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Current News / गाँधी परिवार समेत 450 से ज्यादा काँग्रेसी उदयपुर आकर भुल गए महाराणा प्रताप को !

clean-udaipur गाँधी परिवार समेत 450 से ज्यादा काँग्रेसी उदयपुर आकर भुल गए महाराणा प्रताप को !
दिनेश भट्ट May 16, 2022 08:44 PM IST

उदयपुर, 16 मई 2022 : उदयपुर शहर महाराणा प्रताप का पर्याय कहा जा सकता हैं, जब भी उदयपुर का जिक्र आता है तो एक महापुरुष महाराणा प्रताप की छवि मनो मस्तिष्क में सबसे पहले उभर आती है और देश के लिए मर मिटने का सबब दे जाती है। लेकिन देश की बड़ी राजनीतिक पार्टियां ही अपने महापुरुषों को उचित स्थान देने से कतरा रही है या जान बूझ ऐसा किया जा रहा है।

 

हाल ही में उदयपुर के चिंतन शिविर में 450 से ज्यादा काँग्रेसी नेता आये। वहीं शिविर में सोनिया गाँधी, प्रियंका गाँधी और राहुल गाँधी,अशोक गहलोत समेत काँग्रेस के कद्दावर नेता शिरकत करते नजर आए। इसके साथ ही चिंतन शिविर में पवन खेड़ा जैसे उदयपुर की पृष्ठभूमि के नेता भी शामिल थे। लेकिन किसी भी नेता ने उदयपुर आगमन पर महाराणा प्रताप को पुष्पांजली करना मुनासिब नहीं समझा और न ही कोई नेता हल्दी घाटी, प्रताप गौरव केंद्र या चावंड पहुँच कर श्रद्धा सुमन अर्पित करता नजर आया।  

 

ऐसे में शिविर का समापन होने के बाद उदयपुर समेत राजस्थान की जनता में इसको लेकर नाराजगी देखी जा रही है।महाराणा प्रताप को याद नहीं किया जाना अब सोशल मीडिया पर मुद्दा बनता चला जा रहा है और लोग गाँधी परिवार समेत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आड़े हाथों ले रहे है। लोग यहाँ तक कहते नजर आए कि शिविर की समाप्ति के बाद सवाई बांध जाने के बजाय प्रताप से जुड़े स्थानों पर भी तो जाया जा सकता था।

 

जहाँ राहुल गाँधी ट्रैन से दिल्ली से उदयपुर पहुँच कर देश की आम जनता से कनेक्ट होने के मैसेज देने की कोशिश कर रहे थे वहीं देश के सबसे बड़े वीर राजा महाराणा प्रताप को श्रद्धा सुमन देने के लिए वो महाराणा प्रताप के नाम से जुड़े उदयपुर के रेलवे स्टेशन पर महाराणा की प्रतिमा को माल्यार्पण कर अपने इस शिविर का आगाज करते तो शायद तस्वीर का पहलू ही दूसरा होता। न तो काँग्रेस और राहुल गाँधी से जुड़ी PR एजेंसी उन्हें इस बारे में बता पायी और न अशोक गहलोत सहित राजस्थान के नेता उन्हें ये आईडिया सुझा पाए।

 

कमोबेश इस घटना को PR एजेंसी की खामी या काँग्रेस में रणनीति कारो की धार कम होने से जोड़ा जा सकता है या इसे इस बात से भी जोड़ा जा सकता है कि आलाकमान को सीधे स्थानीय नेता कोई सुझाव नहीं पहुँचा पा रहे है या उनके पास ऐसे आईडिया को आगे बढ़ाने का माद्दा नहीं है। ऐसे मुद्दे सुलगा कर काँग्रेस जान बूझ कर अपने वोट बैंक में ही लीकेज करती नजर आ रही है। बरहाल कई विपक्षी दलों को इस पर भी मुद्दा मिलता नजर आ रहा है।

 

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