मोदी कैबिनेट ने 'डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022' को हरी झंडी दे दी है। इस बिल का उद्देश्य डिजिटल पर्सनल डेटा के आसपास रेगुलेशन प्रोवाइड करना है। यह नया बिल लोगों के अपने पर्सनल डेटा को प्रोटेक्ट करने के अधिकार और वैध उद्देश्यों के लिए पर्सनल डेटा को प्रोसेस करने की आवश्यकता दोनों को मान्यता देता है। इस बिल में सरकार ने लोगों के पर्सनल डेटा का गलत इस्तेमाल यानी कानून तोड़ने वाली कंपनियों पर पेनल्टी की राशि बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए तक कर दी है।
इससे पहले डेटा प्रोटेक्शन बिल पिछले साल की शुरुआत में संसदीय मानसून सत्र के दौरान रद्द कर दिया गया था। इसके बाद मंत्रालय ने इसका नाम बदलकर पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल कर दिया है, जो पूरी तरह से यूजर डेटा से जुड़े कानूनों पर जोर देता है।
पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल KYC डेटा को कर सकता है प्रभावित
नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल KYC डेटा को भी प्रभावित करेगा। हर बार सेविंग अकाउंट खोलने पर KYC प्रोसेस को पूरा करने के लिए प्रतिबंध की आवश्यकता होती है। इस प्रोसेस के तहत इकट्ठा किया गया डेटा भी नए डेटा प्रोटेक्शन बिल के दायरे में आता है। बैंक को अकाउंट बंद करने के 6 महीने से ज्यादा समय के लिए KYC डेटा बनाए रखना होगा।
बच्चों के पर्सनल डेटा को इकट्ठा करने और बनाए रखने के लिए नियमों का एक नया सेट भी बनाया गया है। डेटा मांगने वाली कंपनियों को डेटा तक पहुंचने के लिए माता-पिता या अभिभावक की सहमति की आवश्यकता होगी। सोशल मीडिया कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि टारगेटेड एडवर्टाइजमेंट के लिए बच्चों के डेटा को ट्रैक नहीं किया जा रहा है।