राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) में महिलाओं की भूमिका को लेकर लंबे समय से प्रश्न खड़े किये जाते रहे हैं। आरएसएस के आलोचक अक्सर यह आरोप लगाते रहे हैं कि संघ अपने संगठन में देश की आधी आबादी यानी महिलाओं को कोई हिस्सेदारी नहीं देता है। संघ आलोचकों का आरोप है कि वहां महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं है। हालांकि, संघ के विशेषज्ञ हमेशा से ही इन आरोपों को निराधार बताते रहे हैं।
भारत में लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में आरएसएस की सक्रियता बढ़ती दिखाई दे रही है। आरएसएस(RSS) की तैयारी यूपी में अपनी जमीन मजबूत करने की है। इसी सिलसिले में लखनऊ में संघ और बीजेपी की आठ घंटे तक मैराथन बैठक में फैसला हुआ कि आरएसएस अब गांवों के दलितों और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएगा।
आरएसएस के सह सरकार्यवाह अरूण कुमार की अगुवाई में हुई बैठक में यह भी तय किया गया कि संघ अब हर जिले में महिला सम्मेलन करेगा। इसमें बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद और हिंदू जागरण मंच के साथ बाकी संगठन भी सहयोग करेंगे। अभी तक संघ की व्यवस्था में महिलाओं का सीधा हस्तक्षेप नहीं है। बस राष्ट्र सेविका समिति के दरवाजे ही उनके लिए खुले हैं। संघ से जुड़े लोगों का दावा है कि अब सहयोगी संगठनों में भी प्रमुख पदों पर महिलाओं को जिम्मेदारी दी जाएगी।