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Current News / नेपकॉन- 2022 के तीसरे दिन लंग कैंसर, कोविड 19 और बढ़ते वातावरण प्रदूषण से स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव पर हुआ मंथन

clean-udaipur नेपकॉन- 2022 के तीसरे दिन लंग कैंसर, कोविड 19 और बढ़ते वातावरण प्रदूषण से स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव पर हुआ मंथन
दिनेश भट्ट November 12, 2022 06:54 PM IST

उदयपुर, 12 नवम्बर 2022 :  उदयपुर में चेस्ट विशेषज्ञों के 24वें राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस नेपकॉन- 2022 के तीसरे दिन गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल और आर.एन.टी. मेडिकल कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में देश-विदेश से आए ख्यातनाम चेस्ट विशेषज्ञ डॉक्टर्स और प्रोफेसर्स द्वारा लंग कैंसर होने के कारण, निवारण और नवीनतम तकनीक पर आधारित जाँच पर गहन मंथन किया गया। इसके साथ ही हाल ही में कोविड  19 महामारी के बाद मानव शरीर और उसके अंगों पर होने वालें दुष्प्रभावों और बीमारियों (पोस्ट कोविड और लोंग कोविड) पर हुई विशेष चर्चा में मेडिकल जगत को नवीनतम जानकारियां प्रदान की। कांफ्रेंस में बढ़ते वातावरण प्रदूषण से स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभाव,फेफड़ों और श्वास से जुड़ी बीमारियों के कारण, निवारण और निदान पर विचार कर चर्चा की गयी।

कोविड-19 बीमारी के बाद होने वाले मानव स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभावों और निदान पर चर्चा में डॉ. एस. के. शर्मा, डॉ. संजीव सिन्हा, डॉ. सैयद हसनैन,डॉ.अस्मिता मेहता और डॉक्टर पी अर्जुन ने भाग लिया। इसके साथ ही इस चर्चा की अध्यक्षता करते हुए देश के ख्यातिप्राप्त पद्मश्री डॉ रणदीप गुलेरिया ने कोविड-19 के घरेलू और चिकित्सीय ईलाज के बारें में बताते हुए इसके संक्रमण के बाद  होने वाली दूसरी रेस्पिरेटरी बीमारियों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारें में अवगत कराया। साथ ही कोविड-19 बीमारी से संबंधित वैक्सीन पर चर्चा के साथ इसके प्रभाव और दुष्प्रभाव के साथ इसकी एफिकेसी और सुरक्षा पर विचार व्यक्त किये गए। कोविड-19 बीमारी होने के बाद रह जाने वाले लक्षण (लोंग कोविड) पर विशेष चर्चा हुई।

वातावरणीय प्रदूषण से ज्यादा फैल रहे श्वास संबंधित रोग

सम्मेलन में वातावरण में बढ़ते प्रदूषण और उससे सेहत पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर गहन चिंतन किया गया। चर्चा में एम्स दिल्ली के पूर्व डायरेक्टर पद्मश्री डॉ. रणदीप गुलेरिया ने वातावरण में होने वाले प्रदूषण के साथ घर में होने वाले प्रदूषण (जैसे धूम्रपान और चूल्हे का धुआं इत्यादि) से सेहत पर होने वाले दुष्प्रभावों के बारें में बताया। इसके साथ ही वातावरण में बढ़ते प्रदूषण के कारण श्वास संबंधित बीमारियां जैसे सी.ओ.पी.डी., अस्थमा ,एलर्जी और अन्य बीमारियों पर गहन चर्चा हुई। चर्चा में वातावरण प्रदूषण से होने वाली श्वास की बीमारियों के साथ होने वाली अन्य बीमारियों (जैसे ह्रदय सम्बंधित रोग) के संबंध में विस्तृत विचार व्यक्त किए गए।

कोरोना अभी गया नहीं, वायरस लगातार हो रहा म्युटेट,मास्क लगाए और सावधानी बरतें-पद्मश्री डॉ. रणदीप गुलेरिया

कोविड-19 सिंपोजियम की अध्यक्षता ख्यातनाम पद्मश्री डॉ  रणदीप गुलेरिया ने करते हुए डॉ इंद्रानील हैदर,डॉ. यू.सी.ओझा के साथ बताया कि कोविड अभी पूरी तरीके से गया नहीं है उससे बचाव और सावधानी रखते हुए कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर अपनाने की वर्तमान संदर्भ में अभी भी जरूरत है। इसके साथ ही पद्मश्री डॉ.रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अभी भी लोगों को भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए और मास्क पहनते रहना चाहिए क्योंकि इससे श्वास और प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है। साथ ही कोरोना वायरस अभी तक पूरी तरीके से गया नहीं है और यह वायरस अभी भी म्युटेट हो रहा है। अतः लोगों को मास्क पहनने के साथ ही अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय अपनाने चाहिए।

सम्मेलन में डॉ. महिमा भास्कर, अमेरिका से आये हुए डॉ. आशुतोष सचदेवा और डॉ. राजीव कौशल ने लंग कैंसर जैसी घातक बीमारी के निदान के लिए नवीनतम जांच तकनीक और इलाज के साथ एडवांस थेरेपीज पर चर्चा करते हुए लंग कैंसर की स्टेज (अवस्था) के अनुरूप दिए जाने वाले ईलाज पर गहन विचार विमर्श किया गया।

