आने लगा। इस कलश यात्रा के आगे बढ़ते ही मुख्य शोभायात्रा फिर से आगे बढ़ी। युवाओं की टोलियां नाचते-नारे लगाते बढ़ चलीं। इसके बाद बग्घियों में बिराजमान संत-महंत पधारे। इनके पीछे युवाओं की टोलियों के साथ शौर्य का प्रतीक अश्व सवार युवतियां थीं। इसके बाद झांकियों का क्रम शुरू हुआ। अशोक वाटिका, बजरंग बली, वानर सेना, यज्ञ आदि झांकियां आकर्षण का केन्द्र रहीं। शोभायात्रा में लगातार जय श्री राम लिखी, रामभक्त हनुमान की छवि अंकित तथा ओम की पताकाएं लहराती रहीं।
अलग-अलग दिशाओं से आकर कलश यात्राएं देहलीगेट पर मुख्य शोभायात्रा की धारा में शामिल होकर अश्विनी बाजार, हाथीपोल, चेतक सर्कल होते हुए महाराणा भूपाल स्टेडियम पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हो गई।
कदम-कदम पर स्वागत, पुष्प वर्षा
-कलश यात्राओं और मुख्य शोभायात्रा का मार्ग में कदम-कदम पर पुष्प वर्षा से स्वागत हुआ। कहीं-कहीं आतिशबाजी भी हुई तो कहीं जल सेवा, शीतल पेय, अल्पाहार आदि की भी व्यवस्था विभिन्न संगठनों व शहरवासियों की ओर से की गई।
जहां डीजे वहां नाचे युवा
डीजे शोभायात्रा में शामिल न होकर मार्ग में अलग-अलग स्थानों पर लगाए गए थे। उन पर देशभक्ति गीतों, भक्तिगीतों का गुंजार होता रहा और शोभायात्रा में शामिल युवा वहां रुक-रुक कर नाचते रहे।
केले का ठेला ही खरीद कर शोभायात्रा में बांट दिया
शोभायात्रा के दौरान देहलीगेट पर कुछ नागरिकों ने एक केले के ठेले वाले से सभी केले एक साथ खरीद लिए। दरअसल, केले वाले का कहना था कि आज शोभायात्रा के कारण उसकी बिक्री नहीं हुई। ऐसे में वहां खड़े कुछ लोगों ने सारे केले का सौदा कर लिया और हाथोंहाथ शोभायात्रा में केले बांट दिए।
सभा से पहले ही खचाखच भरा स्टेडियम
शोभायात्रा का पहला छोर दोपहर में ही स्टेडियम में पहुंच गया। इससे पहले ही सभा स्थल पर सुबह 11 बजे से ही आसपास के क्षेत्रों से लोगों का आना शुरू हो गया था। चार बजते बजते तो स्टेडियम खचाखच हो गया, जबकि उस वक्त तक मुख्य शोभायात्रा देहलीगेट पर भी जारी थी। देहलीगेट पर करीब साढ़े चार बजे शोभायात्रा का आखिरी छोर नजर आया। इस दौरान स्टेडियम के खचाखच होने के फोटो शहर में वायरल हो गए और देखने वाले नववर्ष की धर्मसभा में उमड़ी जनमैदिनी का अनुमान लगाते नजर आए।