इसके साथ ही सिम्पोजियम में डॉक्टर धर्मेश पटेल डॉ राधिका भंकड,डॉ. संदीप कटियार ने भाग लेते हुए फेफड़ों में पानी भरने वाली बीमारी के लिए होने वाली दूरबीन जाँच और निदान की नवीनतम तकनीक पर चर्चा करते हुए इंग्लैंड से आये हुए डॉ. एम. मुनव्वर ने विशेष व्याख्यान दिया। इसी चर्चा में कोच्चि से आये जाने माने चेस्ट सर्जन डॉ. नासिर यूसुफ ने सर्जरी द्वारा फेफड़ो में पानी भरने वाले रोग के निदान के साथ ही पोस्ट कोविड के बाद सर्जिकल जटिलताओं के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी साझा की।

नींद में खर्राटों को न करें नजरअंदाज, हो सकता है दूसरे अंगों तक असर

सम्मेलन में आयोजित अन्य सिम्पोजियम में डॉ संजय मनचंदा, डॉ नितेश गुप्ता,डॉ. प्रणविष और डॉ. अरूप हैदर ने नींद में खर्राटों की बीमारी से होने वाली दिक्कतों (जैसे फेफड़ो और दिल की बीमारियों पर असर और जटिलताओं) और अन्य अंगों पर इसके प्रभावों पर गहन चर्चा करते हुए निदान के बारे में बताया। सम्मेलन में इंटरवेंशनल पल्मनोलॉजी के सिम्पोजियम में देश के जाने माने इंटरवेंशनल पल्मनोलोजिस्ट डॉ.उज्जवल पराग,डॉ राजीव गोयल, डॉ. राकेश चावला, डॉ निशांत चौहान और डॉ. प्रतिभा गोग्या ने भाग लेते हुए रेस्पिरेटरी मेडिसिन में लेटेस्ट जानकारी देते हुए फेफड़ों की बीमारियों के लिए नवीनतम तकनीक और निदानों के बारे में बताया।

नेपकोन-2022 सम्मेलन के सिम्पोजियम में देश के विभिन्न शहरों से आये डॉ. निष्ठा सिंह (जयपुर), डॉ. क्रांति गर्ग ,डॉ. ऋतु सिंघल, डॉ. डी. जे. क्रिस्टोफर ,डॉ. अगम वोरा (मुम्बई), डॉ. जे. के.सामरिया (वाराणसी) ने श्वाश और फेफड़ो से जुड़ी अन्य बीमारियां जैसे टीबी, अस्थमा और सी.ओ.पी.ड़ी. की नवीनतम जाँच और निदान के बारे में जानकारी दी।कॉन्फ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ एस. के. लुहाडिया ने टीबी रोग होने के बाद स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव पर  इम्युनोमॉड्यूलेटर्स के रोल पर लेक्चर दिया।

इन डॉक्टर्स को मिला सम्मान
सम्मेलन में इंडियन चेस्ट सोसायटी द्वारा प्रोफेसर डॉ. एस. एन. त्रिपाठी प्रेसिडेंशियल ओरेशन अवार्ड से पद्मश्री डॉ. ड़ी बेहरा को नवाजा गया। इसके साथ ही प्रोफेसर डॉ सी वी रामाकृष्णन ओरेशन अवार्ड डॉ. एम. एस. बर्थवाल को प्रदान किया गया। वहीं प्रोफेसर डॉ. के. जे. आर. मूर्ति मेमोरियल ओरेशन अवार्ड डॉ. एच. परमेश को दिया गया। नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशन्स ओरेशन अवार्ड के अंतर्गत प्रोफेसर डॉ. रमण विश्वनाथन मेमोरियल चेस्ट ओरेशन अवार्ड से डॉ अशोक शाह को सम्मानित किया गया । प्रोफेसर डॉ. ए. एस. पेंटल-प्रोफेसर डॉ. आर. सी. जैन मेमोरियल चेस्ट ओरेशन अवार्ड से डॉ. विक्रम सारभाई को नवाजा गया। वहीं प्रोफेसर डॉ. पी. एस. शंकर-प्रोफेसर डॉ. के. सी. मोहंती चेस्ट ओरेशन अवार्ड से डॉ. विवेक नांगिया को सम्मानित किया गया। इसके साथ सम्मान के अगले क्रम में प्रोफेसर डॉ. एस. के. जैन -प्रोफेसर डॉ. एस. के .कटियार चेस्ट ओरेशन अवार्ड से डॉ. पी. आर. मोहपात्रा को सम्मानित किया गया।

दिन के अंत में मुम्बई से आये हुए डॉ. निखिल सारंगधर ने पी. जी क्विज का आयोजन करवाया जिसमें देश भर से आये पोस्ट ग्रेजुएट  मेडिकल छात्रों ने बढ़चढ़ कर भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बनाया।

आज के दिन में सत्र में पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स और यंग पल्मनोलोजिस्ट द्वारा लगभग 405 शोध पत्र पढ़ें गए। शोध पत्रों के विभिन्न सत्रों में गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के डॉ. शुभकरण शर्मा, डॉ. के. पी. सिंह और डॉ तृषि नागदा प्रथम रहे।

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